Saturday, July 25, 2015

बरसात ने अधिकारियों को सिखाया नया पाठ

ऐसी रासायनिक प्रक्रिया से गुजरे हुए डामर का प्रयोग किया जा रहा है, जो भारी बारिश में भी उखड़े नहीं। माल्टिक इस्फाल्ट नामक इस डामर में चूना और कुछ धातुओं का मिश्रम रहता है और इसे 170 डिग्री तापमान पर एक खास तरह के बायलर में पिघलाया जाता है।

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सिंहस्थ 2016 (7)
सिंहस्थ के एक साल पहले उज्जैन में हुई घनघोर बारिश ने सिंहस्थ की तैयारियों की असलियत सामने ला दी। बहुत से निर्माण कार्यों के बारे में बन रहे भ्रम दूर हो गए। इसका नतीजा यह निकलेगा कि अब जो भी कार्य होंगे उन पर अधिकारी ज्यादा सोच-विचारकर कार्य करेंगे। मीडिया में आई खबरों के कारण यूं भी मेला प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। प्रशासन का कहना है कि महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जो जल पहुंचा, वह क्षिप्रा का नहीं बल्कि महाकालेश्वर मंदिर के वुंâड का है, जो रिसते हुए नंदीगृह और गर्भगृह तक पहुंचा। जो भी हो, कुंड को खाली कराने के बाद ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि भविष्य में कभी भी गर्भगृह में पानी जमा न हो। 

जोरदार बारिश के कारण सिंहस्थ के काम प्रभावित हुए है। कई जगह निर्माण सामग्री बह गई, तो कई जगह भारी गाद जमा हो गई। यह गाद निकालने का काम चल ही रहा था कि फिर इन्द्रदेव बरस पड़े। यह बारिश इतनी जोरदार थी कि महाकालेश्वर मंदिर परिसर का जलकुण्ड लबालब भर गया और उस पर से पानी बहने लगा। इस बात की भी व्यवस्था की जा रही है कि आगे से ऐसी स्थिति हो तो जलकुण्ड का पानी किस तरह निकाला जा सकें। गर्भगृह में पानी होने के बावजूद भस्मारती की यथावत रहीं और भक्तों ने इसे प्रभु का प्रसाद ही माना। 

अब प्रशासन उज्जैन की सड़कों के हाल सुधारने में लग गया। गड्ढों को भरा जा रहा है और अब ऐसी रासायनिक प्रक्रिया से गुजरे हुए डामर का प्रयोग किया जा रहा है, जो भारी बारिश में भी उखड़े नहीं। माल्टिक इस्फाल्ट नामक इस डामर में चूना और कुछ धातुओं का मिश्रम रहता है और इसे 170 डिग्री तापमान पर एक खास तरह के बायलर में पिघलाया जाता है। यह डामर गोबर की तरह कड़क होता है और उसे मजदूर पहले सड़क पर छाबने की तरह लगाते है और बाद में उसे मशीनों से समतल किया जाता है। यह डामर बिछाने के बाद उस पर गिट्टियां रोप दी जाती है। ताकि फिसलन न हो। इस डामर की एक खूबी यह भी है कि यह भारी लोड सहन कर सकता है। ऐसी डामर से बनी सड़क पर 20-25 टन के वाहन भी गुजर जाए, तो फर्क नहीं पड़ता और न ही सड़क पर ब्रेक लगता है।
लक्ष्य है कि 10 दिनों में हालात वापस सामान्य हो जाए और शहर में जनजीवन सामान्य रूप से चलने लगे। हर सोमवार को होने वाली समीक्षा बैठक में सिंहस्थ के कार्यों पर चर्चा होती है और उसकी रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री को भेजी जाती है। सिंहस्थ में आने वाले वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए एक घाट केवल बुजुर्गों के लिए रखने की व्यवस्था पर विचार हो रहा है। ऐसे घाट तक पहुंचने के लिए वाहनों का प्रबंध भी रहेगा और अगर किसी को जरुरत पड़े, तो व्हीलचेयर से ही घाट तक पहुंचा जा सकेगा। यह बात इसलिए रखी गई कि सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं में एक बड़ी संख्या ऐसे बुजुर्गों की होती है, जो व्हीलचेयर का सहारा लेते है। अब प्रशासनिक अधिकारी भगवान महाकाल से प्रार्थना कर रहे है कि वे संतुलित वर्षा के लिए इन्द्रदेव को मनाए। 

--प्रकाश हिन्दुस्तानी

Monday, July 13, 2015

इस बार ग्रीन सिंहस्थ !



