Monday, July 02, 2012







उसके दुश्मन हैं बहुत, आदमी अच्छा होगा  !!!







यशवंत सिंह ने क्या किया, यह तो पता नहीं, लेकिन उनके खिलाफ मामला बनाकर जिस तरह पेश किया गया, उसे ध्यान से देखने -समझाने के बाद ये कुछ बातें  तो साफ़ हुई .
मुलाहिजा फरमाएं :

यशवंत सिंह ने किसी के साथ कोई मारपीट नहीं की, किसी को एक चांटा तक नहीं मारा, न ही किसी को भी जान से मारा या मारने की कोशिश की. उनके किसी भी कृत्य से किसी को भी खरोंच तक नहीं आई. वरना उन पर दफा 302 , 307 , 323 या 326 लगतीं या लगवाई जातीं.. ये धाराएँ नहीं लगी या लगाईं  नहीं जा सकीं. यानी बन्दे ने किसी के साथ कोई ऐसी हरकत नहीं की है.

यशवंत  सिंह ने किसी की मानहानि भी  नहीं की, जो वे अपने मीडिया पोर्टल के जरिये कर सकते थे, यानी उन्होंने अपने मीडिया पोर्टल भड़ास पर जो कुछ भी प्रकाशित किया, उससे किसी कि मानहानि नहीं हुई, यानी मीडिया पोर्टल पर सारी बातें सही ही प्रकाशित होती रहीं होंगी. अगर उन्होंने किसी की इज्ज़त उतारी होती तो वह शख्स यशवंत के खिलाफ दफा 499 , 500 या 501 का मामला दर्ज कराता. यह नहीं हुआ, यानी उन्होंने जिसजिस के भी खिलाफ जो जो लिखा, सही लिखा.

यशवंत सिंह क्या  रूपर्ट मर्डोक बनना चाह रहे होंगे और इसके लिए रंगदारी यानी एक्स्टार्शन पर उअतर आये होंगे और वह भी किसी और से नहीं, इसी मीडिया के किसी शख्स से? कौन यकीन करेगा?

आजकल अगर आप थोड़े रिसोर्सफुल हैं और थोड़ा खर्चा करने की कूवत रखते हों तो किसी के भी खिलाफ थाने में पव्वा लगाकर केस दर्ज करा दीजिये कि इन्होंने मेरा रास्ता रोका, धमकाया, गाली गलौज किया, दुष्प्रचार किया, बस आपका काम हो गया. कोई सरकारी कर्मचारी तो कुछ कर ही नहीं पायेगा, अगर कोई आजादखयाल इंसान हो तो ऐसी हरकतों से उस व्यक्ति को परेशान किया जा सकता है.

ऐसे लोग क्यों भूल जाते हैं कि वे किसी थाने में सेटिंग कर सकते हैं, किसी अफसर को पता सकते हैं, न्यायपालिका को नहीं बरगला सकते. न्यायालय के सामने सारे तथ्य पहुँचाने दीजिये, यशवंत सिंह की ज़मानत तत्काल हो जायेगी. उनके निंदकों का आभार मानना चाहिए कि इससे बन्दे के दम ख़म का पता बाकी लोगों को भी चल जाएगा. यह पता चल जाएगा कि मीडिया के समंदर में ही कितने बड़े बड़े शार्क हैं जो रोजाना छोटी मछलियों को निगल रहे हैं.  ये लोग चाहते हैं कि शोषित - पीड़ित, दूरस्थ मीडियावालों की बात कहने वाला कोई सामने न आ सके और अगर वह आये तो उसे इतना परेशान कर दो कि दूसरों के लिए नजीर बन जाए. ऐसे व्यक्ति को बदनाम कर दो, शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर दो ताकि वह फिर किसी और की तो क्या अपनी बात भी कहने का साहस न कर सके.

.....पर ऐसा नहीं होगा, और जो होगा  ऐसा लगता है कि मीडिया जगत में कुछ अच्छा, बहुत ही अच्छा होगा. यह उसका पूर्व पाठ है. पुलिस ने जिस वहशियाना तरीके से यशवंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई की , उसकी जितनी  निंदा की जाये, कम है.  पुलिस को इतनी जल्दी क्या थी एफ आई आर की? सुना है कि यूपी में तो एफ आई आर करने में ही जान निकल जाती है और फिर यशवंत सिंह के खिलाफ शिकायत हुई तो उन्हें भी क्रास कंप्लेन का मौका दिया जाना था. जिस तरह की धाराएं  उनके खिलाफ लगाईं गयी हैं, वैसे केस तो नॉएडा - दिल्ली में रोजाना हजारों लिखे जा सकते हैं, मगर जिस तेजी से यशवंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई की गयी, वह चौंकानेवाली बात है.

निदा फ़ाज़ली की एक ग़ज़ल की पंक्तियाँ हैं :

उसके दुश्मन हैं बहुत, आदमी अच्छा होगा
वो भी 'तेरी'  तरह इस शहर में तन्हा होगा

इतना सच बोल कि होंठों का तबस्सुम न बुझे
रोशनी   ख़त्म   न   कर   आगे   अंधेरा   होगा





---प्रकाश हिन्दुस्तानी
2  / 7 / 2012