Monday, June 15, 2015

इस सिंहस्थ में प्रवाहमान रहेगी क्षिप्रा

सिंहस्थ 2016 (2)



नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना से 16 साल पुराना एक सपना साकार हुआ है। कालिदास ने मेघदूत में  सुंदर क्षिप्रा तट का उल्लेख किया था, उसी कल्पना को साकार करने में इससे मदद मिलेगी।



सिंहस्थ 2016 में जब करोड़ों श्रद्धालु उज्जैन में क्षिप्रा में स्नान करने के लिए आएंगे, तब उन्हें प्रवाहमान क्षिप्रा नदी का निर्मल जल मिलेगा। विगत कई दशकों से जल स्तर में भारी गिरावट के कारण क्षिप्रा सतत् प्रवाहमान नहीं रही। भू-जल स्तर भी नीचे गिरकर करीब एक हजार फीट तक हो गया था, लेकिन अब हालात बदल रहे है। नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना के कारण अब क्षिप्रा नदी में पानी सतत् प्रवाहमान है। इससे न केवल श्रद्धालुओं को लाभ होगा, बल्कि पूरे मालवा क्षेत्र में कृषि क्रांति एक नए रूप में जन्म ले रही है। मालव भूमि गहन गंभीर पग-पग रोटी, डग-डग नीर वाली कहावत वापस चरितार्थ होने जा रही है। क्योंकि नर्मदा क्षिप्रा का मिलन सिर्फ दो नदियों का मिलन नहीं, बल्कि एक अनूठी जल क्रांति है। 

नर्मदा क्षिप्रा मिलन का लाभ वनीकरण के क्षेत्र में होगा। इससे पर्यावरण का संतुलन सुधरेगा। वनों के कारण अच्छी वर्षा की संभावनाएं बढ़ेगी। स्टॉप डेम की संख्या बढ़ जाएगी। जिससे जल स्तर ऊंचा रखने में मदद मिलेगी। पिछले साल तक क्षिप्रा केवल 4-5 महीने ही प्रवाहित रहती थी। अब बारह महीने पानी रहने से क्षिप्रा नदी के पानी का स्तर भी ज्यादा होगा और पानी की शुद्धता भी बेहतर होगी। अब क्षिप्रा नदी में त्रिवेणी से लेकर सिद्धवट साफ पानी उपलब्ध है। श्रद्धालु यहां जल का आचमन भी कर सकते है। इससे उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं के उत्साह में वृद्धि होगी। उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इससे बढ़ेगी और उज्जैन तीर्थ का महत्व वैश्विक स्तर पर वापस स्थापित होने में मदद मिलेगी। 

नर्मदा क्षिप्रा मिलन से केवल तीर्थयात्री ही लाभांवित नहीं होंगे, बल्कि उज्जैन क्षेत्र में खेती और कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा। उज्जैन इलाके में रबी की फसल का रकबा 4 लाख 32 हजार हेक्टेयर है, लेकिन पानी की कमी के कारण करीब सवा लाख हेक्टेयर में ही खेती हो पाती थी। अब इस संपूर्ण क्षेत्र में खेती करना आसान होगा। खाद्यान और तेलहनों के अलावा सब्जी और फूलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। इस पानी का उपयोग उज्जैन का नगर निगम भी कर सकेगा। इसके अलावा करीब 300 गांव के लोग इससे लाभांवित होंगे और देवास जिले को भी इसका हर तरह से लाभ मिलेगा। 

नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना से 16 साल पुराना एक सपना साकार हुआ है। कवि कालिदास ने मेघदूत में जितने सुंदर क्षिप्रा तट का उल्लेख किया था, उसी कल्पना को साकार करने में इससे मदद मिलेगी। अगले चरण में काली सिंध, पार्वती और गंभीर नदी को भी जोड़ने की योजनाएं है। तीनों चरण पूरे होने के बाद मध्यप्रदेश के सम्पूर्ण मालवा क्षेत्र की स्थिति अलग होगी। पर्यावरण संबंधी चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी। बेहतर पर्यावरण संतुलन का असर यह होगा कि हरा-भरा मध्यप्रदेश सम्पन्न मध्यप्रदेश के रूप में विकास करेगा। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

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