Sunday, May 29, 2011

लक्ष्य पर टिकी थी निगाहें

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सोलह साल के इम्मादी पृथ्वी तेज ने आईआईटी-जेईई में 4 लाख 68 हजार विद्यार्थियों में पहला स्थान पाया. यह पृथ्वी का पहला प्रयास था. पृथ्वी ने 1000 में से 970 अंकों का स्कोर अर्जित किया. अब पृथ्वी आईआईटी मुंबई में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश चाहता है. विदेश जाकर डॉलर कमाने के बजाए यूपीएससी की परीक्षा देकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना पृथ्वी का नया लक्ष्य है.

लक्ष्य पर टिकी थी निगाहें


केवल सोलह साल के इम्मादी पृथ्वी (तेलुगु उच्चारण पुरुध्वी) तेज ने आईआईटी-जेईई में 4 लाख 68 हजार विद्यार्थियों में पहला स्थान पाया. यह पृथ्वी का पहला प्रयास था. पृथ्वी ने 1000 में से 970 अंकों का स्कोर अर्जित किया. अब पृथ्वी आईआईटी मुंबई में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश चाहता है. विदेश जाकर डॉलर कमाने के बजाए यूपीएससी की परीक्षा देकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना पृथ्वी का नया लक्ष्य है. पृथ्वी आँध्रप्रदेश के तितुमाला का रहनेवाला है और विजयवाड़ा में श्री चैतन्य जूनियर कालेज का छात्र रहा है. पृथ्वी ने अपनी बुद्धि, मेहनत, योजनाबद्ध पढ़ाई और बगैर तनाव के वह मंजिल पा ली, जहाँ पहुंचना लाखों विद्यार्थियों का सपना होता है. पृथ्वी की इस बेमिसाल कामयाबी के कुछ सूत्र:

मज़बूत बुनियाद ज़रूरी

पृथ्वी के माता-पिता तिरुमाला में रहते हैं, जो एक छोटी सी जगह है और वहां आईआईटी में प्रवेश परीक्षा के लायक माहौल नहीं था. बेटे की पढ़ाई में रूचि देखते हुए उसके पिता ने उसे गुदिवाडा के विश्व भारती रेसिडेंसियल स्कूल में भारती करा दिया जहाँ उसने घर से दूर रहकर न केवल पढ़ाई की, बल्कि मैथ्स और साइंस के बुनियादी सिद्धांतों को कंठस्थ कर लिया. इन्हीं विषयों में गहरी समझ के कारण दसवीं की परीक्षा में उसे 96 प्रतिशत नंबर मिले और उसने आईआईटी-जेईई की तैयारी का लिए विजयवाड़ा में प्रवेश लिया. मूल विषयों की मज़बूत बुनियाद पृथ्वी की कामयाबी में महत्वपूर्ण रही.

लक्ष्य पर निगाहें
पृथ्वी की निगाहें छुटपन से ही आईआईटी पर थीं और उसे यह मालूम था कि वहां पहुँच पाना मज़ाक नहीं. उसके पिता इम्मादी नागेश्वर राव की तिरुमाला में ज्वेलरी की छोटी सी शॉप हैं और माँ रानी राव सामान्य गृहिणी हैं. पृथ्वी चाहता तो बचपन से ही ज्वेलरी शॉप का कामकाज संभालने का मन बना लेता, लेकिन उसका लक्ष्य शॉप नहीं थी. लक्ष्य को निगाह में रखते हुए स्कूलिंग के लिए पृथ्वी ने घर से दूर रहना मंजूर किया. निगाहे लक्ष्य पर, केवल लक्ष्य पर रखीं. छोटी-मोटी परेशानियों से विचलित हुए बिना पृथ्वी ने पढाई पर ध्यान दिया. परिवार का पूरा सपोर्ट तो था ही, पृथ्वी ने पूरी क्षमता लगा दी.

सही कोचिंग आवश्यक
पढ़ाई में बहुत अच्छा होने के बावजूद पृथ्वी को पता था कि बगैर सही कोचिंग के आईआईटी-जेईई क्रेक करना आसान नहीं. दसवीं के 96 प्रतिशत हासिल अंकों ने उसे हौसला दिलाया, लेकिन विजयवाड़ा में उसने जिस कोचिंग संस्थान में प्रवेश लिया वह इंजीनियरिंग का नहीं, मेडिकल में प्रवेश का अच्छा संस्थान माना जाता था. उस संस्थान के लिए भी यह चुनौती थी और उसके फैकल्टीज ने उस पर विशेष ध्यान दिया. पृथ्वी ने अपनी कामयाबी से साबित कर दिया कि जो सर्वश्रेष्ठ है वह किसी भी क्षेत्र में अपनी योग्यता साबित कर सकता है.

गाइडेंस पर पूरा अमल

पृथ्वी ने आईआईटी-जेईई के लिए अपने शिक्षको की सलाहों को हमेश ध्यान से सुना और उस पर अमल किया. अपनी कमजोरियों को जानने के लिए खुद नियमित रूप से अपने टेस्ट लिए. जो भी टेस्ट दिए वे इस गंभीरता से दिए मनो वही असली परीक्षा हो. सभी विषयों की तैयारी अच्छी तरह से की और यह भी ध्यान रखा कि उसकी अपनी दिलचस्पी और विशेष योग्यता किस में है और उसे किस सवाल का जवाब सबसे पहले देना है. दोस्तों के बजाए अपने टीचर्स से ही पढ़ाई के बारे में चर्चाएँ की और सभी विषयों के नोट्स परीक्षा के अनुसार ही बनाये.

सेल्फ स्टडी का सही तरीका
किसी भी परीक्षा में अव्वल आना हो तो टीचर्स केवल गाइड ही कर सकते हैं. पढ़ाई तो छात्र को खुद ही करनी होते है. पृथी ने अपनी पढाई का जो खाका बनाया था उस पर प्रतिदिन, प्रति सप्ताह और महीने भर के लक्ष्य निर्धारित थे. इसी तरह सेल्फ स्टडी के विषयवार लक्ष्य भी तय किये और उस पर अमल किया. हर विषय के हर प्रश्न को कई कई बार हाल किया. यह बार बार जांचा कि कहाँ कहाँ कोई कमी रह गयी है और उसे जल्दी दूर किया.

बगैर दबाव के पढ़ाई
पृथ्वी ने पढ़ाई और परीक्षा के दौरान दबाव के पढ़ने की कोशिश की. दबाव में नहीं आने का उसका फार्मूला यह रहा कि सारे बेसिक्स क्लियर कर पढ़ाई में जुटना चाहिए. पढ़ाई के दौरान दोस्तों, परिवारजनों और टीचर्स के दबाव में आये बिना पढ़ाई करना ही सफलता का रास्ता है. अगर आप दबाव में हैं तो पढ़ने में मन नहीं लग सकता और अगर दबाव झेलने की क्षमता नहीं हो तो परीक्षा में हड़बड़ी में गड़बड़ी हो सकती है.

टाइम मैनेजमेंट
परीक्षा की तैयारी ऐसे करें कि आपका टाइम मैनेजमेंट एकदम सटीक रहे. नींद पूरी हो और एक पल बर्बाद न हो. आपकी बॉडी क्लॉक इस तरह एडजस्ट हो जो आपको सपोर्ट करे. कई विद्यार्थी रात रात भर पढ़ते हैं और दिन में सोते हैं. जब दिन में परीक्षा का वक्त होता है तब उन्हें नींद आने लगती है. वक्त को बर्बाद किये बिना उसका सौ प्रतिशत सही इस्तेमाल करने की कला को समझना ज़रूरी है.

रिलेक्स होने की कला
पृथ्वी ने पढ़ाई के दौरान अपना क्रिकेट खेलना बंद नहीं किया. पढ़ाई और यहाँ तक कि परीक्षा के दौरान वह टीवी पर क्रिकेट देखने से नहीं चूका. हाँ, कुछ नयी फ़िल्में उसने परीक्षा के बाद देखने के इरादे से टाल दी थीं. पूरी पढ़ाई के दौरान उसने कभी भी आठ घंटे से कम की नींद नहीं ली. खेलते वक्त उसने यह ध्यान रखा कि कहीं वह थकान तो महसूस नहीं कर रहा. चौबीसों घंटे पढ़ाई करने की कोशिश उसने नहीं की क्योंकि वह जानता था कि यह संभव नहीं है.

अगला लक्ष्य भी निर्धारित

पृथ्वी ने आईआईटी मुंबई से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के डिग्री लेने के बाद का लक्ष्य भी निर्धारित कर लिया है. विदेश जाकर डॉलर कमाने के बजाए वह आईएएस बनकर अपने देश में ही लोगों की सेवा करना चाहता है. वह इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता कि आईआईटी केवल छात्रों के कारण महान संस्थान बने हैं, इन्हें महान बनाने में दूसरे फैक्टर भी हैं. वह मानता है कि हमारे कई नेता बहुत पढ़े लिखे हैं, कई तो आईआईटी और आईआईएम से निकले हैं और कई हार्वर्ड, केम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड में भी पढ़े हैं. अच्छा टेक्नोक्रेट बनकर वह देश के लिए काम करना चाहता है.

प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान 29 may 2011

1 comment:

Neha Mathews said...

बहुत ही प्रेरणादायी पोस्ट|
पृथ्वी को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ |
धन्यवाद