वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (16 अगस्त 2014)
'शोले' फिल्म के मुख्य किरदार थे सनी देओल-बॉबी देओल के पापा यानी धर्मेन्द्र और अभिषेक बच्चन के डैडी अमिताभ बच्चन ! इस फिल्म में हीरोइनें भी दो दो थी--ईशा देओल की मम्मी और अभिषेक बच्चन की मम्मी जया भादुड़ी बच्चन. ईशा की मम्मी इसमें बसंती बनी थीं, और अभिषेक की माँ ने ठाकुर की विधवा बहू राधा का रोल किया था, जिन पर अभिषेक के बापू लाइन मारते रहते थे। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही सनी-बॉबी के पापा ने हीरोइन पर काफ़ी लाइन मारी थी, जिसमें सफलता के बाद ही उन्होंने दिलावर ख़ान बनकर हेमा मालिनी से शादी की थी और बाद में हेमा मालिनी को ईशा देओल जैसी कन्या मिली जो हीरोइन बनने के बाद अब अपने ससुराल में हैं . जहाँ तक अभिषेक की बात है, वह भी इस फिल्म में थे ज़रूर, लेकिन नज़र नहीं आ रहे थे. जब इस फिल्म की शूटिंग चालू हुई तब तक अमिताभ और जया का विवाह हो चुका था और 3 अक्तूबर 1973 को जब 'शोले' शूटिंग शुरू हुई तब अभिषेक की बहन श्वेता अपनी मान के गर्भ में थीं. शूटिंग के दौरान ही श्वेता का जन्म हुआ और अभिषेक उनके बाद आए. पूरी फिल्म में जया बच्चन के दृश्य छुई मुई से ही रहे.
39 साल से है जादू बरकरार
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15 अगस्त 1975 को शोले रिलीज़ हुई थी और तब से लगातार उसका जादू बरकरार है. कई बार 'शोले जैसी' दूसरी फिल्म बनाने की कोशिशें हुईं, पर 'शोले' जैसी कोई और फिल्म नहीं बन सकी. शोले में हिंसा, कॉमेडी, एक्शन, संगीत, इमोशन का ऐसा तालमेल था जो बेमिसाल था. यहाँ मैने 'शोले' पर एक अलग मजाकिया लहजे में लिखा है ......................................................................................................................................................................................................
ये मेरी नई रिसर्च है। 'शोले' परफैक्ट फेमिली पिक्चर थी. परदे पर तो फेमिली थी ही, पीछे भी फेमिली ही फेमिली थी. कुछ पहले से थी, कुछ बाद में बनी. लोग ग़लत कहते हैं कि 'शोले' हिंसा प्रधान फिल्म थी। 'शोले' को रिलीज़ हुए 39 साल पूरे हुए। अब यह फ़िल्म 40 वें साल में पहुँच गई है. कई रूप में 40 वें का अपना महत्व है. 'शोले' ने कई रेकॉर्ड बनाए और पुराने रेकॉर्ड तोड़े थे। लेकिन आज के दौर में कई लोगों को इस फिल्म की जानकारी नहीं है। उनकी सुविधा के लिए मैं यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ. शपथपूर्वक कह रहा हूँ कि यह सभी जानकारियाँ सही हैं. मेरी रिसर्च का नतीजा !
'शोले' फिल्म के मुख्य किरदार थे सनी देओल-बॉबी देओल के पापा यानी धर्मेन्द्र और अभिषेक बच्चन के डैडी अमिताभ बच्चन ! इस फिल्म में हीरोइनें भी दो दो थी--ईशा देओल की मम्मी और अभिषेक बच्चन की मम्मी जया भादुड़ी बच्चन. ईशा की मम्मी इसमें बसंती बनी थीं, और अभिषेक की माँ ने ठाकुर की विधवा बहू राधा का रोल किया था, जिन पर अभिषेक के बापू लाइन मारते रहते थे। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही सनी-बॉबी के पापा ने हीरोइन पर काफ़ी लाइन मारी थी, जिसमें सफलता के बाद ही उन्होंने दिलावर ख़ान बनकर हेमा मालिनी से शादी की थी और बाद में हेमा मालिनी को ईशा देओल जैसी कन्या मिली जो हीरोइन बनने के बाद अब अपने ससुराल में हैं . जहाँ तक अभिषेक की बात है, वह भी इस फिल्म में थे ज़रूर, लेकिन नज़र नहीं आ रहे थे. जब इस फिल्म की शूटिंग चालू हुई तब तक अमिताभ और जया का विवाह हो चुका था और 3 अक्तूबर 1973 को जब 'शोले' शूटिंग शुरू हुई तब अभिषेक की बहन श्वेता अपनी मान के गर्भ में थीं. शूटिंग के दौरान ही श्वेता का जन्म हुआ और अभिषेक उनके बाद आए. पूरी फिल्म में जया बच्चन के दृश्य छुई मुई से ही रहे.
' शोले' की कहानी लिखी थी --सलमान ख़ान के बापू सलीम ख़ान और फरहान अख़्तर के अब्बा जावेद अख़्तर ने. दोनों के बाप लोग मिलकर स्टोरियाँ बनाते थे. उनकी 'शोले' सुपर हिट रही, पर इसके पहले भी वे कई हिट फिल्में दे चुके थे जिनमें अंदाज़, अधिकार, हाथी मेरे साथी, सीता और गीता, यादों की बारात, ज़ंजीर, मजबूर, हाथ की सफाई, दीवार प्रमुख हैं .
'शोले' के डायरेक्टर थे जी. पी. (गोपालदास परमानंद) सिप्पी के छोरे रमेश सिप्पी, जिन्होंने जिन्होंने 'बुनियाद' सीरियल की 'वीरावाली' यानी किरण जुनेजा को दूसरी बीवी बनाया था और जिनकी बेटी शीना की शादी कपूर खानदान के शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर से हुई है.
'शोले' का म्यूजिक दिया था आर डी बर्मन ने, जो सचिन देव बर्मन के बेटे थे. इस फिल्म का एक गाना -- ''हाँ, जब तक है जाँ, मैं नाचूंगी'' अपनी बड़ी साली लता मंगेशकर से गवाया था. 'शोले' का म्यूजिक दिया था आर डी बर्मन ने, जो सचिन देव बर्मन के बेटे थे. इस फिल्म का एक गाना -- ''हाँ, जब तक है जाँ, मैं नाचूंगी'' अपनी बड़ी साली लता मंगेशकर से गवाया था. इसी फिल्म का एक गाना 'महबूबा महबूबा' गाया तो था आर. डी. बर्मन ने खुद ही, पर इसको फिल्माया गया था हेलेन पर, जिन्होंने बाद में सलमान ख़ान के पापा यानी सलीम ख़ान को लाइफ पार्टनर बनाया .
फेमिली पिक्चर होने के कारण ही शुरू के तीन-चार दिन पिक्चर को अच्छा रेस्पांस नहीं मिला। बाद में जब यह प्रचारित किया गया कि यह हिंसा प्रधान, डाकू प्रधान, कॉमेडी प्रधान, रोमांस प्रधान, ट्रेजेडी प्रधान, नाटक प्रधान आदि आदि है , तब कहीं लोगों ने इस फिल्म को देखना शुरू किया। वरना इस फिल्म में फेमिली ही फेमिली थी -- यहाँ तक कि हीरोइन बसंती बार बार बोलती है -- चल हट साले !
अब भी अगर आपको भरोसा न आये तो इसे मत मानिये फेमिली पिक्चर ! …पर मेरी रिसर्च तो इसे फेमिली फिल्म ही बताती है !
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वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (16 अगस्त 2014)
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