Sunday, October 23, 2011

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बल्ले से लिखा वन डे का इतिहास

विराट कोहली कभी भारतीय क्रिकेट टीम में सचिन और युवराज सिंह की बेहतरीन स्टेपनी हुआ करते थे. जब कभी वरिष्ठ खिलाड़ी अनफिट होते, विराट वहां फिट हो जाते थे. 2010 में उन्होंने अपनी भूमिका निश्चित कर ली थी जब आस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने 121 गेंदों पर 118 रनों का पहाड़ खड़ा कर भारत की जीत को पक्का कर लिया था. यह ऐसी जीत थी जिस पर विराट के बगैर चर्चा नहीं हो सकती थी. हाल ही फिरोजशाह कोटला में उन्होंने 98 गेंदों पर 16 चौकों की मदद से 112 रन बनाकर इंग्लैण्ड की टीम को ऐसा हराया कि उसने वन डे नहीं, सीरिज का ही फैसला कर दिया. विराट कोहली की वाहवाही जीतनी शतक बनाने से हुई, उससे कहीं ज्यादा शतक बनाने के अंदाज़ से हुई. सीरिज का तीसरा वन डे जीतते ही भारत की आईसीसी वन डे रेंकिंग पांचवे से तीसरे पायदान पर पहुँच गयी और विराट कोहली की वन डे बल्लेबाजी की रेंकिंग धोनी से एक पायदान ऊपर चौथे नंबर पर आ गयी. 'स्टेपनी' से सिकन्दर बनने तक के विराट कोहली की सफलता के कुछ सूत्र :
लक्ष्य के लिए न्योछावर
आज लोग विराट कोहली में सचिन जैसे सुपरस्टार होने की संभावनाएं देख रहे हैं तो उसके पीछे खेल के लिए उनका समर्पण और कड़ी मेहनत है. कोटला स्टेडियम से कोहली का पुराना नाता है. वे यहाँ कई बार खेल चुके हैं, लेकिन दिसंबर २००६ में वे इसी जगह दिल्ली की तरफ से रणजी ट्राफी के लिए कर्णाटक के खिलाफ खेलने आये थे और उन्हें बुरी खबर मिली थी कि उनके पिता प्रेम कोहली का 54 साल की उम्र में हार्ट अटैक आने से निधन हो गया था. यह विराट के जीवन की सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा थी. पूरी टीम शोकाकुल थी और जांबाज़ विराट अड़े थे कि बेटिंग मैं ही करूंगा. उस नौजवान ने बेटिंग की और 90 रन बनाकर दिल्ली को जिताया.
झटकों से न घबराएँ
ज़िंदगी के ग्राफ में उतार - चढ़ाव केवल शेयर बाज़ार में ही नहीं, आम ज़िंदगी में भी आते हैं. विराट कोहली ने अंडर 17 , अंडर १९ और इमर्जिंग प्लेयर्स टूर्नामेंट्स में तो शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन वन डे में उनका ग्राफ ऊपर नीचे डोलता रहा है. आईपीएल फर्स्ट सीजन फ्लॉप, सेकण्ड सीजन भी फ्लॉप, आइडिया वन डे में ओपनिंग मिली तो केवल बारह रन पर आउट. दूसरे मैच में केवल 37 रन ही बने. चौथे मैच तक आते आते निर्णायक ५४ रन बना लिए. यह थी वन डे मैचों में श्री लंका में श्रीलंका के खिलाफ भारत की पहली जीत ! लेकिन जब भारत में श्रीलंका के खिलाफ मैच हुआ तब वे खेल ही नहीं सके क्योंकि वे सचिन और सहवाग की स्टेपनी थे, और ये दोनों खिलाड़ी फिट हो चुके थे.
अंध विश्वासों से दूरी
कोटला के बारे में कहा जाता है कि वहां दिल्ली के खिलाड़ियों को नहीं फलता, लेकिन विराट कोहली और गौतम गंभीर दोनों ने ही इसे झूठ साबित किया. गत सोमवार को उन्होंने कोटला में सेंचुरी बनाने के पहले गेंद्बाज़ी भी की थी और पांच ओवर में बिना कोई विकेट लिए केवल अठारह रन ही खर्च किये थे. खेल के मैदान में विराट ने यह बात गलत साबित कर दी थी कि कोई भी मैदान लकी या अनलकी होता है.
दिमाग ठंडा रखना आवश्यक
खेल कहीं भी हो रहा हो, किसी के भी विरुद्ध हो रहा हो, दिमाग को ठंडा रखना ज़रूरी है, वरना गड़बड़ हो सकती है. विराट कोहली का खेल और केवल खेल आक्रामक होता है, उनकी भाव भंगिमाए. सामान्य होती हैं और वे जुबां से आक्रामक कम ही होते हैं. उनका फार्मूला यह है कि दिमाग को ठंडा रखकर ही खेला जा सकता है. उनका मानना है कि क्रिकेट शुद्ध रूप से दिमाग से खेला जानेवाला खेल है.
नेतृत्व की बात मानो
विराट कोहली ने जैसा प्रदर्शन किया है उससे यह साफ़ है कि उनमें आलराउंडर होने की सारी संभावनाएं है. यकीन कप्तान महेंद्रसिंह धोनी नहीं चाहते कि विराट कोहली आलराउंडर बनने की कोशिश भी करे. विराट ने कोटला में शतक बनने के पहले अच्छी गेंदबाजी की थी, लेकिन धोनी का मानना है कि विराट की गेंदबाजी थोड़ी जटिल किस्म की है और उससे चोटिल होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में विराट को मैदान में रखना खतरनाक हो सकता है. अच्छा है कि विराट वही काम करे, जिसके लिए उन्हें तैनात किया गया है. जरूरत पड़ने पर उनसे तीन से पांच ओवर तक की गेंदबाजी करवाई जा सकती है. विराट ने धोनी बात को पूरी तवज्जो दी है.
नए नियमों का ज्ञान रखें
क्रिकेट के नए नियमों से विराट कतई इत्तेफाक नहीं रखते. खासकर रन आउट के नियमों से. उन्हें इन नियमों की पूरे जानकारी है, लेकिन इसके व्यावहारिक पहलू भी हैं. नए नियमो के अनुसार अगर अम्पायर को लगे कि बल्लेबाज़ बिना किसी कारण के रन लेते समय अपनी विकेट बचने के लिए विकेट के बीच में ही यदि अपनी दौड़ाने की दिशा बदलता है तो उसे आउट करार डे दिया जाता है. नए नियम से दोनों छोर से नयी गेंद का उपयोग किया जा सकता है और सोलहवें और चालीसवे ओवर में पावर प्ले लेना अनिवार्य है.
होनहार विराट कोहली के बारे में अब अगर दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी जोंटी रोड्स कह रहे हैं कि विराट में सचिन जैसे सुपरस्टार होने के तमाम गुण हैं तो वे गलत कुछ भी नहीं कह रहे है,
---- प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिंदुस्तान (23/10/2011) को एडिट पेज पर प्रकाशित

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