Saturday, October 18, 2014

इंदौर में आपका स्वागत है

'वीकेंड पोस्ट' में मेरा कॉलम (18 अक्टूबर 2014)



कुछ बरसों से इंदौर में होर्डिंग लगाने का चलन बहुत बढ़ गया है। होर्डिंग के ‘रचनाकारों’ ने अलग ही शब्दावली गढ़ दी है। इस शब्दावली में मध्यप्रदेश के सबसे ... शहर में आपका स्वागत लिखा जाना पहली प्राथमिकता बन गया है। यह ... स्थायी है इसके बीच में कोई भी अपना मनचाहा शब्द लिखकर होर्डिंग लगवा सकता है। 

इंदौर में आपका स्वागत है। इस बात को यूं सीधे तरीके से लिखने पर शायद प्रभाव कम पड़ता है, इसलिए लिखा जाता है- मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर इंदौर, मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा व्यावसायिक केन्द्र इंदौर, मध्यप्रदेश का सबसे आधुनिक शहर इंदौर, मध्यप्रदेश का सबसे चिंतनशील शहर इंदौर, मध्यप्रदेश की संगीत की राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश का मिनी मुंबई इंदौर, मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट हब इंदौर, मध्यप्रदेश की पैâशन की राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश की विज्ञापन जगत की राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा एज्युकेशन हब इंदौर, मध्यप्रदेश का सबसे सुव्यवस्थित शहर इंदौर, मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश की पत्रकारिता की राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश की चिकित्सा की राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश की आधुनिक कला की राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी इंदौर, मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी इंदौर में आपका स्वागत है। 

अब होर्डिंग्स लगाने का चलन है तो उस पर कुछ न कुछ तो लिखा ही जाएगा। सीधे-सीधे इंदौर में आपका स्वागत है लिखने पर वह प्रभाव नहीं पड़ता। कुछ न कुछ लिखना जरूरी है। चाहे इंदौर को मिनी मुंबई लिखा जाए या मध्यप्रदेश की फलां-फलां राजधानी या मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर इंदौर। इन तमाम होर्डिंग्स में यह बताने की होड़ रहती है कि इंदौर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। साथ ही सबसे आधुनिक और उन तमाम बातों की राजधानी भी जो भोपाल नहीं है। जैसे मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक, औद्योगिक, व्यावसायिक, कला, साहित्य, संस्कृति आदि की राजधानी या प्रदेश का सबसे बड़ा केन्द्र। 

बतोलेबाजी करने में कोई भोपाल का एकाधिकार तो है नहीं, हम इंदौर के लोग उनसे क्या कम है? भोपाल होगा मध्यप्रदेश की राजधानी। इंदौर राजधानी नहीं, तो उससे कुछ कम भी नहीं। भोपाल जैसी झीलें यहां नहीं है, वैसी प्राकृतिक सुंदरता भी नहीं है, राजधानी के सारे लाव-लश्कर और दिखावा भी नहीं है, लेकिन इंदौर में जो है वह भोपाल में कहां? भोपाल में प्रदेश का सबसे बड़ा जैसा विशेषण लिखने का अधिकार कहां? भोपाल में आईआईटी और आईआईएम दोनों कहां? भोपाल रेलवे स्टेशन से भले ही २०० ट्रेनें रोज आती-जाती हो और इंदौर से इसकी २५ प्रतिशत ट्रेनें भी नहीं हो, लेकिन क्या भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट से देवी अहिल्या बाई एयरपोर्ट जैसी विमानसेवाएं उपलब्ध है? क्या भोपाल में पोहे-जलेबी, सेव-कचोरी, नमकीन का इंदौरी लुत्फ मिल सकता है? क्या भोपाल में सराफा और छप्पन दुकान जैसा माहौल किसी ने देखा है? इंदौर में जिस तरह पैâशन पहले-पहल आता है भोपाल तक जाने में उसे ३ घंटे नहीं ३ साल लग जाते है। 

ऐसा कोई कानून नहीं है कि होर्डिंग्स पर सच-सच बातें लिखी जाए। ये सच बातें अगर लिख दी जाए, तो वास्तव में इंदौर की असलियत मेहमानों के सामने आ जाएगी। अब हम होर्डिंग्स पर यह लिखने से तो रहे कि जंगल राज की राजधानी इंदौर, अपराध की राजधानी इंदौर, चंदाखोरों के लिए आदर्श शहर इंदौर, भ्रष्ट अफसरों के लिए खाने-कमाने की सबसे बड़ी खेड़ इंदौर, अतिक्रमणों की राजधानी इंदौर, भूमि घोटालों की राजधानी इंदौर, फर्जी वंâपनियों की राजधानी इंदौर, धोखेबाजों की राजधानी इंदौर, गुंडे-बदमाशों की राजधानी इंदौर, गंदगी की राजधानी इंदौर, आवारा पशुओं का स्वर्ग इंदौर, नौटंकी बाजों का शहर इंदौर, 'गी में अव्वल इंदौर, माफियाओं गतिविधियों का केन्द्र इंदौर, आतंकितयों की शरणस्थली इंदौर में आपका स्वागत है।

इंदौर की और भी बहुत सी खूबियां है, जिनके लिए लोग इंदौर आना पसंद करते है। अगर वे अपनी बात और मंतव्य सच-सच बता दें तो उनकी नाक कट जाएगी। इसीलिए इंदौर की जरी की चादर पर टाट के पैबंद लगा दिए गए है और हर कोई कहता फिरता है मध्यप्रदेश का सबसे अच्छा, सबसे बड़ा आदि-आदि। असलियत केवल इंदौर के लोग ही जानते है। 

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'वीकेंड पोस्ट' में मेरा कॉलम (18 अक्टूबर 2014)

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