Saturday, August 13, 2011

सच और साहस की कामयाबी

रविवासरीय हिन्दुस्तान के एडिट पेज पर (14 जुलाई 2011) प्रकाशित मेरा कॉलम






सच और साहस की कामयाबी

ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग कंपनी एस एंड पी ( स्टैण्डर्ड एंड पुअर) के अध्यक्ष देवेन शर्मा (मूल नाम देवेन्द्र शर्मा ) ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग एक पायदान नीचे कर दुनिया भर की अर्थ व्यवस्था में खलबली मचा दी है. लाखों लोग उन्हें नायक बता रहे हैं तो लाखों लोगों का कहना है कि उन्होंने खलनायक जैसा काम किया है. अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग सर्वोच्च 'एएए' से घटाकर 'एए प्लस' किये जाने के बाद उन पर इसकी सूचना लीक करने जैसे आरोप भी लग रहे हैं. रेटिंग घटने के बाद आ रही मंदी के लिए कोई उन्हें दोषी कह रहा है तो कोई कह रहा है कि इसके दूरगामी परिणाम अच्छे ही होंगे क्योंकि अमेरिका अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत बनाने में जुट जाएगा और अपनी क्रेडिट रेटिंग में वापस सुधार कर लेगा. देवेन शर्मा के लिए भी ये फैसला कोई आसान नहीं रहा होगा. कोल नगरी धनबाद में जन्मे और धनबाद के 'डे नोबिली' स्कूल के छात्र रहे देवेन ने बिट्स के मेसरा इंस्टीटयूट से मैकेनिकल इंजीनियरिग, अमेरिका के विसकॉन्सिन से उन्होंने मास्टर्स डिग्री और फिर ओहायो से मैनेंजमेंट में पीएच. डी. की डिग्री ली. शुरू में मैन्युफैक्चरिंग कंपनी और बाद में कंसल्टेंसी कंपनी में काम करें लगे २००२ में वे मैक्ग्रा हिल्स में काम शुरू किया. २००७ में वे इरस कंपनी के प्रेसिडेंट बने. क्रेडिट रेटिंग के क्षेत्र में हो रही लगातार आलोचनों के कारण देवेन शर्मा का काम आसान कभी नहीं रहा. झारखण्ड के धनबाद से लेकर मैनहट्टन के ५१ मंजिला मैक्ग्रा हिल्स टॉवर तक उनके सफ़र की सफलता के कुछ सूत्र :
स्पष्ट निगाहें, सही लक्ष्य
देवेन शर्मा ने अपने करीयर में हमेशा ही सही संस्थान चुने. वे शुरू से ही जानते थे कि उन्हें क्या करना है. उन्हें अपने करियर के शुरू में भले ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में काम कारण पड़ा हो, लेकिन वे जल्दी ही पसंदीदा कन्सल्टेन्सी इंडस्ट्री में आ गए. जल्दी ही वे अपनी कंपनी बूज एलेन एंड हैमिल्टन में पार्टनर भी बन गए और चौदह साल तक इस कंपनी में रणनीतिकार के साथ ही उसके विस्तार, सेल्स, मार्केटिंग आदि का कार्य करने के बाद 2002 में उन्होंने मैकग्रा हिल्स में काम संभाला और लगातार कंपनी का कारोबार बढाने में जुटे रहे. उन्होंने इस कंपनी के लिए उच्च शिक्षा, वित्तीय सेवाओं, मीडिया और इन्फार्मेशन के क्षेत्र में द्वार खोले और कंपनी को विस्तार दिया. उन्हें लगा कि वे एक बड़े परिदृश्य में बेहतर कार्य कर रहे हैं. ठीक चार साल पहले अगस्त 2007 में वे एस एंड पी के अध्यक्ष बने थे.
सच पर टिकने की हिम्मत
सन 2001 में एनरॉन स्कैंडल के बाद अमेरिकी संसद में रेटिंग कंपनियों में सुधार की बात सामने आ रही थीं. देवेन शर्मा के कंपनी अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने रेटिंग की शैली और तौर तरीका बदलने के साथ ही रेटिंग की विश्वसनीयता पर ध्यान दिया जाने लगा था. अमेरिका की आर्थिक हालात की सच्चाई जानने और उस पर टिके रहने के हौसले ने देवेन शर्मा के ज़मीर को वह ताकत दी कि उनकी कंपनी ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग का सही विश्लेषण किया और उसे उजागर किया. बीते कई वर्षों से क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को आलोचना का शिकार होना पड़ रहा था क्योंकि अच्छी रेटिंग वाली कई कम्पनियाँ बाज़ार में दीवाला निकाल चुकी थीं. देवें शर्मा को इस बात का पूरे इल्म था कि इस रेटिंग से बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा और उन्हें किस तरह की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा.
आलोचना से डरे नहीं
एस एंड पी ने जब ग्रीस के बारे में रेटिंग 'सीसीसी' से घटाकर 'सीसी' की थी तब भी भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. एस एंड पी से सम्बद्ध 'क्रिसिल' भारत की क्रेडिट रेटिंग करती है. अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को कमतर करने का फैसला केवल आर्थिक निर्णय नहीं है. इसका मतलब यह है कि अमेरिका की सरकार का प्रभाव, स्थिरता, फैसले लेने का वक्त और तरीका, नीतियां बनाने और उन पर अमल का काम समीक्षा के दायरे में है. इसका अर्थ यह नहीं है कि अमेरिका बर्बाद हो रहा है, बल्कि यह है कि अब अमेरिका को पुनरावलोकन कर लेना चाहिए. रेटिंग के बारे में फैसला लेते ही एस एंड पी की आलोचना भी शुरू हो गयी. डेमोक्रेट पार्टी के सांसद मेक्सिम वाटर्स ने तो कंपनी को अनैतिक कहते हुए यह भी आरोप लगा दिया कि एस एंड पी ने अपने फैसले की घोषणा के पहले ही इस बात को कुछ वित्तीय संस्थाओं को लीक कर दिया था. एस एंड पी की गणना में दो ट्रिलियन डॉलर की गलती के आरोप भी लगे हैं. देवेन शर्मा के मुताबिक इन आरोपों में कुछ भी अनपेक्षित नहीं था.
विमर्श के बाद ही फैसला
देवेन शर्मा ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को बदलने का फैसला कोई जल्दबाजी में नहीं लिया. ऐसा भी नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति को इसकी भनक नहीं थी. एस एंड पी ने रेटिंग के बारे में घोषणा से पहले लगातार छह घंटों तक अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय से टेलीफोन, ई मेल और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चर्चा की थी. यह बात राष्ट्रपति के सामने रख दी गयी थी कि इस रेटिंग के मायने क्या हैं और इसकी ज़रुरत क्यों है? देवेन शर्मा को इस बात का पूरा अंदेसा था कि इस घोषणा के बाद वित्तीय बाजारों के क्या हाल होंगे और उन्हें भरोसा है कि कुछ समय के बाद इसके नतीजे बहुत अच्छे होंगे और अमेरिका अपनी साख रेटिंग को सुधारने में सफल होगा.
स्वतंत्रता और निष्पक्षता
देवेन शर्मा का विश्वास है कि केवल स्वतंत्रता और निष्पक्षता ही हैं जो किसी भी वित्तीय सलाहकार कंपनी के लिए ऑक्सीजन होती है. हमारी कंपनी का मुख्यालय न्यूयार्क में है तो केवल यही कोई कारण नहीं हो सकता कि हम अमेरिका की साख उच्चतम स्तर पर दिखाते रहें. हमारे लिए स्वतंत्रता और निष्पक्षता का अर्थ है अपने कारोबार में ज्यादा ईमानदारी और पारदर्शिता. सच्चाई बताने से तात्कालिक हानि हो सकती है, लेकिन सच्चाई से किसी का बुरा नहीं होता. हमारी जवाबदारी अपने निवेशकों के साथ है और सदैव रहेगी इसीलिये उन्हें निष्पक्ष होकर सलाह देना हमारा दायित्व है.
भविष्य की सोचें
वर्तमान हालात बहुत अच्छे नहीं हो तो भी भविष्य के बारे में सोचना बंद नहीं किया जा सकता. देवेन शर्मा ने अपने फैसले को साफ़ किया कि वित्तीय संस्थाएं भविष्य को देखते हुए ही रेटिंग करती हैं. निवेशकों को नुकसान पहुँचाना हमारा काम नहीं, हमारा काम है उन्हें फायदा पहुँचाना. क्रेडिट के विकास के सन्दर्भ में हम अपने निवेशकों को आगाह कराते हैं कि उन्हें किस तरह की जोखिम उठानी पड़ सकती है, और यही हमारा काम है, जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.
स्वदेश का महत्व
देवेन शर्मा साल में एक बार भारत ज़रूर आते हैं. वे यहाँ वित्त मंत्रालय ज़रूर जाते हैं और मौका मिले तो भारत आकर यहीं रहना चाहते हैं. उनके पिता रामनाथ शर्मा और भाई झारखण्ड में ही रहते हैं. करीब सत्तर साल पहले उनके दादा पाकिस्तान के लायलपुर से भारत आकर बसे थे. वे भारत को आर्थिक मोर्चे पर मज़बूत देखने के लिए समय समय पर अपने सुझाव वित्त मंत्रालय को देते रहते हैं.
प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान 14 जुलाई 2011को प्रकाशित


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