Sunday, October 09, 2011

धैर्य और साहस ने दिलाया नोबेल

रविवासरीय हिन्दुस्तान(09 अक्तूबर 2011) के एडिट पेज पर मेरा कॉलम







धैर्य और साहस ने दिलाया नोबेल

'अफ्रीकी आयरन लेडी' कहलानेवालीं लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉन्सन सरलीफ़ और दो अन्य महिलाओं को इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. यह लोकतंत्र और शान्ति की स्थापना में उनके प्रयासों का सम्मान है. एलेन जॉन्सन सरलीफ़ लाइबेरिया में लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी गयी पहली महिला राष्ट्रपति हैं. नोबेल पुरस्कार समिति की वेबसाइट के अनुसार उन्होंने लाइबेरिया में सांति की स्थापना के साथ ही आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी ध्यान दिया और महिलाओं की सुरक्षा और विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने में अहम् भूमिका निभाई. निर्धन माता पिता की बेटी एलेन ने संघर्षों के बाद अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने करीयर में ऊंचाइयां छूते हुए देश के सर्वोच्च पद तक पहुँची और वैश्विक सम्मान पाया. एलेन जॉन्सन सरलीफ़ की सफलता के कुछ सूत्र:
पढ़ाई के कोई विकल्प नहीं
कोई कहीं भी पैदा हो, किसी भी परिवार का हो, माता पिता कितने भी असहाय हों, लेकिन अगर पढ़ाई ठीक से की हो तो वह न केवल अपने हालात बदल सकता है, बल्कि दुनिया को भी बदलने की ताकत रखता है. गरीब माता- पिता की संतान होने के बावजूद एलेन जॉन्सन सरलीफ़ ने पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया. केवल सत्रह साल की उम्र में शादी कर दी गई लेकिन उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी. उन्होंने शादी के बाद पति के साथ यूएस जाकर पढ़ाई जारी रखी और अर्थशास्त्र तथा लोक प्रशासन में डिग्री प्राप्त की. पांच संतानों को जन्म और पति से तनाव के बाद भी पढ़ाई ने ही उनका साथ दिया और वे सिटी बैक में नौकरी पा सकीं. पढ़ाई के कारण ही वे विश्व बैंक के डायरेक्टर तक की कुर्सी तक पहुंची, जिसने उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सबल बने बल्कि आर्थिक जगत को देखने-समझने की शक्ति भी दी.इसी पढ़ाई की शक्ति को उन्होंने अपने देश की महिलाओं और बच्चों तक पहुंचाया और शिक्षा को विकास का हथियार बनाया.
हिम्मत रखें
जब एलेन जॉन्सन सरलीफ़ ने राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली थी, तब लाइबेरिया के हालात बदतर थे. लखनऊ, पटना और कानपुर से भी कम आबादीवाले देश लाइबेरिया में 80 फीसदी (जी हाँ, अस्सी प्रतिशत) बेरोज़गारी थी, आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे बसर कर रही थी, शहरों, कस्बों की बात तो छोड़िये राजधानी मोनरोविया में भी बिजली गुल थी और पीने के पानी का तितरण बंद था. भ्रष्टाचार, महिलाओं-बच्चों पर ज्यादतियां आम बात थी और चौदह साल के गृह-युद्ध में 41 लाख की आबादीवाले में से ढाई लाख लोग मारे जा चुके थे. बदतर हालातों में भी उन्होंने हौसला नहीं खोया और नयी रहें कहे जाने में जुटी रहीं. काल्पन कीजिये राष्ट्रपति बनाने के बाद उनका पहला बड़ा काम क्या था? राजधानी में जलप्रदाय शुरू कराना. उनके पास करने के लिए काम ही काम थे, वे एक एक कर ये काम करती गयी.
आर्थिक आज़ादी का महत्व
एलेन जॉन्सन सरलीफ़ ने राष्ट्रपति बनते ही आर्थिक आज़ादी की दिशा में बढ़ने की शुरुआत की. उन्हें लाइबेरिया का पुनर्निर्माण करना था. अर्थव्यवस्था में सुधार करना था. क़र्ज़ से मुक्ति उनका पहला लक्ष्य था. छह साल के कार्यकाल में उन्होंने सबसे पहले अपने देश पर चढ़े चार डॉलर के क़र्ज़ को मुक्त करने के लिए प्रयत्न किये और यूएस,जर्मनी और विश्व बैंक के क़र्ज़ माफ़ कराये. सोलह अरब डॉलर का निवेश अपने देश में आकर्षित कराया. विकास की दर को पांच से बढ़कर साढ़े नौ प्रतिशत तक पहुंचाया. हीरा, लौह अयस्क, रबर, लकड़ी, कॉफ़ी, कोको आदि के निर्यात को बढाया देकर विदेशी मुद्रा कमाने और नए रोजगार पैदा करने के प्रयास किये. सरकरी बजट पर होनेवाला खर्च चार साल में बढ़ाकर करीब चार गुना से ज्यादा करने में सफलता पायी. लाईबेरिया हजारों स्कूल, अस्पताल और व्यापारिक केंद्र बनाये गए और नए लाइबेरिया के निर्माण में जनसहयोग का अभियान चलाया गया.
आरोपों से डरें नहीं
एलेन जॉन्सन सरलीफ़ पर विदेशी दबाव में काम करने, विद्रोहियों को लाभ पहुँचाने, अमेरिका की सरपरस्ती, भ्रष्टाचार को बढ़ाने, देश के हित को गिरवी रखने, लाइबेरिया की सम्पदा को लुटाने जैसे कई आरोप लगे लेकिन उन्होंने साफ साफ़ कहा कि राष्ट्रपति के रूप में आप क्या करेंगे अगर आप आरोपों से डरने लग जाएँ. असली बात तो यह है कि लाइबेरिया के आर्थिक हालात में सुधार हो और लोगों का जीवन स्तर सुधरे. मेरा राष्ट्रपति बनना बेकार होगा अगर मेरे देश वासियों की बदहाली ऐसी ही रही. उनके विरोधियों ने उन पर लगातार राजनैतिक हमले जारी रखे , लेकिन वे विचलित हुए बिना अपने काम में जुटीं रही.
समस्या की जड़ तक जाएँ
राष्ट्रपति अगर आप कोई भी समस्या हाल करना चाहते हैं तो उसको जड़ों से ख़त्म कीजिये वरना वह फिर पैदा हो जायेगी. राजनैतिक मोर्चे पर उन्होंने अपने विरोधी दलों और छोटी छोटी पार्टियों को विश्वास में लेने की कोशिश की जिससे कि वे भी सुधार और बदलाव में हिस्सेदारी निभा सकें. उन्होंने लाइबेरिया में 'ट्रुथ एंड रीकन्सिलिएशन कमीशन' ( सत्य और सामंजस्य आयोग) गठित किया जिससे राष्ट्रीय स्तर पर शांति, सामंजस्य, भाईचारा और एकता को बढ़ावा दिया जा सके. इस आयोग की रिपोर्ट को लेकर कई बार बहस हुई और सुप्रीम कोर्ट तक भी मामले गए. राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने कोशिश की कि न्याय व्यवस्था में सुधार हो, प्रशासकीय ढांचा सुधरे और वे लोकोपयोगी अल्प और दीर्घकालीन कार्य करें.
समझौता न करें
अगर आपने बात बात पर समझौते कर लिए तो लक्ष्य तक जाना आसान न होगा. एलेन जॉन्सन सरलीफ़ ने अपने एक नज़दीकी रिश्तेदार को भ्रष्ट आचरण के मामले में हटा दिया. गत वर्ष उन्होंने अपने १९ में से सात मंत्रियों को बदल दिया था. यहाँ तक कि के व्यवहार से क्षुब्ध होकर तलाक का रास्ता भी उन्हें अपनाना पड़ा. उन्होंने महिलाओं पर उनके पति के अत्चारों के खिलाफ भी मोर्चा खोला. गृह युद्ध के दौरान वे जेल में रहीं, तब एक सैनिक ने उनसे बलात दुष्कर्म की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा. कैद में उन्होंने कष्ट सहे और निर्वासित जीवन भी जिया. ''लोगों को यह बात याद रखनी चाहिए कि मैंने क्या क्या काम किये है और कैसे कैसे हालात में लड़ाइयाँ लड़ी है. संघर्ष में मैंने भी बहुत कुछ खोया है.'' २०१० में 'न्यूजवीक' ने उन्हें विश्व के दस शीर्ष नेताओं में माना था, 'टाइम' ने उन्हें दुनिया की दस सबसे प्रमुख नेताओं में गिना था और 'इकानामिस्ट' ने उन्हें लाइबेरिया की सबसे योग्यतम राष्ट्रपति बताया था.
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

(दैनिक हिन्दुस्तान 09 अक्तूबर 2011 के संस्करणों में प्रकाशित)

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