छोटे अखबारों और केबल की दुनिया में यह बात आम है, लेकिन सेटेलाइट चैनलों की दुनिया में इसे अजूबा ही कहा जाएगा कि मालिक, पत्रकार की तरह बनना चाहे और पत्रकार, मालिक की तरह।
रजत शर्मा का करियर पत्रकार के रूप में शुरू हुआ और आज वे इंडिया टीवी के सर्वेसर्वा है। दूसरी तरफ सुभाष चंद्रा है जिन्होंने बहुुत छोटे से स्तर पर कारोबार शुरू किया और पैकेजिंग की दुनिया से टीवी की दुनिया में आए। रजत शर्मा कभी इनके चैनल पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया करते थे। इतने बरसों में यह अंतर आया है कि रजत शर्मा सुभाष चंद्रा की तरह मालिक बन गए और सुभाष चंद्रा रजत शर्मा की तरह टीवी प्रेजेंटर बनने की कोशिश कर रहे है। चैनलों का मालिक होने का फायदा सुभाष चंद्रा को जरूर है, लेकिन इससे वे रजत शर्मा की बराबरी नहीं कर सकते।
दोनों ही शख्सियतें अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। कहा जा सकता है कि दोनों ‘सेल्फ मेड’ है। कहते है कि सुभाष चंद्रा ने अरबों रुपए के कारोबार वाले एस्सेल ग्रुप केवल १७ रुपए् की जमापूंजी से शुरू किया था। व्यापार में कामयाबी पाने वाली हर चतुराई वे आजमा चुके है। चावल के निर्यात से लेकर एस्सेल वर्ल्ड जैसे थीम पार्क का निर्माण और मल्टीप्लेक्स का धंधा भी। अंग्रेजी अखबार भी उन्होंने शुरू किया और एक बाद एक सैकड़ों कम्पनियाँ बनाकर अपने साम्राज्य को विश्वस्तर पर फैलाया। अपने व्यवसाय चातुर्य से उन्होंने जी टेलीफिल्मस् लिमिटेड कंपनी अक्टूबर १९९२ में शुरू की थी, जो भारत की पहली निजी सेटेलाटि चैनल चलाने वाले कंपनी थी। टीवी के दर्शक दूरदर्शन के एक रस कार्यक्रमों में से हटकर जी टीवी की तरफ आकर्षित हुए। आज सुभाष चंद्र गोयल डॉ. सुभाष चंद्रा बन गए है। जैसे सुब्रत राय सहाराश्री बन गए। वैसे वे चंद्रा बन गए। गोयल शब्द उन्होंने अपने नाम में से हटा लिया। अपने संयुक्त परिवार की मदद से साम्राज्य स्थापित करने के बाद उन्होंने उसे विभाजित कर लिया और अपने भाइयों को अलग तरह के व्यवसाय में स्थापित कर दिया। उनका बड़ा बेचा पुनीत ६ साल से मीडिया का साम्राज्य संभाल रहा है और उससे छोटा अमित इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम कर रहा है। इसके अलावा सुभाष चंद्रा आजकल अमेरिका में 'वेलनेस बिजनेस' संभाल रहे है। भारत में सुभाष चंद्रा ने ९ सेक्टर में कारोबार शुरू किया था, जिसमें से २ सेक्टर में वे विफल रहे। एक इंडियन क्रिकेट लीग और दूसरा सेटेलाइट प्रोजेक्ट। दुनिया के अनेक बड़े-बड़े मीडिया संस्थान भारत आ रहे है और भारत का जी मीडिया विदेश जा रहा है। जी टेलीविजन की स्थापना के बाद उन्होंने न्यूज, सिनेमा और अन्य चैनलों के साथ ही केबल और डीटीएच का कारोबार भी शुरू किया। फोब्र्स पत्रिका ने सुुभाष चंद्रा की तुलना धीरूभाई अंबानी से की है। आज जी टीवी का कारोबार ६८ चैनलों के जरिए १६९ देशों में पैâला हुआ है। उनका बनाया हुआ एस्सेलवर्ल्ड भारत का पहला प्रमुख एम्युजमेंट पार्क माना जाता है। सेटेलाइट कम्युनिकेशन, ऑनलाइन गेमिंग, एज्युकेशन, पैकेजिंग आदि के क्षेत्र में उन्होंने भारत को स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई।
रजत शर्मा का करियर पत्रकार के रूप में शुरू हुआ और आज वे इंडिया टीवी के सर्वेसर्वा है। दूसरी तरफ सुभाष चंद्रा है जिन्होंने बहुुत छोटे से स्तर पर कारोबार शुरू किया और पैकेजिंग की दुनिया से टीवी की दुनिया में आए। रजत शर्मा कभी इनके चैनल पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया करते थे। इतने बरसों में यह अंतर आया है कि रजत शर्मा सुभाष चंद्रा की तरह मालिक बन गए और सुभाष चंद्रा रजत शर्मा की तरह टीवी प्रेजेंटर बनने की कोशिश कर रहे है। चैनलों का मालिक होने का फायदा सुभाष चंद्रा को जरूर है, लेकिन इससे वे रजत शर्मा की बराबरी नहीं कर सकते।
दोनों ही शख्सियतें अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। कहा जा सकता है कि दोनों ‘सेल्फ मेड’ है। कहते है कि सुभाष चंद्रा ने अरबों रुपए के कारोबार वाले एस्सेल ग्रुप केवल १७ रुपए् की जमापूंजी से शुरू किया था। व्यापार में कामयाबी पाने वाली हर चतुराई वे आजमा चुके है। चावल के निर्यात से लेकर एस्सेल वर्ल्ड जैसे थीम पार्क का निर्माण और मल्टीप्लेक्स का धंधा भी। अंग्रेजी अखबार भी उन्होंने शुरू किया और एक बाद एक सैकड़ों कम्पनियाँ बनाकर अपने साम्राज्य को विश्वस्तर पर फैलाया। अपने व्यवसाय चातुर्य से उन्होंने जी टेलीफिल्मस् लिमिटेड कंपनी अक्टूबर १९९२ में शुरू की थी, जो भारत की पहली निजी सेटेलाटि चैनल चलाने वाले कंपनी थी। टीवी के दर्शक दूरदर्शन के एक रस कार्यक्रमों में से हटकर जी टीवी की तरफ आकर्षित हुए। आज सुभाष चंद्र गोयल डॉ. सुभाष चंद्रा बन गए है। जैसे सुब्रत राय सहाराश्री बन गए। वैसे वे चंद्रा बन गए। गोयल शब्द उन्होंने अपने नाम में से हटा लिया। अपने संयुक्त परिवार की मदद से साम्राज्य स्थापित करने के बाद उन्होंने उसे विभाजित कर लिया और अपने भाइयों को अलग तरह के व्यवसाय में स्थापित कर दिया। उनका बड़ा बेचा पुनीत ६ साल से मीडिया का साम्राज्य संभाल रहा है और उससे छोटा अमित इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम कर रहा है। इसके अलावा सुभाष चंद्रा आजकल अमेरिका में 'वेलनेस बिजनेस' संभाल रहे है। भारत में सुभाष चंद्रा ने ९ सेक्टर में कारोबार शुरू किया था, जिसमें से २ सेक्टर में वे विफल रहे। एक इंडियन क्रिकेट लीग और दूसरा सेटेलाइट प्रोजेक्ट। दुनिया के अनेक बड़े-बड़े मीडिया संस्थान भारत आ रहे है और भारत का जी मीडिया विदेश जा रहा है। जी टेलीविजन की स्थापना के बाद उन्होंने न्यूज, सिनेमा और अन्य चैनलों के साथ ही केबल और डीटीएच का कारोबार भी शुरू किया। फोब्र्स पत्रिका ने सुुभाष चंद्रा की तुलना धीरूभाई अंबानी से की है। आज जी टीवी का कारोबार ६८ चैनलों के जरिए १६९ देशों में पैâला हुआ है। उनका बनाया हुआ एस्सेलवर्ल्ड भारत का पहला प्रमुख एम्युजमेंट पार्क माना जाता है। सेटेलाइट कम्युनिकेशन, ऑनलाइन गेमिंग, एज्युकेशन, पैकेजिंग आदि के क्षेत्र में उन्होंने भारत को स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई।
सुभाष चंद्रा का मानना है कि वे गीता में बताए गए कर्म में विश्वास करते है। अगर कामयाबी न मिले तो भी वे कभी निराश नहीं होते। अपने जीवन में उन्होंने बहुत बड़े-बड़े थपेड़े खाए। १२वीं के बाद उन्हें अपनी नियमित पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार की जिम्मेदारी उनके सिर पर थी और आजकल उनमें एक नया कीड़ा प्रवेश कर गया है और वह कीड़ा है टेलीविजन के कार्यक्रम पेश करने का। इंडिया टीवी वाले रजत शर्मा बरसों तक उनके जी टीवी पर आपकी अदालत कार्यक्रम पेश करते रहे, उन्हें लगता है कि आज रजत शर्मा सत्ता के गलियारों में ज्यादा पहुंच रखते है क्योंकि वे टीवी पर कार्यक्रम पेश करते है जबकि इतने चैनलों के मालिक और खरबपति होने के बावजूद सुभाष चंद्रा की बातों का वो वजन नहीं है, इसलिए उन्होंने जी टीवी पर अपने नाम से ही एक शो शुरू कर दिया।
रजत शर्मा ने पिछले दिनों जब आपकी अदालत कार्यक्रम की 21वीं सालगिरह बनाई, तब उसमें देश की लगभग सभी प्रमुख हस्तियां मौजूद थी। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री उनके कार्यक्रम में आए। ऐसे मौके दुर्लभ ही होते है जब किसी गैर सरकारी कार्यक्रम में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक साथ नजर आए। इसके अलावा इस कार्यक्रम में खेल, फिल्म, कारोबार, राजनीति, समाज सेवा आदि क्षेत्रों से भी लगभग सभी प्रमुख हस्तियां मौजूद थी। फिल्मी दुनिया के तीनों प्रमुख खान शाहरुख, आमिर और सलमान इस कार्यक्रम में नजर आए। इसके पहले यह तीनों धर्मेन्द्र के एक कार्यक्रम में भी नजर आए थे।
जी टीवी में कार्यक्रम पेश करते-करते रजत शर्मा को आपकी अदालत कार्यक्रम का महत्व समझ में आ गया था। यह महत्व तो सुभाष चंद्रा को भी मालूम था जब उन्होंने जी टीवी पर इसकी शुरुआत होने दी और कुछ ही साल बाद इस कार्यक्रम की सालगिरह के बहाने अनेक मुख्यमंत्रियों, नौकरशाहों और अनेक महत्वपूर्ण लोगों को बुलाकर उनसे निकटता कायम करने की कोशिश की। शायद वहीं घटना रही होगी कि 21 साल होने पर रजत शर्मा ने उससे कहीं बड़ा और ज्यादा भव्य कार्यक्रम अपने बूते पर किया। इस बार सुभाष चंद्रा उनके बॉस नहीं थे, बल्कि वे खुद अपनी कंपनी के बॉस थे। उनके कार्यक्रम की खूबी यह है कि वे कार्यक्रम में चुटीलापन, हाजिरजवाबी और हल्के-फुल्के सवालों के साथ ही दर्शकों को भी उससे जोड़े रखते है।
रजत शर्मा ने पत्रकारिता में बहुत पापड़ बेले है। रिपोर्टिंग भी की है और संपादन भी। जब उन्होंने टीवी की दुनिया में प्रवेश किया तब कई लोगों को लगता था कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके सिर पर गिने-चुने बाल हो और नाक किसी केरिकेचर की तरह नुकीली; वह टीवी की दुनिया में क्या प्रभाव जमाएगा, लेकिन रजत शर्मा ने न केवल अपनी पत्रकारिता से बल्कि अपनी व्यवसाय बुद्धि से भी चमत्कार कर दिखाया और इंडिया टीवी जैसी टीआरपी बटोरु चैनल खड़ी कर ली। इंडिया टीवी कई बार विवादों में घिरा रहा। कभी उस पर पक्षपात के आरोप लगे कभी महिला कर्मचारी के व्यवहार को लेकर रजत शर्मा को ही कटघरे में खड़ा किया गया। कभी उनके निजी जीवन पर, उनके वैवाहिक संबंधों पर सवाल खड़े किए गए, लेकिन वे दृढ़ता से अपनी जगह बने रहे। ब्रेविंâग न्यूज नामक उनका दैनिक कार्यक्रम भी बरसों तक चला, लेकिन बाद में से बंद कर दिया गया।
रजत शर्मा का एक पत्रकार से मीडिया मुगल बनना किसी चमत्कार से कम नहीं। जिस चतुराई से वे इस साम्राज्य के सिंहासन पर बैठे, वह किसी के लिए भी ईष्र्या का विषय हो सकता है और शायद सुभाष चंद्रा के लिए है भी। वरना वे सुभाष चंद्रा शो लेकर अपने चैनल पर नहीं आते। इसमें कहीं न कहीं ईर्ष्यां की गंध जरूर है।
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