Friday, May 20, 2011

ज़िद ने दिलाई यह मंज़िल




रविवासरीय हिन्दुस्तान के एडिट पेज पर मेरा कॉलम

महज़ पाँच साल की उम्र में मान की ममता से मरहूम रजनीकांत इसरार भी करते तो किससे? सो अपनी नियति खुद ही तय करने की ज़िद पाल ली. उन्होंने कुली से लेकर कंडक्टर तक का कम शान से किया, क्योंकि उनकी निगाह में कोई भी काम छोटा नहीं है. पद्मभूषण और दर्जनों अवार्ड्स पा चुके सुपरस्टार रजनीकांत एशिया में जैकी चैन के बाद सबसे ज्यादा मेहनताना लेनेवाले स्टार हैं. फ़ोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें भारत के सब से प्रभावशाली भारतीयों में से एक माना है.

ज़िद ने दिलाई यह मंज़िल

जीते जी किंवदंती बन चुके सुपरस्टार रजनीकांत मराठी परिवार के हैं और तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी में से कोई भी उनकी मातृभाषा नहीं है. ये सब भाषाएँ उन्होंने सीखी हैं. रजनीकांत ने पांच साल की उम्र में मां को खो दिया था. हालात ने उन्हें मज़दूरी को विवश किया था. उन्होंने कुलीगीरी से लेकर कंडक्टर तक की नौकरी की. रंगमंच पर एक्टिंग के शौक के कारण उन्हें कन्नड़ नाट्य निर्देशक पुनप्पा ने एक धार्मिक नाटक में दुर्योधन का रोल दे दिया और यही उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ. एक दोस्त ने उन्हें अपने खर्च से मद्रास फ़िल्म इंस्टीट्युट भेजा और दो साल तक उनका खर्च उठाया. लौटने पर उन्हें पहली फ़िल्म में छोटा सा नेगेटिव रोल मिला था, वह भी एक क्रूर पति का, फ़िल्म के हीरो कमल हसन थे. इसके बाद उन्होंने सात और फ़िल्में कीं. नौवीं फ़िल्म में उन्हें हीरो का रोल मिला और फिर उन्होंने पीछे नहीं देखा. पद्मभूषण और दर्जनों अवार्ड्स पा चुके सुपरस्टार रजनीकांत एशिया में जैकी चैन के बाद सबसे ज्यादा मेहनताना लेनेवाले स्टार हैं. फ़ोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें भारत के सब से प्रभावशाली भारतीयों में से एक माना है. रजनीकांत के सफलता के कुछ सूत्र :

असंभव कुछ भी नहीं
रजनीकांत ने निजी जीवन में और फ़िल्मी परदे पर जो कमाल किये हैं, वे बताते हैं कि इंसान के लिए असंभव कुछ भी नहीं है. हालात ये हैं कि संता बंता से भी ज्यादा जोक्स रजनीकांत को लेकर चल निकले हैं जो कमोबेश यही बात कहते हैं कि मेहनत और लगन से काम करो तो हर काम संभव है. रजनीकांत ने वयस्क होने के बाद कामकाज करते हुए कई भाषाएँ सीखीं, बिना किसी गॉडफ़ादर के सुपरस्टार का मुकाम पाया और यह सब अपनी मेहनत और पैशन के कारण. दृढ निश्चय हो तो साधनहीनता भी रुकावट नहीं बनती और न ही भाषा या क्षेत्र बाधा बनता है.

अपनी छाप छोड़ो
कोई भी काम करो, उस पर अपनी छाप ज़रूर छोड़ो. चाहे वह काम बस कंडक्टर का ही क्यों न हो. बस कंडक्टर के रूप में रजनीकांत खासे लोकप्रिय थे. कई यात्री इसी इंतज़ार में रहते कि वे उसी बस में जायेंगे, जिसमें रजनीकांत हों. रजनीकांत का टिकिट फाड़ने, पैसे गिनने और यात्रियों से बात करने का अंदाज़ ही निराला था. इसी स्टाइल ने उन्हें रंगमंच तक पहुँचाने में मदद की और वे सिनेमा की दुनिया में जा सके. सबक यह है कि कोई भी काम छोटा नहीं, बशर्ते आप उस पर अपनी छाप छोड़ें.

प्रोफेशनल रवैया रखो
आप जिस भी फील्ड में हों, अपने काम को प्रोफेशनल अंदाज़ में ही करें. व्यक्तिगत बातों को अपने व्यवसाय में हावी होने दें. इसी से आपकी गरिमा बनी रहती है. 62 वें वर्ष में चल रहे रजनीकांत से आधी उम्र की हीरोइनें उनके साथ काम कर रही हैं. आसिन, अनुष्का शर्मा, दीपिका जैसी हिरोइन उनके साथ काम कर रहीं हैं, लेकिन माधुरी दीक्षित ने उने साथ काम करने से मना कर दिया. बॉलीवुड में ऐसा किसीहीरो के साथ होता तो हंगामा हो जाता, लेकिन रजनीकांत ने कोई बयानबाजी नहीं की. अपनी हर फ़िल्म के डायरेक्टर, सिनेमाटोग्राफर, और पूरी टीम के साथ उनके सम्बन्ध बहुत प्रोफेशनल होते हैं. मीडिया में भी वे कभी लफ्फाजी नहीं करते.

बेहतर की जिद करो
आप जो भी कर रहो हो, उससे बेहतर और बड़ा करने की जिद अवश्य करो. यह जिद न होती तो रजनीकांत एक हीरो बनकर ही संतुष्ट हो जाते. हर फ़िल्म में उनका कद बड़ा होता गया है चाहे वह चाहे वो अंडरवर्ल्ड डॉन बिल्ला हो या मुरत्तु कलाई या फिर थिल्लू मुल्लू। इन फिल्मों में रजनी की स्टाइल ने उन्हें अलग पहचान दी। हिंदी में उनकी कई फ़िल्मों को मनचाही सफलता नहीं मिली, लेकिन वे हर फ़िल्म में कुछ न कुछ नया, भव्य और अनूठा करने की कोशिश करते हैं. दोहराव से बचने का यत्न करते हैं.

दान से निखरता है चरित्र
रजनीकांत के बारे में कहा जाता है कि हातिमताई की तरह दान देते हैं और किसी को इसकी खबर नहीं होने देते. लोग किसी भी काम में उनसे मदद लेने जाते हैं तो वे भरपूर मदद करते हैं पर इस शर्ट पर कि उसे प्रचारित नहीं किया जाए. अपने जन्मदिन पर उन्होंने कई साल तक हजारों लोगों को भोज दिए हैं, बिना उनकी सामाजिक हैसियत देखे. रजनीकांत को पता है कि वे अवाम के हीरो हैं और अवाम दिखावे से दूर स्वाभाविक लोगों को पसंद करती है. उन्हें लगता है कि कमाई को खर्च करने का सबसे अच्छा तरीका है उसे लोगों के साथ खर्च करना.

दिखावे से दूर रहें
रजनीकांत को अन्य हीरो की तरह शो ऑफ का शौक नहीं है. वे गंजे हैं और फिल्मों में तो विग पहनते हैं लेकिन रोजमर्रा में नहीं. वे इसे स्वीकार करते हैं कि फाइलों में विग पहनना ज़रूरी है. जहाँ तक शो ऑफ की बात है, वे कहते हैं कि मेरे जैसे फ़िल्मी हीरो के लिए शो ऑफ की सही जगह फ़िल्म का परदा ही है और वहीँ मैं अपना सारा ध्यान लगाता हूँ. रजनीकांत बड़बोलेपन से भी दूर हैं और आम तौर पर विवादों से दूर रहते हैं.

सामाजिक सरोकारों पर ध्यान
रजनीकांत ने फ़िल्मी दुनिया में रहते हुए भी सामाजिक सरोकारों की उपेक्षा नहीं होने दी. २००२ में जब कर्णाटक सरकार ने तमिल नाडू के लिए कावेरी नदी का पानी रोक लिया था तब वे दिन भर के धरने पर बैठे. जब पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने नदियों को जड़ने की घोषणा की तब उन्होंने इस काम में निजी तौर पर एक करोड़ रुपये के दान का ऐलान किया. वे हमेशा नेताओं से कहते रहे कि पानी जैसे मुद्दे पर राजनीति से बाज आयें और देश का हिट पहले देखें. श्रीलंका में तमिलों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ धरने पर बैठे.

परिवार भी महत्वपूर्ण
रजनीकांत एक पारिवारिक व्यक्ति हैं. अपने व्यवसाय की आपाधापी में भी वे परिवार से विमुख नहीं हुए. वे शादीशुदा दो बेटियों के पिता है और उनकी पत्नी एक स्कूल का संचालन करती हैं. परिवार के अलावा धर्म में भी उनकी आस्था है और वे सत्य साईं बाबा के भक्त रहे हैं. हर फ़िल्म के रिलीज होने के पहले वे परिवार सहित मंदिरों में जाते हैं. एक बेटी फ़िल्म व्यवसाय में ही है और दूसरी गृहिणी. रजनीकांत मनाते हैं कि परिवार और धर्म उन्हें भीतर से शक्ति देता है.
प्रकाश हिन्दुस्तानी
--

हिन्दुस्तान may 22, 2011

.............................................................................................

रजनीकांत के कुछ लतीफ़े :



1. जब रजनीकांत स्कूल जाया करते थे तो स्कूल में बंक मारना टीचर का काम हुआ करता था।

2. रजनीकांत जब भी प्याज काटता है, प्याज से पानी की बूंदें निकलती हैं। साइंटिस्ट कहते हैं कि ये प्याज के आंसू होते हैं।

3. अगर आप सोचते हैं कि रजनीकांत का दिमाग कम्प्यूटर से तेज चलता है तो आप थोड़ा सा गलत हैं। रजनीकांत का दिमाग चाचा चौधरी से तेज चलता है।

4. एक बार रजनीकांत ने अपने उस बैंक एकाउंट का चेक काट दिया जिसमें संयोग से रुपये नहीं थे। नतीजा ये हुआ कि बैंक बाउंस हो गया।

5. रजनीकांत के कैलेंडर में 31 मार्च के बाद सीधे 2 अप्रैल की डेट आती है, क्योंकि कोई भी उसे अप्रैल फूल नहीं बना पाता।

6. रजनीकांत इतना तेज है कि वह पूरी दुनिया का एक चक्कर लगाकर अपनी पीठ पर पीछे से आकर खुद को मुक्का मार सकता है।

7. 'नो वन इज परफेक्ट', इस जुमले को रजनीकांत पर्सनल इंसल्ट के रूप में लेता है।

8. अद्भुत, अविश्वसनीय, बुद्धिमान, शक्तिशाली, महान जैसे कई शब्द 1949 में डिक्शनरी में जुड़े। इसी साल रजनीकांत का जन्म हुआ था।

9. दुनिया 2012 में समाप्त नहीं होगी क्योंकि रजनीकांत ने लाइफ टाइम वैलीडिटी वाला मोबाइल सिम खरीद लिया है।

10. रजनीकांत के कम्प्यूटर में रिसाइकिल बिन नहीं है। उसे रजनीकांत ने डिलीट कर दिया है।

11. पॉल द आक्टोपस ने फीफा वर्ल्ड कप में बिलकुल सटीक भविष्यवाणियां की थीं। उससे किसी ने पूछा कि रजनीकांत कब मरेगा? उसी दिन पॉल बाबा की मौत हो गई।

12. रजनीकांत यदि 200 साल पहले पैदा होता तो आज ब्रिटेनवासी अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे होते।

13. रजनीकांत को बचपन में चिकेन पॉक्स नाम की बीमारी ने अपनी चपेट में लिया था। आज ये बीमारी दुनिया से गायब हो चुकी है।


14 .एक किसान ने अपने मक्के के खेत में कौवे उड़ने के लिए रजनीकांत की तस्वीर चिपका दी। नतीजा यह हुआ कि कौवे अगले ही दिन मक्की के वे दाने भी वापस ले आए, जो वे पिछले साल लेकर गए थे।

15. रजनीकांत की एक मात्र पर्सनल ई-मेल आईडी है "gmail@rajanikanth.com।"

16. जिस दिन रजनीकांत की रोबोट फिल्म रिलीज हुई थी, उस दिन टाइम्स आफ इंडिया को रजनीकांत ने 4 स्टार रेटिंग दी थी.


17. बिग बॉस सीजन 4 के दौरान एक दिन के लिए रजनीकांत बिग बॉस के घर गया था. नेक्स्ट डे बिग बॉस के घर में एकाउंसमेंट हुआ ‘रजनीकांत चाहते हैं कि बिग बॉस कन्फेशन रूम में आ जाएं’.

18. जब भी भगवान हैरान होते हैं तो ·हते हैं, ‘ओह मॉय रजनीकांत’.

19. रजनीकांत ·क्रिकेट भी अच्छा खेलता है. रणजी के एक मैच में अंतिम बाल पर जीत के लिए 10 रनों की जरुरत थी. रजनीकांत स्ट्राइक पर थे. बॉलर ने जब बॉल फेंकी, रजनीकांत ने बैट से उसे हवा में उछाल उसके दो टुकड़े कर दिये. एक टुकड़े को छक्के की ओर उछाला और दूसरे को बाउण्ड्री की ओर भेज दिया.


20. क्या आपको पता है कि गणपति जी के घर पर दस दिन के लिए रजनीकांत की प्रतिमा विराजित की जाती है?

No comments: