वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (09 अगस्त 2014)
आजकल अख़बार आते ही ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है. पता नहीं क्या-क्या खबरें होती हैं उनमें! ऐसा नहीं है कि पहले वैसी 'खबरें' नहीं घटती होंगी, लेकिन पहले उन्हें जगह नही दी जाती थी, बल्कि उन खबरों को प्रमुखता मिलती थी जिनका सरोकार आम लोगों से होता हो. आज ही सुबह अख़बार का पन्ना खोला तो मेरे मुँह से यही निकला...तो मैं क्या करूँ? अब आप ही बताइए 'अर्जुन कपूर अपनी रोमानिया ट्रिप को लेकर बहुत रोमांचित हैं' तो मैं क्या करूँ? अगर विराट कोहली को पंजाबी गानों का शौक है तो इसमें न्यूज़ क्या है?
कोहली को पंजाबी नहीं तो क्या तमिल गानों का शौक होगा? अगर उन्हें तमिल गानों का भी शौक हो तो इससे मुझे क्या? एक और खबर नरगिस फकरी रोज अपने बालों में नारियल का तेल लगाती है. भय्या, अख़बार वेल, तुम क्यो उसे तेल लगा रहे हो? अगर वह अपने बालों को में तेल लगाती है तो लगाए, मुझे क्या? मेरे जैसे लाखों पाठकों को क्या? अब इस खबर को देखिए--चार कॉलम में छपी है की अदिति राव हैदरी को टर्की की ट्रिप महँगी साबित हुई! अब बताइए, टर्की गई अदिति राव हैदरी, इससे मुझे क्या मतलब?
स्थानीय (जिसे आजकल लोकल पेज कहते हैं की) खबरों के पन्ने का हाल भी कुछ ऐसा ही है. फलाँ महिला मंडल की सदस्याएँ सावन और फ्रेंडशिप डे की मस्ती करने पिकनिक पर गयीं. बड़ा एहसान किया भाई समाज पर. आपने खबर फोटुओं के साथ पेल दी, आपकी कृपा ! सबसे बड़ी कृपा यह कि देवियाओं ने सावन और फ्रेंडशिप डे पर मौज मस्ती की. अगर वे पिकनिक पर नहीं जातीं तो बड़ा अनर्थ हो जाता. सावन अगले साल से आना बंद कर देता और फ्रेंडशिप डे को मनाने की महान परंपरा ख़त्म हो जाती.
पूरा देश और यह ब्रह्मांड इस महान घटना का साक्षी रहा और यह ऐतिहासिक खबर दुनिया को जानने को उपलब्ध हो सकी. फ्रेंडशिप डे की ही एक और खबर पढ़ने को मिली कि कुछ लड़के लड़कियों ने फ्रेंडशिप डे पंजाबी स्टाइल में मनाया. उन्होंने पंजाबी खाना खाया, भांगड़ा किया आदि आदि. उसमें से कुछ पंजाबी लड़के लड़कियाँ भी थे. अब अगर वे फ्रेंडशिप डे पर डिस्को करने जाते तो यह खबर छापी जाती कि कुछ लड़के लड़कियों ने फ्रेंडशिप डे डिस्कोथेक में मनाया. उन्होंने अँगरेज़ी खाना खाया और और यह महान अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे मानकर देश को आगे ले जाने में योगदान किया.
सबसे ज़्यादा मज़ा आता है मनोरंजन जगत की खबरों को पढ़ने में. वैसे भी इंटरनेट, मोबाइल, व्हाट्सएप और ट्विटर के जमाने में बोगस खबरों और सूचनाओं की बाढ़ आ गई है और फिर ऊपर से अख़बारों के बेहिसाब पन्ने! बेचारे खबरें लाएँ तो लाएँ कहाँ से? आज एक अख़बार ने तो पुरे पेज का फोटो फीचर कहीं से चुराकर छाप डाला. जिसमें लिखा है कि राशेल बिलसन, हैडन पैनेटियर, क्रिस्टीना रिक्की, मिला कुनिस और दूसरी कई हस्तियाँ प्रेगनेंट हैं! अगर वो सब हैं तो हैं ! मेरा क्या कसूर? मुझे क्यों पढ़वाए जा रहे हो ये खबर? मैं तो क्या, अख़बार के 99 प्रतिशत पाठकों ने तो इन महान गर्भवती महिलाओं का नाम भी नहीं सुना होगा कभी! एक और खबर पढ़ी कि कोई हीरोइन है रिचा चड्ढा! उनका ड्राइवर अस्पताल में भर्ती है . वैसे तो किसी का भी बीमार या घायल होना अच्छी बात नहीं है. रोज लाखों लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं. क्या उन सबकी खबरें छपती हैं?
आजकल मैंने इन खबरों में रस लेना शुरू कर दिया है. मैं ये सारी खबरें देखता हूँ ( या कहना चाहिए झेलता हूँ) और सोचता हूँ कि अगर मैने इन खबरों को नज़रअंदाज़ किया तो हो सकता है कि लोग मुझे 'आउटडेटेड' ना मानने लग जाएँ !
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