सिंहस्थ 2016 ग्रीन सिंहस्थ होगा। इसके लिए व्यापक तैयारियां की जा रही है। 'ग्रीन सिंहस्थ, क्लीन सिंहस्थ'  का नारा बुलंद किया जा रहा है।

सिंहस्थ 2016 ग्रीन सिंहस्थ होगा। इसके लिए व्यापक तैयारियां की जा रही है। उज्जैन को हरियाली युक्त बनाने की कोशिशें जारी है। वैसे भी बारिश के मौसम में उज्जैन हरा-भरा हो ही जाता है, लेकिन इस बार कोशिश है कि कोई भी जगह ऐसी न छूटे, जहां हरियाली लगाई जा सकती हो और हरियाली नहीं देखने को मिले। सड़कों के डिवाइडर हरे-भरे किए जा चुके है। बगीचों में हरियाली का विशेष ध्यान रखा जा रहा है और ग्रीन सिंहस्थ, क्लीन सिंहस्थ का नारा बुलंद किया जा रहा है। इस नारे के स्पीकर उज्जैन के हजारों वाहनों पर नजर आ रहे है। उज्जैन जाने वाले रास्तों पर जहां भी माइल स्टोन लगे हैं, उन पर 'सिंहस्थ 2016' भी जोड़ दिया गया है। 

उज्जैन शहर और सिंहस्थ मेला क्षेत्र को हरा-भरा बनाने का काम नगर निगम और वन विभाग कर रहा है। यह हरियाली ऐसे लगाई जा रही है मानो उज्जैन कोई मेट्रो सिटी हो। सिंहस्थ क्षेत्र में आने वाले सभी लोगों को सुकून का एहसास हो, इसके लिए तमाम सुविधाएं जुटाई जा रही है। इस बार सिंहस्थ मेला क्षेत्र का आकार लगभग दोगुना से भी ज्यादा होने की संभावना है। सिंहस्थ के लिए प्रशासन ने 3061 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की है। इसलिए किसानों की जमीनें अस्थायी तौर पर अधिग्रहित की जाने वाली है। किसानों की उस जमीन पर खेती की दो फसलें नहीं ली जा सकेंगी। कोशिश है कि वह जमीन भी अस्थायी तौर पर ही सही, हरि-भरी नजर आएं। प्रशासन किसानों को दो फसलों का मुआवजा देने वाला है। जिन किसानों ने फसल बो दी है और वे अगर एक फसल ले लेते है, तो उन्हें एक फसल का ही मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए पटवारी सर्वे कार्य में लग गए है, वे खेत-खेत जाकर हालात का जायजा ले रहे है। 


प्रशासन ने पूरे मेला क्षेत्र का डिजिटल ज्योग्रोफिकल इन्फरमेशन सिस्टम पर आधारित नक्शा तैयार कर लिया है। इसी के आधार पर मुख्य सड़कों और छोटे मार्गों का मेपिंग हो रहा है। पचास लेयर में तैयार इस नक्शे से हर विभाग को यह पता चल जाएगा कि कहां-कहां कौन-कौन सी गतिविधियां हो रही है और किस तरह की सुविधाएं श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई जा रही है। पार्किंग स्थलों या घाट की सुविधाएं एप्रोच रोड हो या पेशवाई मार्ग, बिजली सप्लाई की स्थिति हो या ड्रेनेज की व्यवस्था, हेल्प काउंटर्स की जानकारी हो या एटीएम की मौजूदगी- झोन वार और सेक्टर वार हर जानकारी व्यवस्थित की जा रही है। नक्शे के साथ ही संबंधित विभागों के प्रभारी अधिकारी, कर्मचारी, सर्विस प्रोवाइडर आदि के मोबाइल नंबर भी उपलब्ध रहेंगे। 
पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावनाओं को देखते हुए दस हजार से भी अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये कर्मचारी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे। इस सुरक्षा व्यवस्था में आपातकालीन स्थिति में होने वाली किसी भी घटना या दुर्घटना के लिए बचाव के पूरे प्रबंध होंगे। सिंहस्थ में आने वालों पर पूरी निगरानी रहेगी। भिखारियों को स्नान घाट, प्रवेश द्वार और निकासी मार्गों से दूर कर दिया जाएगा। छोटे बच्चों को भीख मांगते पाए जाने पर पुलिस हरकत में आ जाएगी। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि भिखारियों के वेश में असामाजिक तत्वों का प्रवेश आसान होता है। कर्मचारियों को ट्रेनिंग इस तरह दी जा रही है कि वे भिखारियों पर सतत् निगाह तो रखेंगे ही, आवश्यकता पड़ने पर खुद भी कोई कार्रवाई कर सकेंगे। मानवीय पहलुओं का भी यहां ध्यान रखा जाएगा। 

