Tuesday, August 12, 2014

लूट के नए अड्डे

वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (12 जुलाई 2014)





अब गुंडागर्दी के नए अड्डे बन गए हैं और उस गुंडागर्दी को 'कानूनीÓ रूप दे दिया गया है। पहले सिनेमाघरों की टिकट खिड़की के आसपास गुंडे होते थे, जो सिनेमा टिकट ब्लैक करते थे। मल्टीप्लेक्स के दौर में अब टिकट खिड़की के पास टिकट ब्लैक में नहीं बिकता, व्हाइट में ही लूट है। यह लूट ऑफिशियल हो गई है। पहले शुक्रवार को नई फिल्म लगते ही भीड़ लग जाती थी, कुछ ही लोग सारे टिकट खरीद लेते और फिर दस-बीस-पचास रुपए ज्यादा में टिकट बेच देते थे। पुलिस उनको पकड़ भी लेती थी, क्योंकि वह गैरकानूनी था। अब ज्यादा भीड़ वाले दिनों में सिनेमा- मल्टीप्लेक्स वालों की टिकट ब्लैक कानूनी हो गई है। शुक्र, शनि और रविवार को वे खुद ही दाम बढ़ा देते हैं। 

पहले भी टिकट ब्लैक में हर रोज थोड़े ही होते थे! छुट्टी के दिन या दीवाली-ईद पर ही ब्लैक ज्यादा होता था। जो काम गरीब-बेरोजगार करता था, तो गलत था, मल्टीप्लेक्स वाला सेठ करे तो सही कैसे हो गया? इंटरवल में पांच रुपए का पॉप कॉर्न पचास का, दस रुपए का समोसा पचास में बेचना लूट और गुंडागर्दी नहीं तो क्या है? बेचारा गरीब चायवाला तो एक ही भाव में सुबह-शाम चाय बेचता है। कभी यह नहीं कहता कि सुबह का वक्त है तो चाय डेढ़ गुनी महंगी मिलेगी, पीना हो तो पीयो। क्या सुबह की फिल्म और रात की फिल्म, संडे और मंडे की फिल्म अलग होती है? क्या संडे को मल्टीप्लेक्स कर्मचारी दोगुना वेतन पाता है? क्या संडे को उसे बिजली का बिल ज्यादा भरना पड़ता है?

आजकल रेलवे स्टेशनों और एयर पोर्ट पर भी वीआईपी पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली होती है। पार्किंग में क्या आईपी और क्या वीआईपी? चार कदम पास गाड़ी लगा दी तो वीआईपी पार्किंग! क्या वीआईपी पार्किंग में मारुति खड़ी कर दो तो वह मर्सिडीज बन जाएगी? क्या नौटंकी है लूट के लिए? वीआईपी पार्किंग में गाड़ी लगी है तो धो दो उसे, चमका दो, पॉलिश कर दो! कुछ तो करो कि लगे वीआईपी पार्किंग में गाड़ी पार्क की है बंंदे ने! छंटाक भर तो क्या रत्ती भर वेल्यू एड नहीं की तो ज्यादा पैसे किस बात के? 'वीआईपी पार्किंगÓ का बोर्ड लगाने के?

आजकल विमान यात्रा के दौरान सौजन्य में पानी के अलावा कुछ नहीं मिलता। हर चीज खरीदो। रेल जैसा हिसाब हो गया है! फर्क ये है कि हर स्टेशन पर या अंदर लड़का 'चाय गरमÓ चिल्लाता है, और हवाई सुंदरी कहलाने वाली होस्टेस प्लास्टिक की मुस्कान के साथ कागज के कप में कट चाय के पचास रुपए झटक जाती है! 
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