Sunday, December 04, 2011

धन से बड़े हैं मन के मकसद

रविवासरीय हिन्दुस्तान (04 - 12 - 2011) के एडिट पेज पर मेरा कॉलम


केवल धन के लिए काम ना करें

स्टीव 'वोज' (स्टीफन गेरी वोज्निआक) कॉलेज ड्रॉपआउट हैं, लेकिन उनके पास अमेरिका के नौ विश्वविद्यालयों की मानद पीएच डी की उपाधियाँ हैं.
उन्होंने स्टीव जॉब्स के साथ एप्पल की स्थापना की थी और बहुत कम लोगों को पता होगा कि एप्पल का डिजाइन वास्तव में वोज की देन है, न कि स्टीव जॉब्स की. वास्तव में स्टीव जॉब्स ने एप्पल का कोई भी पुर्जा डिजाइन ही नहीं किया है, सब कुछ किया है वोज ने. वह भी वोज के ही घर पर. एप्पल कंप्यूटर लांच करने के लिए जॉब्स ने अपना केलकुलेटर और वोज ने अपनी पुरानी गाड़ी बेचकर १३५० डॉलर इकट्ठे किये थे. उन्होंने ही किशोरावस्था में स्टीव जॉब्स और रोनाल्ड वायने के साथ मिलकर कंपनी बनाई थी.

वोज १८ साल की उम्र में वे पहली बार स्टीव जॉब्स से मिले थे, तब जॉब्स केवल १३ साल के थे. दोनों की दिलचस्पी कम्प्यूटर्स में थी और दोनों ही कुछ ख़ास करना चाहते थे. कुछ मुलाकातों के बाद दोनों ने २५ डॉलर में एक माइक्रोप्रोसेसर खरीदा और पर्सनल कंप्यूटर बनाने की कोशिशें शुरू कीं. इस कोशिश में उन्होंने एक 'ब्यू बॉक्स' बना डाला जिसके जरिये वे 'टोल फ्री' टेलीफोन काल्स करने लगे थे. वोज कहते है --''यह थी एप्पल कंपनी की शुरुआत. अगर यह ब्यू बॉक्स नहीं होता तो आज एप्पल कंप्यूटर भी नहीं होता.

लक्ष्य केवल धन कमाना नहीं
वोज इन दिनों भारत यात्रा पर हैं. कंप्यूटर गेम बनाना असंभव था अगर वोज ने हाई रेज़ कलर, ग्राफिक्स और साउंड की खोज नहीं की होती. वोज ने ही कंप्यूटर के असेम्बली कोड लिखे थे और उन्हें बिनारी में विश्लेषित किये थे. ये कोड उन्होंने एक नोटबुक में अपने हाथ से पेन से लिखे थे, जो आज भी सुरक्षित रखे गए हैं. वीडियो डिस्प्ले में प्रयुक्त माइक्रोकंप्यूटर, रिकार्डर का मेग्नेटिक डिस्क कंट्रोलर जैसे कई अन्वेषण उनके नाम पर पेटेंट किये गए हैं. विद्यार्थी जीवन में ही वे अपनी इन खोजों के बारे में ग्राहक खोजते रहते थे. लेकिन लाख टेक बात वे जानते थे --'' मेरा लक्ष्य कभी भी ढेर सारा धन कमाना नहीं, बल्कि ये रहा कि मैं एक बहुत अच्छा कंप्यूटर बना सकूं.''

''हमें अपने कार्य में लोगों और समाज की मान्यता और सम्मान चाहिए था. इसके लिए ज़रूरी था कि लोग हमारे बनाये गए उत्पाद खरीदें, यह हमारे काम को मान्यता देने और सम्मान करने का एक तरीका मात्र था. हमें अपने काम में एक बड़ा फायदा यह मिला कि उन दिनों कम्यूटर के बारे में कोअनूं नहीं बने थे.''


याददाश्त खो चुके थे वोज
अपनी किशोरावस्था में ही वोज ने पहला वीडियो गेम बना डाला था. २० साल की उम्र में उन्होंने ह्यूलेट पेकार्ड में नौकरी शुरू कर दी थी और २६ की उम्र में स्टीव जॉब्स के साथ एप्पल कंप्यूटर कंपनी बना ली थी.वे कहते थे कि अगर हम सफल नहीं भी पाए तो कोई बात नहीं, कम से कम हम अपने बच्चों को यह तो कहा ही सकेंगे कि हम जवानी के दिनों में ही कंपनी के मालिक बन गए थे. फरवरी १९८१ में वोज का प्राइवेट विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें उनकी जान तो बच गयी पर वे अपनी याददाश्त खो बैठे थे. उस दुर्घटना के हफ़्तों बाद तक उन्हें याद नहीं था कि उनका विमान दुर्घटना का शिकार हो गया था. उन्हें रोज़मर्रा की बातें याद नहीं रहतीं थीं, वे शारीरिक तौर पर ठीक होने के बाद भी कई हफ़्तों तक अपने काम पर नहीं गए. कोई पूछता तो कहते कि यह वीकेंड है. वे लोगों से ही पूछते कि उन्हें काया हो गया था, लोग उन्हें दुर्घटना के बारे में बताते तो वे आश्चर्य व्यक्त करते. कुछ माह बाद उनकी याददाश्त धीरे धीरे वापस लौटी, पर कई बातें वे अब भी भूल जाते हैं. इस दुर्घटना के कारण उन्हें कुछ साल मिल गए एप्पल से अलग रहने के लिए और इसी दौरान उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई फिर से शुरू की और पाँच साल बाद वे ग्रेजुएट हुए. इसी दौरान उन्होंने शादी कर डाली. जब वे वापस लौटे तब वे केवल एक इंजीनियर नहीं, अपनी कंपनी के लिए एक टीम लीडर भी थे.
एकरस ना रहें
स्टीव वोज ने अपने जीवन में एकरसता नहीं आने दी. उन्होंने माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनी के सामने अपने लक्ष्य को पाने के लिए तो काम किया ही, लेकिन अपने जीवन में भी विविधता के रंग भरे. उनके खिलंदड़ स्वभाव के कारण जीवन की कई परेशानियों से वे निजात पा सके. वोज पोलो के खिलाड़ी तो हैं ही, एक टीवी रीयल्टी शो 'डांसिंग विथ द स्टार' में भी वे भाग ले चुके हैं. मज़ेदार बात यह रही कि वे दस टीमों में उनकी टीम को सबसे कम अंक मिले, यानी वे दसवें क्रम पर रहे , लेकिन उन्होंने अपना उत्साह कम नहीं होने दिया. उन्हें बच्चों को पढ़ाने का शौक है और वे पांचवी कक्षा के बच्चों को भी पढ़ाते रहे हैं. १९८७ में उन्होंने एप्पल से अंशकालिक रूप से ही जुड़े हैं और अंशकालिक कर्मचारी के रूप में ही वेतन लेते रहे. कंपनी के प्रमुख शेयर होल्डर होने के नाते उनका सम्बन्ध एप्पल से रहा लेकिन उन्होंने अपने आप को कई दूसरे कामों से भी जोड़ा.

वोज ने टीवी कॉमेडी शो 'कोड मंकी' में भी भाग लिया और और वे एमी अवार्ड कार्यक्रम में भी देखे गए. कई छोटे- बड़े स्थानों पर वे भाषण देने भी जाते हैं और उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी है, जिसका शीर्षक है --'' आई वोज : फ्रॉम कंप्यूटर गीक तो कल्ट आयकोन.'' वे एक ऐसे शख्स के रूप में याद किये जाते हैं जिसने जिंदगी में बहुतेरे काम किये और उसका आनंद लिया. धन तो कमाया ही, लेकिन उसके पीछे पागल नहीं हुआ. उन्होंने अपनी जीवनी को ऑनलाइन भी कर रखा है और कोई भी उसे पढ़ सकता है. उन्होंने लिखा है ''आय एम मेंबर ऑफ़ चैरिटी लॉज कैम्पबेल, बुत नोट एक्टिव''
उन्होंने अपनी आत्म कथा में दिलचस्प तरीके से लिखा है कि उनके पिता किस तरह के गुप्त मिशन पर कार्य करते थे और बचपन से ही वोज ने नए नए उपकरण बनने में कैसे दिलचस्पी ली. इसमें उन्होंने स्टीव जॉब्स से अपनी दोस्ती का भी खूब विश्लेषण किया है. दोनों की उम्र में पांच साल का अंतर रहा है, लेकिन समान रुचियों ने उन्हें एक साथ ला दिया.

सम्मानों से मगरूर न हों
वोज को दुनिया भर के अनेक सम्मान मिल चुके हैं, विश्विद्यालयों की उपाधियाँ, वैज्ञानिक शोध के सम्मान, 'नेशनल इन्वेन्टर हाल ऑफ़ फेम', और 'नेशनल मैडल ऑफ़ टेक्नोलाजी' आदि. वोज का मानना है कि सम्मान पाकर जो मगरूर हो जाता है वह उसका हक खो देता है. ''सम्मान से विनम्रता आणि चाहिए और धन से भी. ये दोनों ही हमें लोगों से दूर करने के लिए काफी है.'' स्टीव जॉब्स से उनका नाता कई दशक तक रह, लेकिन जब उन्हें लगा कि अब मान नहीं मिल रहे तो वे पांच साल तक उनसे दूर रहे. स्टीव जॉब्स की मौत से वे थोड़े टूट से गए. इसी साल उन्हें यूएसए के राष्ट्रपति की तरफ से 'आउटस्टेंडिंग कंट्रीब्युशन टु ह्यूमैनिटी थ्रू आई टी ' से नवाजा गया है.

नी


दैनिक हिन्दुस्तान में 04 - 12 - 2011 को प्रकाशित

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