Tuesday, August 12, 2014

लोकसभा की स्पीकर्स गैलरी में इंदौरीलाल

वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (26 जुलाई 2014)


लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा ताई की दरियादिली के कारण मुझे भी इंदौर  के एक  प्रतिनिधिमंडल के साथ  लोकसभा और राज्य सभा कार्यवाही देखने  का सौभाग्य मिला। जितना विलक्षण अनुभव लोकसभा की कार्यवाही रहा, उससे ज़्यादा विलक्षण रहा कार्यवाही को देखने गए इंदौरियों को देखने का। अब अपनी ताई इंदौर की हैं तो उनके स्टॉफ  में भी इंदौरी  हैं ही।  इन इंदौरी भियाओं ने अपन लोगों की भोत मदद करी। अच्छा लगा कि दिल्ली में भी अपनेवाले लोग हेंगे। 

अब लोकसभा तो लोक सभा है !  लोकतंत्र का सबसे बड़ा मन्दिर। तभी तो नए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  गत 20  मई को वहां जाने पर की सीढ़ियों पर मत्था टेकने रुक गए थे। संसद जाकर बहुत ही अच्छा लगा। ऐसा महसूस कि अपन भी वीवीआईपी हैं। संसद के सदन में  नहीं, तो स्पीकर्स की गैलरी में  ही सही। यहाँ तक भी कितने लोग आ पाते  हैँ ज़िन्दगी में? पहले दर्शक दीर्घा तक आना हुआ था पर स्पीकर्स गैलरी की बात अलग है क्योंकि यहाँ से आप प्रधानमंत्री और स्पीकर को सीधे-सामने देख सकते हैं।  

तमाम तरह की सुरक्षा जांचों का  सामना करने और अपना मोबाइल, बटुवा, पेन, काग़ज़ात आदि को  सुरक्षा कक्ष में  जमा करने के बाद स्पीकर्स गैलरी तक पहुँचने में सफलता  मिली। इंदौरीलाल को लगा कि ताई अपनी हैं तो संसद भी अपनी। बड़ा झटका लगा कि बेहद अनुशासन में रहना पड़ा। बेचारे पान गुटके वाले परेशान! सब बाहर ! बिना गुटके के मन लगाना मुश्किल! सुपारी तक अलाउ नहीं की उन्होंने। खैर, किसी तरह गैलरी तक पहुंचे! सटी हुई प्रेस दीर्घा में परिचित को देखकर रहा नहीं गया।  हाथ लहराते हुए चिल्लाए --''भिया कैसे हो?'' जवाब में सामने वाला मुस्करा दिया। तभी सुरक्षाकर्मी टपक पड़ा -- ''सर, क्या कर रहे  हैं? कृपया शांत बैठिए।'' 

   ''शांत ही तो बैठे हैं। खाली राम राम किया है।''

   ''आप संसद में हैं!'' सुरक्षाकर्मी याद दिलाकर  गया। 

    ''अरे ! वो देख हेमा मालिनी ! किरण खेर ये बैठी  और वो देख शत्रुघ्न सिन्हा!''

    ''सर, यहाँ आप बात नहीं कर  सकते'' सुरक्षाकर्मी फिर टपका।

    ''सॉरी भिया''

   इंदौरीलाल थोड़ी देर चुप रहा  फिर फुसफुसाया -'' बड़ी गर्मी है यहाँ '' और फिर उसने अपनी कमीज़ के तीन बटन खोल डाले जिससे उसकी भव्य तोंद साफ़ नज़र आ रही थी। 

    संसद में तो चप्पे चप्पे पर कैमरे लगे हैं. वो सुरक्षाकर्मी फिर दौड़ा आया --'' क्या कर रहे हैं आप? बटन लगाइए। शिष्टाचार समझिए आप!'' उसकी आवाज कुछ तल्ख़ हो चली थी। 

   ''गर्मी लग रही है''   जूते के लैस खोलते हुए इंदौरीलाल ने कहा। 

   ''आप यहाँ जूते निकालकर नहीं बैठ सकते।'' सिक्योरिटी वाले ने  कहा.

   जूते में पैर डालते  हुए इंदौरीलाल अपने प्राइवेट अंग को खुजाने लगा. ''ठीक है। ''

सुरक्षाकर्मी  बोला --''… ठीक नहीं  है !  आप यहाँ बैठकर इस तरह खुजा नहीं सकते। ''

इंदौरीलाल ने कुछ नहीं कहा और मुंह बनाकर बैठ गया। बुदबुदाते हुए उसने कहा -- मोबाइल नहीं,  पेन नहीं,  बात न करो, बटन  बंद रखो, जूते अटकाकर रखो, खुजली मत करो। क्या जगह है! 

   पांच मिनिट बाद ही इन्दौरीलाल  झपकी लगी। 

सुरक्षाकर्मी फिर आया और कहने लगा --''सर, आपका समय हो गया  है. आप जा सकते  हैं। '' और फिर उसने सम्मानपूर्वक इंदौरीलाल को उठाया और  दरवाजे तक छोड़ने के लिए बाहर आ गया। 
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