यह सिंहस्थ कई मामलों में अनूठा रहने की संभावना है। यह तो वक्त ही बताएगा कि दुनिया के इस सबसे बड़े मेले को लोग भविष्य में किस तरह याद रखते है। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

Monday, July 06, 2015

उज्जैन को वैश्विक ख्याति दिलाने की कोशिश



सिंहस्थ में इस बार पर्यावरण, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, धार्मिक एकता, पारस्परिक सौहार्द बढ़ाने और समसामयिक वैश्विक सरोकारों से जोड़ने की कोशिश भी की जाएगी।  


सिंहस्थ 2016 के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते है कि उज्जैन की ख्याति विश्वभर में एक विशिष्ट नगर की तरह हो। इस मौके पर उज्जैन को विशेष जिले के रूप में प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए है। उज्जैन जिले के सभी विभागों में खाली पदों को भरने का काम प्राथमिकता से किया जाएगा। दिसम्बर 2015 तक सभी निर्माण कार्य पूरे करने का लक्ष्य भी है। उज्जैन के विकास और प्रबंध से जुड़े करीब 650 करोड़ रुपए के कार्यों को भी मंजूरी दी गई है। सरकार का दावा है कि सिंहस्थ 2016 के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर के जितने काम किए जा रहे है, उतने अतीत में कभी नहीं किए गए है। 

सिंहस्थ संबंधी कार्यों में केवल निर्माण कार्य ही शामिल नहीं है। पर्यावरण, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, धार्मिक एकता, पारस्परिक सौहार्द बढ़ाने और समसामयिक वैश्विक सरोकारों से जोड़ने की कोशिश भी इस सिंहस्थ में की जाएगी। 2004 के सिंहस्थ के मुकाबले इस बार लगभग दो गुने श्रद्धालु आने की संभावना है। अनुमान है कि 20 लाख लोग सिंहस्थ के दौरान स्थायी रूप से रहेंगे। सिंहस्थ और उज्जैन की महिमा को विश्व स्तर पर प्रचारित करने की कोशिशें जारी है। कोशिश है कि सिंहस्थ 2016 पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति का संदेश देने वाला मंच बने। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिंहस्थ को एक वैश्विक आध्यात्मिक आयोजन कहते हैं। 



सिंहस्थ के मौके पर उज्जैन आने वाले पर्यटक मध्यप्रदेश के वनों, जीव-जंतुओं और सांस्कृतिक विरासत तथा कला की धरोहर से परिचित हो सकें, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे है। अनुमान है कि सिंहस्थ पर आने वाले श्रद्धालु मध्यप्रदेश के इन प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक नगरों के भी दर्शन करेंगे। खजुराहो में होने वाले नृत्य महोत्सव को नए सिरे से आकल्पित किया जा रहा है। नर्मदा जयंती पर आयोजित होने वाले दीप दान महोत्सव, मालवा में होने वाले गणेश विसर्जन, मालवा व निमाड़ के भगोरिया, महाकौशल के दुर्गा पूजन जैसे आयोजनों को उज्जैन आने वाले लोगों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बनाने की कोशिश जारी है। 


अनिवासी भारतीयों को सिंहस्थ दर्शन के लिए आमंत्रित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री स्वयं अगुवाई करेंगे। योग और आयुर्वेद पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की योजना है। नैतिक शिक्षा के प्रचार के लिए भी आयोजन किए जा रहे है। सिंहस्थ के दौरान प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध होने वाला है। श्रद्धालुओं से कहा जा रहा है कि वे सिंहस्थ के दौरान नदी के तट पर कपड़ों की धुलाई से बचे और नोकाओं की सवारी के वक्त ओवरलोडिंग न होने दें। पूजा और अनुष्ठान में प्रयोग होने वाली सामग्री को नदी में विसर्जित करने से बचने की सलाह भी दी जा रही है। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी