Wednesday, October 21, 2015

परीक्षा एक माह पहले ; सिंहस्थ में विद्यार्थी होंगे तनावमुक्त


सिंहस्थ 2016 (17) 

22 अप्रैल से 21 मई 2016 तक सिंहस्थ का आयोजन होने वाला है। यह वह वक्त होता है, जब विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी में व्यस्त होते हैं। सिंहस्थ के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का प्रदेश में आना होता है और उनमें से कई लोग अपने रिश्तेदारों के यहां रुकते भी हैं। माध्यमिक शिक्षा मंडल और इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में सिंहस्थ को देखते हुए विद्यार्थियों को तनावमुक्त रखने का फैसला किया है। मार्च तक 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं और विक्रम तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की अन्य वार्षिक परीक्षाएं भी ले ली जाएंगी। बोर्ड की परीक्षाएं इस बार एक महीने पहले शुरू हो जाएंगी और फरवरी तथा मार्च के महीने परीक्षाओं के होंगे। सिंहस्थ के मद्देनजर शिक्षण सत्र को एक महीने पहले ही खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। 

पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों को इस शिक्षण सत्र में परीक्षाएं लेकर पहले ही मुक्त कर दिया जाएगा। जिला बोर्ड और विद्यालयों की परीक्षाएं भी मार्च तक खत्म करने का लक्ष्य है। इससे विद्यार्थी तो तनावमुक्त रहेंगे ही, वे खुद भी सिंहस्थ की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे। 

सिंहस्थ को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी परीक्षाएं पहले कराने का निर्णय लिया है। उज्जैन का विक्रम विश्वविद्यालय तो पहले परीक्षा करा ही रहा है, इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय भी सिंहस्थ को देखते हुए जल्दी परीक्षा कराने की तैयारी में है। स्नातक कक्षाओं का चौथे सेमेस्टर का रिजल्ट पिछले दिनों ही जारी हुआ है। अब नवंबर में पांचवें सेमेस्टर की और मार्च में छठें सेमेस्टर की परीक्षाएं कराने की योजना है। स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों को भी स्नातक पाठ्यक्रम के पांचवें सेमेस्टर के साथ ही बैठने का मौका मिलेगा और मार्च में उनका भी छठां सेमेस्टर सम्पूर्ण हो जाएगा। 

विश्वविद्यालयों की कोशिश है कि इस बार परीक्षा परिणाम भी जल्दी से जल्दी जाहिर कर दिए जाए। लक्ष्य है कि परीक्षा समाप्त होने के 15 दिनों के भीतर रिजल्ट विद्यार्थियों को सौंप दिए जाए। प्रोफेशनल कोर्सेस के परीक्षा कार्यक्रमों में खास परिवर्तन नहीं किए जा रहे है, क्योंकि वहां विद्यार्थी सीमित संख्या में होते हैं। एमबीए, एमसीए, एमबीबीएस, बीडीएस जैसे प्रोफेशनल कोर्सेस में विद्यार्थियों को ज्यादा परेशानी न हो, इसकी कोशिश भी की जा रही है। 


सिंहस्थ मेला क्षेत्र में किसानों की जमीनों का अधिग्रहण अस्थायी तौर पर किया गया है। उन स्थानों पर विकास कार्य जारी है और प्लॉट काटने का काम चल रहा है। यह प्लॉट अस्थायी तौर पर दिए जाने है। किसानों को सिंहस्थ के दौरान फसल की हानि के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई की जा रही है। इसलिए सभी किसानों से अपील की गई है कि वे अपनी पासबुक संबंधित पटवारी के पास जमा करे, ताकि उनके मुआवजे की राशि उनके खाते में जमा की जा सके। 

पश्चिम रेलवे ने उज्जैन और शाजापुर जिले के उज्जैन शहर से करीब के स्टेशनों पर विशेष व्यवस्था करना शुरू किया है। सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए जो ओवरब्रिज बनाए जा रहे है, उनका काम तेज गति से चल रहा है। उज्जैन के करीब चिंतामणि गणेश रेलवे क्रासिंग और जीरो प्वाइंट पर लोक निर्माण विभाग ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। एमआर-10 और एमआर-5 पर टू लेन ब्रिज भी बनाए जा रहे है और यह दिसंबर तक पूरे हो जाएंगे।

--प्रकाश हिन्दुस्तानी

Thursday, October 08, 2015

सिंहस्थ में होगी 12 वर्षों से चल रहे महामृत्युंजय यज्ञ की पूर्णाहुति

सिंहस्थ 2016 (16) 


22 अप्रैल से 21 मई 2016 तक आयोजित होने वाले सिंहस्थ 2016 महाकुंभ में इस बार एक अनोखा कार्य होने वाला है। वह कार्य है संत मौनी बाबा के आश्रम में 11 साल पहले शुरू हुए महामृत्युंजय यज्ञ की पूर्णाहुति का। यह यज्ञ विगत सिंहस्थ में प्रारंभ हुआ था और 11 वर्ष से लगातार जारी है। श्री गंगाघाट पर स्थिर मौनी बाबा आश्रम में यज्ञ के साथ-साथ अनुष्ठानों का सिलसिला भी जारी है। यह अनुष्ठान और यज्ञ मौनी बाबा के शिष्य संत शुभम भाई के मार्गदर्शन में संचालित हो रहे है। 


सिंहस्थ 2016 मेंं ही पुराने यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ फिर से महामृत्युंजय यज्ञ की स्थापना की जाएगी और यह यज्ञ भी 12 वर्षोें तक अखंड रूप से संचालित किया जाता रहेगा। इस यज्ञ की पूर्णाहुति सन् 2028 में होने वाले सिंहस्थ के दौरान की जाएगी। इन दोनों आयोजनों में संत श्री मौनी बाबा के दुनियाभर में फैले लाखों भक्त उपस्थित होंगे। पचास से अधिक देशों में मौनी बाबा के भक्त है, जो सिंगापुर, इंडोनेशिया, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, नार्वे आदि देशों में रहते है। इन विदेशी मेहमानों के लिए भी सिंहस्थ में आवास और भोजन की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए गंगाघाट पर टेन्ट लगाए जाएंगे। मौनी बाबा के भक्त इन व्यवस्थाओं को जुटाने में लगे है। 

श्री मौनी बाबा के गंगाघाट स्थित आश्रम में 12 महीने अन्य क्षेत्र संचालित होता रहता है। यहां श्रद्धालु प्रवचनों के अलावा श्रीराम कथा का भी श्रवण सुन सकेंगे। यह राम कथा श्री सुमन भाई स्वयं करते है। इसके अलावा सिंहस्थ के दौरान अनेकानेक सांस्कृतिक गतिविधियां भी संचालित होती है। 

अनेक सिंहस्थ और कुंभ मेलों में उपस्थित रह चुके अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत नरेन्द्र गिरी जी महाराज मानते है कि अगर सिंहस्थ में 4 व्यवस्थाएं अच्छी हुई, तो सिंहस्थ को सफल कहा जा सकेगा। यह 4 व्यवस्थाएं सरकार और प्रशासन को मिलकर करनी है। श्री महंत महाराज का मानना है कि अगर मेले में यातायात की व्यवस्था सुचारू रहे, शुद्ध पेयजल सभी को आसानी से मिल जाए, सफाई व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाए और क्षिप्रा नदी में शुद्ध जल का प्रवाह होता रहे तो सिंहस्थ की सफलता निश्चित है। 



श्री महंत नरेन्द्र गिरी जी महाराज मानते है कि सिंहस्थ में करोड़ों लोग आने वाले है। ऐसे में मेला क्षेत्र से वाहनों की पार्किंग बहुत दूर की जाती है। ऐसे में अगर श्रद्धालुओं को लोक परिवहन व्यवस्था सुचारू रूप से मिले, तो उन्हें कम से कम पैदल चलना पड़ेगा। इलाहाबाद कुंभ में यहीं व्यवस्था की गई थी। सिंहस्थ में आने वालों में बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोग भी होते है, जो पैदल चलकर लंबी दूरी तय नहीं कर सकते। व्हीलचेयर पर भी बड़ी संख्या में लोग होते है, उनकी सुविधा का ध्यान रखा जाना जरूरी है। 

गरमी के मौसम में सिंहस्थ होने के कारण श्रद्धालुओं को बार-बार पेयजल की आवश्यकता पड़ेगी। उन्हें शुद्ध पानी उपलब्ध कराना एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। यह पानी शुद्ध और नि:शुल्क हो और आसानी से सभी को उपलब्ध हो। सिंहस्थ के मौके पर पेयजल बेचने का धंधा नहीं होना चाहिए। सभी श्रद्धालु पेयजल खरीदने की स्थिति में भी नहीं होते है। 


सिंहस्थ में आने वाले करोड़ों लोगों द्वारा उत्सर्जित मलमूत्र का उचित निपटान भी अनिवार्य है वरना महामारी फैल सकती है। इतना बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को खाने और पीने के लिए शुद्ध भोजन, पानी का मिलना आवश्यक है। गर्मी के कारण खाद्य पदार्थ जल्दी खराब हो सकते है, इसलिए सिंहस्थ के आयोजकों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी। 

सिंहस्थ की कामयाबी इस बात पर निर्भर है कि क्षिप्रा नदी में शुद्ध पानी का प्रवाह सतत् बना रहे। गंदे नालों का पानी क्षिप्रा में न मिल सके। बैराज बनाकर पानी की व्यवस्था की जा सकती है। साधु-संत क्षिप्रा नदी की वर्तमान स्थिति से पहले ही नाराज है। अगर वे सिंहस्थ के अवसर पर स्नान नहीं करेंगे या धरना प्रदर्शन करेंगे, तो प्रशासन के लिए यह डूब मरने वाली बात होगी। 

--प्रकाश हिन्दुस्तानी


दिसंबर तक सिंहस्थ के सभी कार्य पूरे होंगे

सिंहस्थ 2016 (15) 

जैसे-जैसे सिंहस्थ 2016 की तिथि नजदीक आ रही है। प्रशासनिक अमले में तेजी बढ़ती जा रही है। मुख्य सचिव एंटोनी डिसा ने राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को साफ-साफ कहा है कि सिंहस्थ के काम में कोई भी ठिलाई बर्दाश्त के बाहर होगी। सरकार का लक्ष्य है कि सभी काम दिसंबर तक पूरे कर लिए जाए। इन कार्यों में राज्य सरकार के अलावा नगरीय प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी से लगा हुआ है। अन्य विभागों से ही समन्वय बनाकर काम किया जा रहा है। जो कार्य मुख्य रूप से किए जा रहे है, उनमें जल संसाधन विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, लोक निर्माण, लोक निर्माण अभियांत्रिकी और स्वास्थ्य तथा संस्कृति विभाग की गतिविधियां मुख्य है। मुख्य सचिव खुद कार्यों की समीक्षा और निगरानी में लगे हुए थे। अधिकारियों से कहा गया है कि अगर उन्हें काम में कोई भी दिक्कत आ रही हो, तो सूचित करें, ताकि उन्हें दूर किया जा सके। 



मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों की हालात यह है कि सरकार ने उन्हें जो पैसा दिया है वह भी खर्च नहीं हो पा रहा है। सिंहस्थ के लिए अब तक 2400 करोड़ रुपए से ज्यादा मंजूर हो चुके है। इनमें से एक हजार करोड़ रुपए अलग-अलग विभागों को खर्च करना है, लेकिन इस एक हजार करोड़ में से अभी तक केवल 600 करोड़ ही खर्च हो पाए है। सबसे कम खर्च लोक निर्माण विभाग कर पाया है। इसका अर्थ यह हुआ कि लोक निर्माण विभाग को जितने कार्य करने थे वे पूरे नहीं हो पाए है। अब यह हाल है कि दिसंबर तक लोक निर्माण विभाग को रोजाना करीब 3 करोड़ रुपए के कार्य कराने है। 

इसके अलावा अन्य निर्माण कार्यों को भी संभागायुक्त ने मंजूरी दी है। 61 लाख रुपए की लागत से अग्निशमन की सामग्री खरीदी जा रही है। नगर निगम 7-7 लाख रुपए की मोटरसाइकिल आधारित दमकलें खरीदेगा। ये दमकलें छोटी गलियों में भी जा सकेंगी और आग लगने की स्थिति में अग्निशमन कर सकेंगी। जल संसाधन विभाग को एक करोड़ 42 लाख रुपए के चार कार्य और करने है, जिसकी मंजूरी मिल गई है। पर्यटन विकास निगम को मेगा सर्किट में काम पूरे करने के लिए 86 लाख रुपए दिए गए है। राणाजी की छत्रि पर एक अस्थायी कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा, इसके लिए 1 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। नर्मदा-क्षिप्रा लिंक के अंतर्गत मार्ग में पड़ने वाले 11 कल्वर्ट के लिए भी करीब सवा दो करोड़ रुपए मंजूर किए गए है। 




सिंहस्थ क्षेत्र में सेटेलाइट टाऊन और झोन में करीब 1500 दुकानें खोली जाएगी। इन दुकानों का आकार 11 वर्गफीट से लेकर 400 वर्गफीट तक का होगा। न्यूनतम 20 रुपए प्रति वर्ग फुट शुल्क दुकानदारों से लिया जाएगा। इसके लिए भी आवेदन मंगाए जा रहे है। मेले में पान, बीढ़ी, गुटखा, मांंस, मछली, मदिरा आदि के लिए कोई भी दुकान नहीं दी जाएगी। सभी पैदल मार्गों पर अस्थायी मिल्क पार्लर खोले जाएंगे। मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पाद संघ के सांची ब्रांड के सभी उत्पाद यहां मिलेंगे। खाद्य आपूर्ति निगम साधु-संतों के डेरों के अस्थायी राशन कार्ड भी बनाएगा। 

मध्यप्रदेश सरकार ने सिंहस्थ की ब्रांडिंग के लिए तरह-तरह के उपाय शुरू किए है। इनमें अंतरराष्ट्रीय विमान टिकटों में टिकट के ऊपर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सिंहस्थ आमंत्रण पत्र भी मुद्रित है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले लोगों को सिंहस्थ की जानकारी भी स्वत: ही मिल जाती है। महाप्रभु संप्रदाय के श्री वल्लभराय जी महाराज ने इस व्यवस्था पर संतोष प्रकट किया है। श्री वल्लभ संप्रदाय के संत इस बार निर्मोही अखाड़े के संतों के साथ क्षिप्रा स्नान करने वाले है।

--प्रकाश हिन्दुस्तानी


Friday, October 02, 2015

सिंहस्थ के पहले 357 गांव होंगे स्मार्ट विलेज?

सिंहस्थ 2016 (14)

सिंहस्थ 2016 के पहले उज्जैन क्षेत्र के 357 गांवों को स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करने की योजना हैं। सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालु इन गांवों में जाकर सुखद अनुभूति लेकर वापस लौटेंगे। इन गांवों को स्मार्ट बनाने की योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसके लिए कार्यशालाएं आयोजित हो रही है। इन कार्यशालाओं को स्मार्ट विलेज-स्मार्ट    पंचायत नाम दिया गया है। 




इन स्मार्ट विलेज में नशा बंदी रहेगी। समाज में कोई कुरीति और कुप्रथा सहन नहीं की जाएगी। गांव वालों के आपसी झगड़े फसाद भी बातचीत से निपटाए जाएंगे। गांव में सफाई का पूरा ध्यान रखा जाएगा और खुले में शौच जाने की नौबत नहीं आने दी जाएगी। सभी गांवों में सभी घरों में शौचालय होंगे। राज्य सरकार ने योजना बनाई है कि अगर यह गांव स्व करारोपण से 20 लाख रुपए इकट्ठे कर लेंगे, तो उन्हें सरकार की तरफ से 40 लाख रुपए और दिए जाएंगे, जिससे वे विकास के कार्य कर सकेंगे। 

इन 60 लाख रुपयों से गांव में आधारभूत संरचना तैयार की जाएगी। स्कूल भवन, आंगनवाड़ी, खेल का मैदान, पेयजल योजना, गांव की आंतरिक सड़कों का कांक्रीट से निर्माण, कचरे का प्रदूषणहीन निपटारा, वृक्षारोपण, हाट बाजार का निर्माण, राशन की दुकान, उपस्वास्थ्य केन्द्र, शांतिधाम, पंचायत भवन आदि का निर्माण कराया जा सकेगा। मुख्यमंत्री आवास मिशन योजना के साथ ही गांव के सभी घरों को पक्का बनाने की योजना भी बनाई जा रही है। कोशिश रहेगी कि इन गांवों में वाइफाइ की सुविधा उपलब्ध हो, गांव के सभी घरों की रंगाई-पुताई एक समान हो, गांव के साइन बोर्ड सुंदर हो, स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था पर्याप्त हो। 

प्रशासन की कोशिश है कि गांव के 5 किलोमीटर क्षेत्र के भीतर ही पोस्ट ऑफिस और बैंकिंग की सुविधा भी उपलब्ध हो। प्लास्टिक के कचरे से निपटने के लिए योजना बनाई जा रही है कि प्लास्टिक का कचरा 18 रुपए प्रति किलो खरीदा जाए और फिर उसका उपयोग सड़क बनाने में हो। 

इन सभी गांव का चयन पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने किया है। उज्जैन जिले के 67, नीमच के 32, मंदसौर के 67, रतलाम के 73, देवास के 37, धार के 19, झाबुआ के 33, शाजापुर के 13 और आगर-मालवा के 16 गांव इस स्मार्ट ग्राम योजना में शामिल होंगे। पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने पंचायतों से कहा है कि गांव के विकास में धन की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। 

मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव एन्टोनी डिसा ने भी सिंहस्थ 2016 के सभी आयोजनों को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने को एक बड़ी चुनौती माना है। मुख्य सचिव का कहना है कि निर्माण कार्य तो लगभग पूर्ण होने को है। अभी हमें ट्रैफिक मैनेजमेंट और लाजिस्टिक की व्यवस्था बेहतर तरीके से करना है। सिंहस्थ के दौरान बैंकिंग सेवाओं के लिए 12 बैंक सामने आई है, जिनमें से दो ने मेला कार्यालय में बैंकों के संचालन के लिए एमओयू पर दस्तखत भी कर दिए है। सिंहस्थ के दौरान महांकाल मंदिर के सामने वाला संपूर्ण हिस्सा और सुंदर कराया जाएगा। अभी महांकाल मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही पुलिस चौकी, जूता-चप्पल स्टैंड, प्याऊ और टीन शेड होने से सुंदरता प्रभावित हो रही है। मंदिर के नए निर्गम द्वार का निर्माण भी किया जा रहा है। निर्गम के पास ही एक संग्रहालय बनाया जा रहा है, जहां भगवान महांकाल के मुखौटे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखे जाएंगे। 

नासिक कुंभ में आए शंकराचार्य और अखाड़ा परिसर के अध्यक्ष से सिंहस्थ के अधिकारियों ने नासिक में मुलाकात की और उन्हें सिंहस्थ में आने का निमंत्रण भी दिया। नासिक में सभी 13 अखाड़ों के श्रीमहंत को भी आमंत्रित किया गया है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का शिविर सिंहस्थ के दौरान रुद्रसागर में रहेगा। 

--प्रकाश हिन्दुस्तानी

मानव कल्याण के लिए धर्म


सिंहस्थ 2016 (13)
सिंहस्थ के पहले धार्मिक आध्यात्मिक सम्मेलन

सिंहस्थ 2016 के पहले इस बार एक अनूठा आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन सर्वधर्म समभाव  की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी होगा। इससे सिंहस्थ की भूमिका भी तैयार होगी और यह ऐसी भूमिका होगी, जो केवल परंपराओं का निर्वाह करने के लिए नहीं, मानवता के लिए उठाया गया एक कदम होगा। यह कदम है अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन। इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेन्शन सेन्टर में इस आयोजन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है।

24 से 26 अक्टूबर 2015 तक होने वाले इस सम्मेलन का विषय है मानव कल्याण के लिए धर्म। इस आयोजन में दुनियाभर के सभी प्रमुख धर्मों के गुरु और शिक्षाविद सम्मिलित होंगे। मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग के इस आयोजन में सांची का बौद्ध-भारतीय ज्ञान, अध्ययन, विश्वविद्यालय और नई दिल्ली का इंडिया फाउंडेशन भी योगदान दे रहा है। 

इस आयोजन में करीब 100 प्रमुख धर्मगुरु और करीब एक हजार विशिष्ठ विद्वान सम्मिलित होंगे। इसका उद्देश्य यह भी है कि मानव कल्याण के लिए सभी धर्मों में कहीं गई बातों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। 29 देशों के धर्मगुरु विचारक और चिंतक इस आयोजन में शामिल होने के लिए जापान, चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, नेपाल, सिंगापुर, म्यांमार, कम्बोडिया, थाईलैंड आदि देशों से आने वाले है। 


सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में लोकसभा की स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भूटान के विदेश मंत्री श्री लोम्पो डोम्चो दोर्जी शामिल होंगे। 24 अक्टूबर को इस आयोजन का उद्घाटन कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री स्वामी जैन सरस्वतीजी करेंगे। समापन सत्र में 26 अक्टूबर को आर्ट ऑफ लीविंग के श्रीश्री रविशंकर केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री महेश शर्मा, मध्यप्रदेश के संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा और केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन के श्री लोब सांग सांगे उपस्थित रहेंगे। 

धर्म के मार्ग से एकता, बंधुत्व, शांति, समृद्धि और जनकल्याण किस तरह हो इसी पर चर्चाएं होंगी। मुख्य सत्र के साथ ही 6-6 समानांतर सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों में विश्व शांति पर्यावरण और प्रकृति, मानव गौरव, बहुवचनवाद, सहअस्तित्व, नैतिक व आध्यात्मिक मूल्य आदि पर चर्चा करेंगे। 

सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा होगी, वे हैं-

1. विश्व शांदि की स्थापना में धर्मों का क्या महत्व है। 
2. पर्यावरण संतुलन में धर्मों का योगदान।
3. मानव गरिमा की रक्षा और लैंगिंग समानता को धर्म कितना बढ़ावा दे रहे है इस मुद्दे पर चर्चा करना।
4. सामाजिक न्याय की स्थापना में धर्मों की भूमिका।
5. मानवता को सेहतमंद और आध्यात्मिक लाभ पहुंचाने वाले योग तत्व और यौगिक क्रियाओं की चर्चा करना। 
6. ज्ञान का स्थान विभिन्न धर्मों में कौन-सा है?
7. धार्मिक बहुलता वाले देशों में मिल-जुलकर रहने के बारे में धर्म क्या कहता है?
8. सामाजिक सेवा के बिना धर्म का उल्लेख नहीं किया जा सकता। सामाजिक सेवा के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 130 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाने हैं। यह शोध पत्र हिन्दी और अंग्रेजी में होंगे। इस सम्मेलन के लिए विद्वानों ने आने की स्वीकृति दे दी है और अब इस आयोजन को सिंहस्थ 2016 के संदर्भ में देखा जा रहा है। कोशिश है कि सिंहस्थ केवल धार्मिक अनुष्ठान बनकर न रहे, बल्कि संपूर्ण आध्यात्मिक आयोजन भी बने। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

Wednesday, September 02, 2015

दुकानदार और कर्मचारी यूनिफार्म पहनेंगे

सिंहस्थ 2016 (12)


सिंहस्थ 2016 में कुछ अनोखी चीजें होने वाली हैं। मेला क्षेत्र में सभी दुकानदार और उनके कर्मचारी यूनिफार्म में नजर आएंगे। जिला प्रशासन और मेला आयोजक इस बारे में एक मत है। दुकानदारों और कर्मचारियों को यूनिफार्म पहनने की अनिवार्यता के पीछे यह तर्क है कि इससे पुलिस और प्रशासनिक कर्मचारी और अधिकारियों को उन्हें पहचानने में सुविधा होगी। वे श्रद्धालुओं से अलग दिखेंगे और किसी भी मामले में उनसे मदद लेना या उन्हें मदद देना आसान होगा। मेले को सफलतापूर्वक आयोजित करने के जो दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं, उसमें दुकानदारों और कर्मचारियों की भूमिका भी प्रमुख होगी। 

सिंहस्थ मेले में मेला क्षेत्र में लगी सभी होटलों, डेयरी की दुकानों किराना और नमकीन की दुकानों पर इस तरह की यूनिफार्म अनिवार्य होगी। यह भी तैयारी है कि क्षिप्रा के किनारे खाने-पीने का सामान बेचने वाले सभी ठेले और गुमटी वालों को मेले के दौरान वहां से हटाया जाएगा, ताकि भारी भीड़-भाड़ में खाद्य पदार्थों की शुद्धता बनी रहे और खाने के अवशेष यहां-वहां न बिखरे पड़े हो। मेला प्रशासन की कोशिश तो यह भी है कि मेला क्षेत्र में लगी अस्थायी दुकानें एक जैसे रंग से पुती हुई हो। अभी दुकानों और यूनिफार्म के रंग के बारे में निर्णय लेना बाकी है। प्रशासन अभी सभी व्यापारिक संगठनों से बातचीत कर रहा है और इसके बाद ही यह रंग तय किया जाएगा। प्रशासन को लगता है कि इससे सिंहस्थ की रौनक अलग नजर आएगी और कर्मचारियों में भी भागीदारी की भावना जागृत होगी। 


उज्जैन में सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालओं को जानकारी देने के लिए पूरे उज्जैन और आसपास के इलाकों में जानकारी देने वाले होर्डिंग्स लगाने की योजना है। ये होर्डिंग्स श्रद्धालुओं को जानकारी तो देंगे ही, उनके ज्ञान को बढ़ाएंगे और मनोरंजन भी करेंगे। इन होर्डिंग्स पर सिंहस्थ की तस्वीरों और जानकारी के अलावा कार्टून भी होंगे। बेहतरीन होर्डिंग्स के लिए होर्डिंग बनाने वाली संस्थाओं के बीच प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। 

आकाशवाणी की तरफ से सिंहस्थ के दौरान विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाने वाला है। इस बारे में आकाशवाणी के अतिरिक्त महानिदेशक राजशेखर व्यास दिल्ली से आकर आयोजन की रुपरेखा मना चुके हैं। आकाशवाणी के ये कार्यक्रम उज्जैन में विभिन्न स्थानों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों से भी सुनाए जाएंगे। 

इसी बीच सिंहस्थ को ग्लोबल इवेंट बनाने के लिए यूएसए, यूके, यूरोप, इंडोनेशिया, फिजी, मोरिशस आदि देशों में प्रचारात्मक गतिविधियां आयोजित करने की तैयारी चल रही है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इस दिशा में पहला आयोजन 2 से 5 नवंबर के बीच लंदन में होने वाले वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट में होगा। इसकी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार की कोशिश है कि अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भारतीय सांस्कृतिक प्रतिनिधियों को भेजकर सिंहस्थ के प्रति जागरुकता बनाई जाए। 

जर्मनी के बरलिम में होने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मेले में भी मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम सिंहस्थ को लेकर ब्रांडिंग करेगा। यह आयोजन 9 से 13 मार्च को होने वाला है। इसके अलावा भारत के विभिन्न नगरों में भी सिंहस्थ को लेकर आयोजन होने वाले हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य सिंहस्थ के बारे में प्रचार करना तो है ही, मध्यप्रदेश पर्यटन को भी बढ़ावा देना हैं। इस कड़ी में पहला आयोजन नागपुर में 14 सितंबर को, पुणे में 10 अक्टूबर को, सूरत में 20 नवंबर, मुंबई में 11 दिसंबर, हैदराबाद में 15 जनवरी 2016 और अहमदाबाद में 12 फरवरी 2016 को इस तरह के आयोजन होंगे। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

Dr Prakash Hindustani Photo अमेरिकी डायरी के पन्ने


अमेरिकी डायरी के पन्ने




































Thursday, August 27, 2015

सिंहस्थ : अंतिम विचार-मंथन उज्जैन में

सिंहस्थ 2016   (11)





हर बार सिंहस्थ में कई अनूठी बातें होती हैं. साधु संतों और श्रद्धालुओं का स्वागत करनेवाले लोगों को बिरले अनुभव होते हैं. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. अधिकारियों को ऐसे ऐसे अनुभवों से गुजरना होता है, जिसके बारे में उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. अब साधु- संतों की धूनी के लिए इंतज़ाम करना कोई आम बात तो है नहीं! इतनी बड़ी सांखे में आनेवाले साधु संतों की ढूनी तक के लिए विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं.
श्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन के महाकाल मंदिर में (चित्र 2013 का)

श्री रामादल अखाड़ा परिसर ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सिंहस्थ में आने वाले साध-संतों के लिए अस्थायी भूखंड, बिजली और पानी की तरह ही धूनी और तपस्या के लिए मुफ्त में लकड़ी उपलब्ध कराई जाए। इसी मांग के आधार पर वन विभाग ने अपनी तैयारी पूरी कर दी है।

वन विभाग सिंहस्थ 2016 की तैयारियों में पूरे जोर से जुट गया है। यह बात विचित्र लगती है कि वन विभाग का सिंहस्थ मेले में क्या काम? वन विभाग के कर्मचारी तो मेले की तैयारियों में लगे ही है, कुछ विशेष जिम्मेदारियां भी वन विभाग को सौंपी गई है। इसमें से एक जिम्मेदारी है सिंहस्थ में आने वाले लाखों संतों के लिए धूनी रमाने के लिए धूनी की व्यवस्था करना। धूनी अर्थात राख एक विशेष तरह के वृक्ष की ही होनी जरूरी है और यह वृक्ष उज्जैन या उसके आसपास बहुत ही कम पाए जाते है। साधु-संतों का मानना है कि धूनी के लिए साल के वृक्ष की लकड़ी ही अच्छी मानी जाती है, इसलिए नर्मदा नदी के उद्गम स्थल के पास अमरकंटक के जंगलों से यह लकड़ी मंगवाई जा रही है। लकड़ी की धूनी के अलावा गाय के गोबर के कंडों का इंतेजाम भी किया जा रहा है। साल प्रजाति की पांच हजार क्विंटल लकड़ी के अलावा वन विभाग 75 हजार क्विंटल जलाऊ लकड़ी की व्यवस्था में भी जुटा है। साधु-संतों को लकड़ी या कंडों के लिए परेशान न होना पड़े, उसके लिए मेला क्षेत्र को अलग-अलग झोन में बांटा गया है और वहां लकड़ी के पांच डीपो खोले जा रहे है। 

सिंहस्थ के प्रचार-प्रसार के दौरान प्रशासन ने स्लोगन प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें एक से बढ़कर एक स्लोगन लोगों ने भेजे। अच्छे स्लोगन को पुरस्कार दिए जा रहे है। एक-एक हजार रुपए के दस पुरस्कार जिन स्लोगन पर जीता गया, वे है- ‘सभी का वंदन-अभिनंदन’, ‘धर्म-आस्था का स्नान करेगा तन-मन पावन’, ‘मेला सिंहस्थ का लगाना है, शोभा उज्जैन की बढ़ाना है। गंदगी से इसे बचाना है, खूबसूरत सिंहस्थ बनाना है।’, ‘क्षिप्रा तट संतों का जमघट, फिर छलकेगा अमृत घट’, ‘जन-मन हर्षाया है, सिंहस्थ २०१६ का पर्व आया है’, ‘भिन्नता में एकता सिंहस्थ की विशेषता’, ‘अमृत की चाह है, तो सिंहस्थ की राह है’, ‘मिलेगा पुण्य प्रताप, लें सिंहस्थ का लाभ’, ‘उज्जैन का गर्व सिंहस्थ पर्व’ और ‘उज्जैन की शान सिंहस्थ स्नान’। 

सिंहस्थ की तैयारियों के लिए भोपाल और इंदौर में अनेक आयोजन किए जा रहे है, लेकिन सिंहस्थ का अंतिम विचार-मंथन उज्जैन में ही होगा। इसी कड़ी में 12 से 14 फरवरी 2016 को उज्जैन में सिंहस्थ पर केन्द्रित अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन होने वाला है। इसके पहले इंदौर में एक परिसंवाद होना है, जिसमें मानव कल्याण और धर्म विषय पर चर्चा होगी। भोपाल में होने वाले परिसंवाद में सार्क देशों के पर्यावरण विशेषज्ञ मिलकर चर्चा करेंगे कि पर्यावरण और जल वायु परिवर्तन विषय पर हम क्या सहयोग दें सकते है। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

फिर गति पकड़ने लगी सिंहस्थ की तैयारियां

सिंहस्थ 2016   (10)








नगर निगम के चुनाव सम्पन्न होते ही सिंहस्थ के कार्यों में गति आ गई है। अब चुने हुए प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी एक साथ मिलकर सिंहस्थ की तैयारियों में जुुट गए है। आचार संहिता के कारण अटके हुए काम भी वापस शुरू हो गए है। चुनाव में व्यस्त अफसर अब सिंहस्थ के लिए मुक्त हो गए है। उनके नेतृत्व में सिंहस्थ की तैयारियों की समीक्षा नियमित होती रहती है। बारिश थमने से भी सिंहस्थ के कार्यों में रुकावट खत्म हुई है और निर्माण कार्यों में तेजी आई है। मेला क्षेत्र में कच्ची सड़कों और नालियों का निर्माण पूरी तेजी से होने लगा है, जो अधूरे काम बचे है, वे जल्द ही पूरे किए जा रहे है। 



सिंहस्थ 2016 की तैयारियों में सभी विभागों को शामिल किया जा रहा है। हाल ही में नासिक में सम्पन्न हुए कुंभ की व्यवस्था के जानकारी के आधार पर भी अधिकारियों में चर्चा हो रही है। इस चर्चा में सभी विभागों के लोग शामिल है। इस चर्चा के निष्कर्षों से उन कर्मचारियों से अवगत कराया गया, जो सिंहस्थ में योगदान देंगे। पहले चरण में उन्हें जानकारी दी गई कि वे क्या करें और क्या न करें।  कलेक्टर ने इस आयोजन में शामिल होने वाले सक्रिय कर्मचारियों से कहा है कि उन्हें पांच करोड़ लोगों से भी ज्यादा अतिथियों का स्वागत सत्कार करने का मौका मिलेगा, यह एक दुर्लभ अवसर है। पूरी दुनिया के लोग उज्जैन में आएंगे और उज्जैन से अपनी यादें सहेजकर ले जाएंगे। श्रद्धालु अतिथियों से मृदु व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। उज्जैन साफ-सुथरा रहेगा तो उससे बीमारियां भी फैलने का डर नहीं रहेगा और उज्जैन की छवि भी चमकती हुई रहेगी। 

उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों में पूरे संभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाना है। हर जिले में यह प्रशिक्षण दिया जाएगा और करीब दस हजार कर्मचारी प्रशिक्षित होंगे। इस प्रशिक्षण में सभी विभागों के कर्मचारी अच्छा खासा उत्साह दिखा रहे है। उज्जैन के स्थानीय लोगों का मानना है कि सिंहस्थ के मौके पर आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा वास्तव में भगवान महाकाल की सेवा ही है।


 इस सेवा का अनूठा नजारा तब देखने को मिला, जब प्रशिक्षण के लिए आई एक महिला व्याख्याता ने अपने निशक्त होने को शासकीय सेवा में बाधा नहीं बनने दिया। महाराजवाड़ा स्कूल की दोनों हाथों से निशक्त व्याख्याता हंसा जोशी ने प्रशिक्षण के दौरान जब एक फार्म भरा, तब दूसरे कर्मचारियों को उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षाएं मिली थी और वे मदद के लिए आगे भी आए, लेकिन व्याख्याता हंसा जोशी ने प्रशिक्षण का पूरा फार्म अपने पैर से भरा। उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि वे अपनी निशक्तता को सिंहस्थ में बाधा नहीं बनने देंगे। हंसा जोशी शहीद बलराम जोशी के परिवार की सदस्य है। बचपन से ही किसी बीमारी के कारण उनके हाथ अशक्त हो गए। एक और मजेदार प्रकरण तब देखने को मिला, जब उज्जैन के कलेक्टर कवीन्द्र कियावत ने सरकारी कर्मचारियों से कहा कि वे अपने जेब में शक्कर की पुड़िया लेकर चले। यह शक्कर की पुड़िया उन्हें लो डायबिटीज से तो बचाएगी ही, साथ ही अगर उन्हें कुछ कड़वा बोलना पड़े, तो पहले शक्कर की चुटकी मुंह में डाल ले, उन्हें याद आ जाएगा कि वे सिंहस्थ के लिए सेवाकार्य में लगे है और वे कड़वा बोलने से बच जाएंगे। 

सिंहस्थ की तैयारियों में एक विशेष पुस्तिका का प्रकाशन भी शामिल है, इसका प्रकाशन मेला प्रशासन कर रहा है और यह पुस्तिका केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए होगी। हर कर्मचारी को मिलने वाले पुस्तिका में प्रत्येक सरकारी विभाग के कार्य और जिम्मेदारियों का विवरण तो होगा ही, साथ में सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को नाम और उनके मोबाइल नंबर भी दर्ज होंगे। इस पुस्तिका के माध्यम से कर्मचारी जान सकेंगे कि उन पर क्या-क्या जिम्मेदारी है और कहीं वे किसी दूसरे विभाग के कार्य में हस्तक्षेप तो नहीं कर रहे है। कुछ शंका होने पर पुस्तिका में दर्ज अधिकारी से मोबाइल पर भी चर्चा की जा सकेगी और तत्काल समाधान निकाला जा सकेगा। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी