वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (20 सितम्बर 2014)
अभी एक पुराने मित्र का फ़ोन आया --- क्या हाल चाल है? यार, तुम तो याद ही नहीं करते.
मैने कहा -- ग़लत ! हमेशा ही याद करता हूँ.
वह बोला --तो फिर कभी फ़ोन क्यों नहीं करते?
मैने पूछा -- तुम याद करते हो मुझे?
कहने लगा -- बिल्कुल रोजाना याद करता हू.
मैने कहा -- तो फिर फ़ोन क्यों नहीं करते?
उसने कहा -- यह सवाल तो मेरा है.
मैने कहा -- नहीं, अब यह सवाल मेरा है.
उसने कहा --मैने शिकायत की तो अब मुझसे ही सवाल कर रहे हो?
मैने जवाब दिया -- मैने प्रतिप्रश्न किया ये मुझ पर ही तोहमत क्यों ?
उसने कहा --पहले सवाल मैने पूछा था...
मैने कहा --तूने पूछा तो....
उसने कहा --हाँ, एक तो कभी फ़ोन नहीं करता, ऊपर से आरोप?
मैने कहा--मैने कोई आरोप नहीं लगाया. तुमने फ़ोन किया और पूछा कि फ़ोन क्यों नहीं करता?
मैने तुमसे भी यही सवाल कर डाला. इसमें आरोप क्या है?
वह बोला -- तू साले खुद को मेरा दोस्त बोलता है और फ़ोन करने की बात पर हंगामा कर रहा है?
मैने कहा -- तू भी तो साले मेरा दोस्त बोलता है खुद को! तू ही फ़ोन कर लिया कर.
वह बिफरा -- साले मोबाइल में तो 10 डिज़िट भी डायल नहीं करने पड़ते....फिर भी तू मेरे को कॉल नहीं लगा सकता?
मैने साफ़ कहा -- यही तो मैं कह रहा हूँ बे; तू क्यों नहीं कर लेता कभी फ़ोन वोन?
वह तैश में आ गया --पहले मैने शिकायत की थी कि तू कॉल क्यों नहीं करता?
मैने कहा -- तूने कहा तो क्या तेरा इस पर कॉपीराइट हो गया?
वह बका -- तो...?
मैने कहा --तो.....? तो....तो....तो का तो...?
वह बोला -- तेरी बात ज़रा भी जायज़ नहीं है. तू कभी फ़ोन नहीं करता.
मैं बोला -- तेरी भी शिकायत कहाँ जायज़ है? तू करता है फ़ोन? साल में चार बार भी कॉल करता है क्या?
वह बोला -- तू मेरा दोस्त है ना, फिर क्यों बात नहीं करता?
मैने कहा -- तू भी तो मेरा दोस्त है, तू क्यों नहीं करता बात?....तभी नेटवर्क की कुछ परेशानी आई और फ़ोन कट गया. मैने तत्काल कॉल लगाया, बिजी टोन. दो मिनट बात फिर लगाया, फिर बिजी टोन. री डॉयल किया तब भी यही हाल. फ़ोन एक तरफ रखकर मैं काम मे जुटा ही था कि फिर उसका फ़ोन आ गया --- साले तूने फ़ोन क्यों काट दिया मेरा?
मैने कहा -- मैंने नहीं काटा, तू ने ही काटा होगा?
वह उखड़ गया --एक तो बात नहीं करता, ऊपर से कॉल करो तो फ़ोन काट देता है?
मैने सफाई दी --शायद नेटवर्क की दिक्कत होगी!
वह भड़क गया -- अब नेटवर्क का बहाना बना रहा है तू?
मैने कहा--अब नेटवर्क में दिक्कत हो तो कोई क्या करे?
वह चीखा--क्या करे? तू तो बहुत बड़ा आदमी हो गया है! तेरे पास दोस्त को फ़ोन करने का वखत भी नही बचा?
मैने कहा -- तू भी तो प्राइम मिनिस्टर हो गया है साले.
वह बिगड़ गया -- तू क्या घर पर झगड़ा करके आया है साला? कोई बात का जवाब ठीक से नहीं देता?
मैने कहा -- मैं न तो घर पर झगड़ा करता हूँ, न बाहर.
वह बोला--तू मेरे पर तंज़ कर रहा है क्या? मैं सबसे झगड़ा ही करता हूँ?
मैने उसे शांत करने के अंदाज़ में कहा --नहीं नहीं, भैया, मेरा यह मतलब नहीं था. तू तो मेरा फास्टेस्ट फ्रैंड था, है और रहेगा, इतने दिन बाद तूने कॉल किया है, यह बता घर पर सब ठीक है? भाभी जी कैसी है? बच्चे मज़े में हैं?
वह बोला - अब क्यों पूछ रहा है? कॉल मैने किया और हाल तू पूछ रहा है?
मैने दूर से ही हाथ जोड़े -- मेरे प्रभु, यह बता कि काल क्यों किया? कैसे याद किया? ....पर अभी यह बता कि फ़ोन करने का कोई ख़ास कारण?
वह बोला -- क्या मैं तेरे को बिना कारण के फ़ोन नहीं कर सकता? तू मेरा दोस्त, और कारण होना चाहिए फ़ोन करने के लिए?
मैने कहा --- नहीं नहीं महाप्रभु, आदेश करो....क्यों फ़ोन किया?
उसने कहा -- इसीलिए कि तू फ़ोन क्यों नहीं करता?
मेरा धीरज जवाब दे चुका था. मैने फ़ोन दूर रख दिया और उसकी आवाज़ें सुनता रहा, बगैर काटे. भरोसा हो गया था कि जवाब दूँगा तो रिपीट टेलीकास्ट फिर चालू हो जाएगा.
ये विज्ञापन वाले भी सचमुच कमाल करते हैं.
....हर दोस्त कमीना होता है.....
''फोन क्यों नहीं करता''.... इसका क्या जवाब दूँ मैं?
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वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (20 सितम्बर 2014)
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