Thursday, August 27, 2015

सिंहस्थ : अंतिम विचार-मंथन उज्जैन में

सिंहस्थ 2016   (11)





हर बार सिंहस्थ में कई अनूठी बातें होती हैं. साधु संतों और श्रद्धालुओं का स्वागत करनेवाले लोगों को बिरले अनुभव होते हैं. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. अधिकारियों को ऐसे ऐसे अनुभवों से गुजरना होता है, जिसके बारे में उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. अब साधु- संतों की धूनी के लिए इंतज़ाम करना कोई आम बात तो है नहीं! इतनी बड़ी सांखे में आनेवाले साधु संतों की ढूनी तक के लिए विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं.
श्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन के महाकाल मंदिर में (चित्र 2013 का)

श्री रामादल अखाड़ा परिसर ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सिंहस्थ में आने वाले साध-संतों के लिए अस्थायी भूखंड, बिजली और पानी की तरह ही धूनी और तपस्या के लिए मुफ्त में लकड़ी उपलब्ध कराई जाए। इसी मांग के आधार पर वन विभाग ने अपनी तैयारी पूरी कर दी है।

वन विभाग सिंहस्थ 2016 की तैयारियों में पूरे जोर से जुट गया है। यह बात विचित्र लगती है कि वन विभाग का सिंहस्थ मेले में क्या काम? वन विभाग के कर्मचारी तो मेले की तैयारियों में लगे ही है, कुछ विशेष जिम्मेदारियां भी वन विभाग को सौंपी गई है। इसमें से एक जिम्मेदारी है सिंहस्थ में आने वाले लाखों संतों के लिए धूनी रमाने के लिए धूनी की व्यवस्था करना। धूनी अर्थात राख एक विशेष तरह के वृक्ष की ही होनी जरूरी है और यह वृक्ष उज्जैन या उसके आसपास बहुत ही कम पाए जाते है। साधु-संतों का मानना है कि धूनी के लिए साल के वृक्ष की लकड़ी ही अच्छी मानी जाती है, इसलिए नर्मदा नदी के उद्गम स्थल के पास अमरकंटक के जंगलों से यह लकड़ी मंगवाई जा रही है। लकड़ी की धूनी के अलावा गाय के गोबर के कंडों का इंतेजाम भी किया जा रहा है। साल प्रजाति की पांच हजार क्विंटल लकड़ी के अलावा वन विभाग 75 हजार क्विंटल जलाऊ लकड़ी की व्यवस्था में भी जुटा है। साधु-संतों को लकड़ी या कंडों के लिए परेशान न होना पड़े, उसके लिए मेला क्षेत्र को अलग-अलग झोन में बांटा गया है और वहां लकड़ी के पांच डीपो खोले जा रहे है। 

सिंहस्थ के प्रचार-प्रसार के दौरान प्रशासन ने स्लोगन प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें एक से बढ़कर एक स्लोगन लोगों ने भेजे। अच्छे स्लोगन को पुरस्कार दिए जा रहे है। एक-एक हजार रुपए के दस पुरस्कार जिन स्लोगन पर जीता गया, वे है- ‘सभी का वंदन-अभिनंदन’, ‘धर्म-आस्था का स्नान करेगा तन-मन पावन’, ‘मेला सिंहस्थ का लगाना है, शोभा उज्जैन की बढ़ाना है। गंदगी से इसे बचाना है, खूबसूरत सिंहस्थ बनाना है।’, ‘क्षिप्रा तट संतों का जमघट, फिर छलकेगा अमृत घट’, ‘जन-मन हर्षाया है, सिंहस्थ २०१६ का पर्व आया है’, ‘भिन्नता में एकता सिंहस्थ की विशेषता’, ‘अमृत की चाह है, तो सिंहस्थ की राह है’, ‘मिलेगा पुण्य प्रताप, लें सिंहस्थ का लाभ’, ‘उज्जैन का गर्व सिंहस्थ पर्व’ और ‘उज्जैन की शान सिंहस्थ स्नान’। 

सिंहस्थ की तैयारियों के लिए भोपाल और इंदौर में अनेक आयोजन किए जा रहे है, लेकिन सिंहस्थ का अंतिम विचार-मंथन उज्जैन में ही होगा। इसी कड़ी में 12 से 14 फरवरी 2016 को उज्जैन में सिंहस्थ पर केन्द्रित अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन होने वाला है। इसके पहले इंदौर में एक परिसंवाद होना है, जिसमें मानव कल्याण और धर्म विषय पर चर्चा होगी। भोपाल में होने वाले परिसंवाद में सार्क देशों के पर्यावरण विशेषज्ञ मिलकर चर्चा करेंगे कि पर्यावरण और जल वायु परिवर्तन विषय पर हम क्या सहयोग दें सकते है। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

