Sunday, October 16, 2011

रफ़्तार और संतुलन का महारथी

रविवासरीय हिन्दुस्तान (16 अक्तूबर 2011) के एडिट पेज पर मेरा कॉलम





रफ़्तार और संतुलन का महारथी

प्लेब्वॉय की छवि वाले और फार्मूला वन के जानेमाने ड्राइवर मार्क ऐलन वेबर की दिली इच्छा भारत में आकर आस्ट्रेलिया और भारत के बीच क्रिकेट मैच देखने की है, लेकिन भारत के लाखों फार्मूला वन रेस के दीवाने उन्हें फार्मूला वन रेस में उनका वाहन दौड़ते हुए देखना चाहते हैं. अपने खेल के कैरियर की शुरूआत बॉल ब्वाय के रूप में करनेवाले मार्क वेबर की गिनती दुनिया के सबसे अच्छे फार्मूला वन ड्राइवरों में की जाती है. वे फार्मूला वन कार को सबसे कम समय में सबसे तेज़ गति पर दौड़ाने में भी माहिर हैं. फार्मूला वन के दीवानों का कहना है कि यह कोई खेल नहीं, 'एनर्जी मैनेजमेंट' है, जहाँ अनेक बातों का ध्यान रखना पड़ता है. लाखों लोगों को दीवाना बनानेवाले मार्क वेबर की सफलता के कुछ सूत्र :
जो आगे, वही सिकंदर
खेल कोई भी हो, जीत के लिए पहले ही दौर में सबसे आगे रहना हमेशा फायदेमंद होता है. उसमें गति का भी अपना बहुत महत्व होता है. गति के बिना खेल में न तो मज़ा है और न ही जीत. इस पर भी बात अगर फार्मूला वन की हो तो कहना ही क्या? हाल ही में लन्दन की सिल्वरस्टोन रेड बुल टीम के सदस्य मार्क वेबर ने एक मिनट 30.399 सेकेंड 5.14 किलोमीटर लम्बी सिल्वरस्टोन सर्किट का एक चक्कर लगाया। यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ समय है. उनका रेस का अपना नियम यह है कि हमेशा पहले ही क्रम में पहली पोजीशन पकड़ लो. अगर किसी को सालाना इम्तहान में अव्वल आना है तो उसे हर टेस्ट में अच्छे नंबर लाना चाहिए.
शक्ति का संचय और गति
खेल हो या जीवन के कोई भी क्षेत्र, आगे रहने के लिए सदैव अपनी शक्ति का संचय करें और उसे रंचमात्र भी व्यर्थ न जाने दें. विजेता बनना हो तो अपनी पूरी ताकत, पूरा मनोयोग उस लक्ष्य को पाने में लगा दें. यही फार्मूला है फार्मूला वन के चैम्पियन का. मार्क वेबर जो भी काम शुरू करते हैं, उसमें अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं. मज़ेदार बात यह है कि जब उन्होंने फार्मूला वन में हिस्सा लेना शुरू भी नहीं किया था, तब से वे इसी सूत्र को अपनाये हुए हैं और इसी के सहारे हर जगह अव्वल रहने की कोशिश में लगे रहते हैं.
विविधता भरा हो जीवन
मार्क वेबर खेल की दुनिया में दुनिया में सबसे ज्यादा दौलत कमानेवालों में से हैं. 2010 में ही उन्होंने करीब 65 करोड़ रुपये कमाए. उनकी छवि कभी एक प्लेब्वॉय की रही है, लेकिन वे शराब के शौक़ीन नहीं हैं. वे अपनी जीवनसाथी से बहुत प्यार करते हैं और हर रोज़ उन्हें कहते हैं कि आज वे अपना जन्मदिन मना रहे हैं क्योंकि वे अकेले नहीं हैं. वे १३ वर्षों से ऐन नील के साथ रह रहे हैं जो उनका पूरा ध्यान रखती हैं. मार्क वेबर कई खेल खेलते हैं, जिनमे रग्बी और टेनिस शामिल है. वे एफ वन प्रो-एएम टेनिस के तीन बार के विजेता भी है.
निडर और जीवटता
फार्मूला वन के ड्राइवर होने के नाते उनका जीवन खतरों से भरा है और वे इसे जानते हैं. फार्मूला वन में करीब २५० किलोमीटर की गति से उनकी गाड़ी की टक्कर होने के बाद उनकी जान जाते-जाते बची थी और वे अपनी टांग भी तुड़वा चुके हैं. इसके अलावा वे साइक्लिंग के दौरान भी एक दुर्घटना के कारण कई दिनों तक अस्पताल में रहे. इस दौरान उनके मन में कई बार अच्छे -बुरे ख्याल आये. कई बार उन्हें लगा कि अब वे शायद कभी भी फार्मूला वन रेस में हिस्सा नहीं ले पायेंगे. अपनी जीवटता के करना ही वे बुरे हालात से बाहर आ सके.
असंभव कुछ नहीं
जो लोग समझते हैं कि यह दुनिया में बहुत से काम असंभव हैं उन्हें यह मन लेना चाहिए कि असंभव कुछ भी नहीं. कुछ कम कठिन हो सकते हैं, पर असंभव नहीं हैं. वे आस्ट्रेलिया में जन्मे और बचपन में उन्होंने रग्बी खेल के मैदान में बॉल ब्वॉय का काम किया.
रेसिंग उन्हें पसंद थी और उन्होंने 14 साल की उम्र में रेसिंग शुरू की. फॉर्मूला वन वर्ल्ड चैपियन एलेन प्रॉस्ट उनके बचपन के हीरो थे। मार्क वेबर ने शुरूआत कार्ट रेसिंग से की। 1993 में वे न्यूसाउथ वेल्स स्टेट चैम्पियनशिप के विजेता बने। 1995 एडीलेड में ऑस्ट्रेलियन ग्रां प्री के दौरान हुई सपोर्ट रेस जीती। 1995 में 21 वर्ष की उम्र में मार्क यूके चले गए। मार्क वेबर का एफ वन कैरियर 2002 में ऑस्ट्रेलियन ग्रां प्री से शुरू हुआ। एफ वन की पहली जीत मार्क वेबर को सात वर्ष बाद 2009 में रेडबुल टीम के ओर से जर्मन ग्रा.प्री. में मिली। वेबर पिछले सात वर्ष से रेडबुल टीम के ड्राइवर हैं और अब अगले वर्ष वे संन्यास लेने की सोच रहे हैं.
दान का महत्व न भूलें
इसमें दो मत नहीं कि वेबर ने बहुत कमाई की है लेकिन वे चैरिटी के महत्व को समझते हैं. वे कभी कैसर पीड़ित बच्चों के लिए तो कभी गरीब बच्चों के लिए कोई न कोई खेल का आयोजन करते रहते हैं. ये आयोजन रेस के या साइक्लिंग के होते हैं. करोड़ों रुपये वे ऐसे आयोजनों से हर साल इकठ्ठा करते हैं, और उसे भलाई के काम में लगा देता हैं. उनका अहंकार से दूर सामान्य रूप से जीने का अंदाज़ भी लोगों को पसंद आता है.
प्रकाश हिन्दुस्तानी

(दैनिक हिन्दुस्तान में संस्करणों में 16 अक्तूबर 2011 को प्रकाशित)

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