Monday, June 08, 2015

'सिंहस्थ 2016' में पहली बार होगा थर्ड जेंडर का स्थान



सिंहस्थ 2016 (1)


ज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ 2016 में पहली बार थर्ड जेंडर को भी सम्मान मिलेगा। इसके पहले किसी भी सिंहस्थ में ऐसी व्यवस्था नहीं थी। इस बार सिंहस्थ में थर्ड जेंडर के सदस्यों के लिए न केवल ठहरने  की व्यवस्था होगी, बल्कि उनके लिए विशेष स्नान का प्रबंध भी होगा। स्नान के पहले उनकी पेशवाई भी  निकलेगी। 

 धर्म नगरी उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ 2016 में पहली बार थर्ड जेंडर को भी सम्मान मिलेगा। इसके पहले किसी भी सिंहस्थ में ऐसी व्यवस्था नहीं थी। इस बार सिंहस्थ में थर्ड जेंडर के सदस्यों के लिए न केवल ठहरने     की व्यवस्था होगी, बल्कि उनके लिए विशेष स्नान का प्रबंध भी होगा। स्नान के पहले उनकी पेशवाई भी  निकलेगी।  उज्जैन से करीब 12 किलोमीटर दूर हासामपुरा क्षेत्र में एक विशेष आश्रम बनाया जा रहा है। जैन तीर्थ के पास ऋषि अजयदास महाराज द्वारा बनवाया जा रहा यह आश्रम थर्ड जेंडर के लिए आध्यात्मिक गतिविधियों का केन्द्र होगा। एक अनुमान के अनुसार इस सिंहस्थ में करीब 500 किन्नरों के आने की संभावना है। ऋषि अजय दास महाराज के दुनियाभर में हजारों अनुयायी ऐसे है जो थर्ड जेंडर के है। ऋषि अजय दास महाराज का मानना है कि थर्ड जेंडर की समुदाय में हमेशा उपेक्षा की गई है और कोई संत उनके उत्थान के लिए कभी आगे नहीं आता। इसीलिए यह आश्रम बनवाया जा रहा है। 


करीब 2 एकड़ में बनने वाले इस आश्रम में देश-विदेश से आने वाले थर्ड जेंडर के संतों के लिए हर तरह की व्यवस्था जुटाई जा रही है। यहां यज्ञशाला, कछुए की आकृति का महांकाली मंदिर, आध्यात्मिक चेतना केन्द्र, वाचनालय और ए.सी. कक्षों का निर्माण भी किया जा रहा है। यूक्रेन, यूएसए, कनाडा, दुबई आदि स्थानों से अनुयायियों को आमंत्रित किया गया है। 

उज्जैन का सनातन धर्म में विशेष स्थान है। क्योंकि यहां 84 महादेव, 7 सागर, 9 नारायण, 2 शक्तिपीठ और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाराजाधिराज महाकालेश्वर स्वयं विराजित है। भगवान कृष्ण ने उज्जैन में शिक्षा पाई। भगवान श्रीराम खुद अपने पिता का तर्पण करने क्षिप्रा स्थित घाट पर पहुंचे थे, जो आज राम घाट कहलाता है। शास्त्रों में उज्जैन और महाकालेश्वर की महत्ता अनेक तरीके से व्यक्त की गई है। सिंहस्थ के मौके पर कुछ दुर्लभ संयोग होते है, जिनके कारण सिंहस्थ स्थान का योग बढ़ जाता है। इनमें अवंतिका नगरी, वैशाख माह, शुक्ल पक्ष, सिंह राशि में गुरु, तुला राशि में चन्द्र, स्वाति नक्षत्र, पूर्णिमा, व्यातिपात और सोमवार जैसे दस पुण्य प्रयोग होेने के कारण सिंहस्थ पर्व के स्नान पर मोक्ष की प्राप्ति वर्णित की गई है। यों तो सिंहस्थ के आकर्षणों में साधु समाज की उपस्थिति बेहद उल्लेखनीय मानी जाती है। अनेक मतों को मानने वाले साधु यहां आते है और सिंहस्थ के वक्त उज्जैन में निवास करते है। इन साधु समाजों के अलग-अलग अखाड़े और उनके निशान सिंहस्थ में शामिल होते है। इनमें श्री पंच दशनाम जुना अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा महानिर्माणी, निरंजनीय अखाड़ा पंचायती, पंचायती अटल अखाड़ा, तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्री पंचदशनाम आव्हान अखाड़ा, श्री पंचअग्नी अखाड़ा और श्री उदासीन अखाड़ा प्रमुख है। इन विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत अपने विशिष्ठ निशान जैसे डंका, भगवा ध्वज, भाला, छड़ी, वाघ, हाथी, घोड़े, पालकी आदि निशान लेकर आते है। ऐसा पहली बार होगा कि इस सिंहस्थ में इनके अलावा थर्ड जेंडर के साधु-संतों का आगमन भी होगा। शवाई भी निकलेगी। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी





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