फिर गति पकड़ने लगी सिंहस्थ की तैयारियां

सिंहस्थ 2016   (10)








नगर निगम के चुनाव सम्पन्न होते ही सिंहस्थ के कार्यों में गति आ गई है। अब चुने हुए प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी एक साथ मिलकर सिंहस्थ की तैयारियों में जुुट गए है। आचार संहिता के कारण अटके हुए काम भी वापस शुरू हो गए है। चुनाव में व्यस्त अफसर अब सिंहस्थ के लिए मुक्त हो गए है। उनके नेतृत्व में सिंहस्थ की तैयारियों की समीक्षा नियमित होती रहती है। बारिश थमने से भी सिंहस्थ के कार्यों में रुकावट खत्म हुई है और निर्माण कार्यों में तेजी आई है। मेला क्षेत्र में कच्ची सड़कों और नालियों का निर्माण पूरी तेजी से होने लगा है, जो अधूरे काम बचे है, वे जल्द ही पूरे किए जा रहे है। 



सिंहस्थ 2016 की तैयारियों में सभी विभागों को शामिल किया जा रहा है। हाल ही में नासिक में सम्पन्न हुए कुंभ की व्यवस्था के जानकारी के आधार पर भी अधिकारियों में चर्चा हो रही है। इस चर्चा में सभी विभागों के लोग शामिल है। इस चर्चा के निष्कर्षों से उन कर्मचारियों से अवगत कराया गया, जो सिंहस्थ में योगदान देंगे। पहले चरण में उन्हें जानकारी दी गई कि वे क्या करें और क्या न करें।  कलेक्टर ने इस आयोजन में शामिल होने वाले सक्रिय कर्मचारियों से कहा है कि उन्हें पांच करोड़ लोगों से भी ज्यादा अतिथियों का स्वागत सत्कार करने का मौका मिलेगा, यह एक दुर्लभ अवसर है। पूरी दुनिया के लोग उज्जैन में आएंगे और उज्जैन से अपनी यादें सहेजकर ले जाएंगे। श्रद्धालु अतिथियों से मृदु व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। उज्जैन साफ-सुथरा रहेगा तो उससे बीमारियां भी फैलने का डर नहीं रहेगा और उज्जैन की छवि भी चमकती हुई रहेगी। 

उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों में पूरे संभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाना है। हर जिले में यह प्रशिक्षण दिया जाएगा और करीब दस हजार कर्मचारी प्रशिक्षित होंगे। इस प्रशिक्षण में सभी विभागों के कर्मचारी अच्छा खासा उत्साह दिखा रहे है। उज्जैन के स्थानीय लोगों का मानना है कि सिंहस्थ के मौके पर आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा वास्तव में भगवान महाकाल की सेवा ही है।


 इस सेवा का अनूठा नजारा तब देखने को मिला, जब प्रशिक्षण के लिए आई एक महिला व्याख्याता ने अपने निशक्त होने को शासकीय सेवा में बाधा नहीं बनने दिया। महाराजवाड़ा स्कूल की दोनों हाथों से निशक्त व्याख्याता हंसा जोशी ने प्रशिक्षण के दौरान जब एक फार्म भरा, तब दूसरे कर्मचारियों को उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षाएं मिली थी और वे मदद के लिए आगे भी आए, लेकिन व्याख्याता हंसा जोशी ने प्रशिक्षण का पूरा फार्म अपने पैर से भरा। उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि वे अपनी निशक्तता को सिंहस्थ में बाधा नहीं बनने देंगे। हंसा जोशी शहीद बलराम जोशी के परिवार की सदस्य है। बचपन से ही किसी बीमारी के कारण उनके हाथ अशक्त हो गए। एक और मजेदार प्रकरण तब देखने को मिला, जब उज्जैन के कलेक्टर कवीन्द्र कियावत ने सरकारी कर्मचारियों से कहा कि वे अपने जेब में शक्कर की पुड़िया लेकर चले। यह शक्कर की पुड़िया उन्हें लो डायबिटीज से तो बचाएगी ही, साथ ही अगर उन्हें कुछ कड़वा बोलना पड़े, तो पहले शक्कर की चुटकी मुंह में डाल ले, उन्हें याद आ जाएगा कि वे सिंहस्थ के लिए सेवाकार्य में लगे है और वे कड़वा बोलने से बच जाएंगे। 

सिंहस्थ की तैयारियों में एक विशेष पुस्तिका का प्रकाशन भी शामिल है, इसका प्रकाशन मेला प्रशासन कर रहा है और यह पुस्तिका केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए होगी। हर कर्मचारी को मिलने वाले पुस्तिका में प्रत्येक सरकारी विभाग के कार्य और जिम्मेदारियों का विवरण तो होगा ही, साथ में सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को नाम और उनके मोबाइल नंबर भी दर्ज होंगे। इस पुस्तिका के माध्यम से कर्मचारी जान सकेंगे कि उन पर क्या-क्या जिम्मेदारी है और कहीं वे किसी दूसरे विभाग के कार्य में हस्तक्षेप तो नहीं कर रहे है। कुछ शंका होने पर पुस्तिका में दर्ज अधिकारी से मोबाइल पर भी चर्चा की जा सकेगी और तत्काल समाधान निकाला जा सकेगा। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

Monday, August 10, 2015

राजदूत की तरह सिंहस्थ दूत भी होंगे दुनियाभर में



सिंहस्थ 2016 की वैश्विक ब्रांडिंग की जा रही है। सिंहस्थ में पूरी दुनिया के लोग आएंगे और उन्हें आने में कोई परेशानी न हो, इसलिए उन्हें हर तरह की जानकारी और सुविधाएं मुहैया कराने के इरादे से दुनिया के सभी देशों में सिंहस्थ दूत तैनात रहेंगे। ये दूत सिंहस्थ के प्रतिनिधि होंगे। राजदूत की तरह इन्हें सुविधाएं और अधिकार तो नहीं होंगे, लेकिन यह भारत और सिंहस्थ के प्रतिनिधि अवश्य होंगे। ये सिंहस्थ दूत अनिवासी भारतीय होंगे और जिन देशों में योग्य स्थानीय निवासी मिलेंगे, उन्हें भी सिंहस्थ का दूत बनाया जा सकेगा। सिंहस्थ के अवसर पर शासन को यह लगता है कि इन दूतों की नियुक्ति से विदेशी नागरिकों को सिंहस्थ संबंधी जानकारियां पाने में कोई कष्ट नहीं होगा। 

सिंहस्थ में करीब पांच करोड़ लोगों के आने की संभावना है, जिनमें से बड़ी संख्या मे अनिवासी भारतीय और विदेशी भी होंगे। अनिवासी भारतीयों के लिए सिंहस्थ में आना आसान माना जा सकता है,क्योंकि भारत में उनकी जड़ें होती है और उनमें से अधिकतर को भाषा संबंधी कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन विदेशी श्रद्धालुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए सिंहस्थ के मौके पर दुभाषियों की नियुक्तियां भी की जा रही है। ये दुभाषियें अंग्रेजी के साथ ही फ्रेंच, जापानी, चीनी, स्पेनिश, रशियन, अरबी, फारसी, सिहली आदि भाषाओं के भी जानकार होंगे। इनकी मदद से विदेशी श्रद्धालु सिंहस्थ की भावना को ज्यादा अच्छी तरह समझने में सक्षम होंगे। 

सिंहस्थ के पहले ही उज्जैन में कई 3, 4 और 5 स्टार होटल शुरू किए जा रहे है। ये होटल पर्यावरण के मामले में सकारात्मक होंगे। कोशिश है कि इन होटलों में एनवायरमेंट फ्रेंडली व्यवस्था हो। जैविक खेती से तैयार भोजन अतिथियों को उपलब्ध रहेगा और साफ-सफाई में पर्यावरण हितैषी उत्पादों का प्रयोग किया जाएगा। स्नान घाट और महाकाल मंदिर क्षेत्र मेंं 3 सितारा होटल बन रहे है। यंत्र महल के पास भी दो 3 स्टार होटल का निर्माण चल रहा है। तीन-चार महीनों में यह होटल कारोबार करने लगेंगे और दिसंबर से इन होटलों की बुकिंग भी शुरू हो जाएगी। त्रिवेणी पर शनि मंदिर के पास एक रिसोर्ट का निर्माण भी चल रहा है और महाकाल मंदिर के आसपास दर्जनों मकान, होटल और लॉज का निर्माण किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालु कम खर्चे में वहां रुक सके।

सिंहस्थ को देखते हुए निकटस्थ विमान स्थल इंदौर के अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट पर विशेष उड़ानों की रुपरेखा भी बनाई जा रही है। कई अतिथि निजी या चार्टर विमानों से आएंगे। उनके विमानों को पार्वâ करने की व्यवस्था भी की जा रही है। 

भारतीय रेल भी सिंहस्थ के श्रद्धालुओं को उज्जैन तक लाने ले जाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने वाला है। इन ट्रेनों में सामान्य श्रेणी के डिब्बों के अलावा वातानुकूलित चेयरकार और एसी स्लीपर कोच भी होंगे। करीब 125 विशेष ट्रेन चलाने की योजना हैं, जिसकी कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। रेल मंत्रालय ने तय किया है कि सिंहस्थ के लिए एडीआरएम (एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर) स्तर के एक अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। अब तक सिंहस्थ के अवसर पर सीनियर डीसीएम (डिविजनल कमर्शियल मैनेजर) स्तर का अधिकारी नियुक्त होता रहा है, लेकिन इस बार एडीआरएम स्तर पर नियुक्ति का निर्णय किया गया है, ताकि वह अपने विशेष अतिरिक्त अधिकारों का त्वरित उपयोग कर निर्णय ले सके। रेलवे स्टेशन पर ही सिंहस्थ के यात्रियों के लिए अलग से अतिरिक्त कार्यालय भी खोले जाएंगे, जिनमें यात्रियों को अलग-अलग तरह की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश रहेगी।
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

Tuesday, August 04, 2015

सिंहस्थ के पहले चुनाव का दौर

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सिंहस्थ 2016 (8)

उज्जैन नगर निगम के चुनाव हो रहे है। अगस्त में उज्जैन नगर निगम में नए महापौर और उनकी परिषद कार्य संभाल लेगी। यह वह परिषद होगी, जिसके कंधों पर अगले वर्ष सिंहस्थ के दौरान बड़ी जिम्मेदारी होगी। चुनाव के कारण सिंहस्थ की तैयारियां कुछ हद तक प्रभावित हो गई है, लेकिन दो हफ्ते में सिंहस्थ की तैयारियां वापस जोर-शोर से शुरू हो जाएगी। प्रशासनिक अमला भी स्थानीय चुनाव की व्यस्तता से मुक्त होकर सिंहस्थ में जुट जाएगा। उज्जैन नगर निगम की नई परिषद के पास करीब 9 महीने का समय रहेगा, जिसमें वे एक ऐतिहासिक आयोजन की तैयारियां करेंगे। 

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सिंहस्थ के लिए उज्जैन घोषणा पत्र का ऐलान करेंगे। इसकी मंजूरी उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दे दी है। प्रधानमंत्री सिंहस्थ के समापन के मौके पर आएंगे और आम श्रद्धालुओं की तरह क्षिप्रा में स्नान करेंगे। इस बात की पूरी तैयारी की जा रही है कि प्रधानमंत्री के कारण किसी भी साधु-संत या नागरिक को अव्यवस्था का सामना न करना पड़े। 

राज्य सरकार के अधिकारियों से समन्वय करके रेल अधिकारी इस व्यवस्था में जुटे है कि किस तरह सिंहस्थ के लिए चलने वाली सौ से अधिक रेल गाड़ियों के यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। सिंहस्थ के मौके पर भारतीय रेल ने केवल उज्जैन स्टेशन को ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के स्टेशनों पर भी विशेष व्यवस्था की है। इन स्टेशनों से यात्री उज्जैन के घाटों तक कैसे पहुंचेंगे, इसके लिए ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। पुराने अनुभवी अधिकारियों की भी मदद ली जा रही है और नासिक में लगने वाले कुंभ मेले में भी अधिकारी व्यवस्था का मुआयना करके आ चुके है। 

इस सिंहस्थ में देश के जाने-माने धर्मगुरु, साधु, संत, विद्वान आदि हिस्सा ले रहे है। सिंहस्थ के पहले बौद्धिक सिंहस्थ के आयोजन भी हो रहे है और यह आयोजन उज्जैन ही नहीं आसपास के इलाकों में भी हो रहे है। सर्वधर्म समभाव भी सिंहस्थ की बौद्धिक चर्चाओं का हिस्सा रहेगा। ज्योतिष के विद्वान भी सिंहस्थ के मौके पर शिरकत करेंगे और बदनावर तहसील के कड़ोदकला गांव के युनूस टेलर सिंहस्थ के मौके पर प्रवचन देंगे। युनूस टेलर का धार जिले में काफी सम्मान है और वे श्रीराम मानस मंडल का संचालन करते है। हनुमान भक्त युनूस भाई सिंहस्थ के अवसर पर साम्प्रदायिक सद्भाव का भी प्रचार करेंगे। 

--प्रकाश हिन्दुस्तानी