Thursday, April 14, 2011

कामयाबी यों ही नहीं मिलती



सालाना निजी कमाई (वेतन और निवेश से)करीब 8 अरब डॉलर है यानी रोजाना दो करोड़ डॉलर से ज्यादा,हर मिनिट 16 हजार और हर सेकण्ड 250 डॉलर से भी ज्यादा! बिल गेट्स अपने तीन बच्चों के लिए सारी जायजाद छोड़कर नहीं जाना चाहते, उनका मानना है कि अगर मैं अपनी संपत्ति का एक प्रतिशत भी उनके लिए छोड़ दूं तो वह काफी होगा.



बिल गेट्स और उनके सफलता - सूत्र

बिल गेट्स दुनिया के सबसे अमीर लोगों में हैं. वे महादानी भी हैं. 28 अक्टूबर 1955 को उनका जन्म हुआ था लेकिन 32 साल पूरे होने के पहले ही 1987 में उनका नाम फ़ोर्ब्स की अरबपतियों की लिस्ट में आ गया और कई साल तक वे इस लिस्ट में नंबर वन पर भी रहे. 2007 में उन्होंने 40 अरब डॉलर (176 अरब रुपये) का दान दे दिया. वे माइक्रोसाफ्ट के चैयरमैन हैं, जिसका 2010 का कारोबार 63 अरब और मुनाफा करीब 19 अरब डॉलर का था. उनकी सालाना निजी कमाई (वेतन और निवेश से) करीब 8 अरब डॉलर है यानी रोजाना दो करोड़ डॉलर से ज्यादा, हर मिनिट 16 हजार और हर सेकण्ड 250 डॉलर से भी ज्यादा !

उच्च जीवन, उच्च विचार :

बिल गेट्स खाते-पीते घर के हैं. स्कूल में उन्होंने 1600 में से 1590 नंबर पाए थे, पढाई के दौरान ही कंप्यूटर प्रोग्राम बनाकर 4200 डॉलर कमाए और टीचर से कहा कि मैं 30 की उम्र में करोड़पति बनकर दिखाऊंगा, सो पहले ही दिखा दिया और 31 की उम्र में वे अरबपति बन गए. बिल गेट्स को दिखावे का शौक नहीं है, वे विलासितापूर्वक नहीं रहते, लेकिन वे व्यवस्थित, शानदार जीवन जीते हैं. डेढ़ एकड़ के उनके बंगले में सात बेडरूम, जिम, स्विमिंग पूल, थियेटर आदि हैं. पंद्रह साल पहले उसे करीब ६० लाख डॉलर में करीदा गया था. उन्होंने लियोनार्दो ला विन्ची के पत्रों / लेखों को तीन करोड़ डॉलर में खरीदा था. ब्रिज, टेनिस और गोल्फ के खिलाड़ी बिल गेट्स अपने तीन बच्चों के लिए सारी जायजाद छोड़कर नहीं जाना चाहते, क्योंकि उनका मानना है कि अगर मैं अपनी संपत्ति का एक प्रतिशत भी उनके लिए छोड़ दूं तो वह काफी होगा. उन्होंने दो चर्चित किताबें भी लिखीं हैं -- दी रोड अहेड और बिजनेस@ स्पीड ऑफ़ थोट्स.1994 में उन्होंने अपने काफी शेयर्स बेच दिए और एक ट्रस्ट बना दिया. 2000 में उन्होंने अपने तीन ट्रस्टों को एक कर दिया और पूरी पारदर्शिता से दुनिया भर के लोगों की मदद करने लगे. बिल गेट्स की कमाई, एकाधिकारी व्यावसायिक नीति और प्रतिस्पर्धा उन्हें बार बार विवादों में भी धकेलती रही है. 16 साल तक फ़ोर्ब्स की अरबपतियों की लिस्ट में नंबर वन रह चुके बिल गेट्स ने अपनी कामयाबी के सूत्र इस तरह बताते हैं:

दुनिया बदलो या घर बैठो :

क्या आपमें है कुछ कर गुजरने की तमन्ना? क्या आप के पास है कोई मक़सद, कोई विजन, कोई आइडिया, कोई इन्नोवेशन ? यदि कोई ऐसा लक्ष्य नहीं है तो घर बैठिये और अगर जवाब हाँ है तो अपनी योग्यता को आंकिये और अपने काम में जुट जाइए.

रास्ते खुद बनाओ :
आज जो भी रास्ते हैं वे हमेशा से नहीं थे. किसी ना किसी ने तो उन्हें बनाया ही है. नए रास्ते बनाने की कोशिश पर हो सकता लोग आपको सनकी कहें, पर आप डिगें नहीं. जब मैंने हर डेस्क और हर घर में कंप्यूटर होने की कल्पना की थी तब किसी को इस बात की कल्पना नहीं थी. मुझे भरोसा था कि कंप्यूटर हम सब की जिन्दगी को बदलकर रख देंगे.

उसूलों पर डटे रहो :
कभी भी अपने उसूलों से ना डिगो. याद रखो, सभी लोग केवल धन के लिए काम नहीं करते. मेरे साथ जितने भी लोगों ने काम शुरू किया था वे सब जानते थे कि वे धन कमाने के लिए नहीं, लोगों की जिन्दगी बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं. हम टेक्नोलोजी की मदद से लोगों का जीवन आसान बनाना चाहते थे, और वह हमने कर दिखाया जो धन कमाने से ज्यादा बड़ा काम है. उनकी हमेशा मदद करो जो संसाधनों से वंचित हैं.

हमेशा आगे की सोचो :

दुनिया तेज़ी से बदल रही है, अगर आप आगे की नहीं सोच सकते तो पिछड़ जायेंगे. आपको संभलने का वक़्त ही नहीं मिल पायेगा. आप को खेल में आगे आने के लिए और यहाँ तक कि खेल में बने रहने के लिए भी आगे की बातें सोचना ज़रूरी है. इसके लिए कड़ी मेहनत के साथ ही नवाचार (इन्नोवेशन) ज़रूरी है. बाज़ार की ज़रूरते क्या क्या रहेंगी यह जानना आवश्यक है.
आपका सर्वश्रेष्ठ तभी, जब सही लोग हों :
कोई भी प्रतिभा तभी किसी कार्य को सही अंजाम तभी दे सकती है, जब उसे सही लोगों का साथ मिले. अगर आप में बहुत प्रतिभा है लेकिन सहकर्मी और नियोक्ता आपका साथ ना दें तो? उच्च लक्ष्य को लेकर सर्वश्रेष्ठ योग्यता से काम करनेवाले लोग ही कामयाबी पा सकते है. अगर मेरे साथ पॉल एलेन और स्टीव बाल्मेर जैसे प्रतिभाशाली और चमकदार मित्र और सहकर्मी नहीं होते जो मेरी कमियों को दूर कर देते थे तो आज मैं इस जगह नहीं पहुँच पाता.

सिस्टम बनाओ :
कोई भी काम करने के लिए एक सिस्टम ज़रूरी है जिससे कि सारे काम आसानी हो सके. यह सिस्टम माइक्रो या मेक्रो हो सकता है. जरूरी नहीं कि आप ही सिस्टम बनायें, आप कोई भी अच्छा सिस्टम अपना सकते हैं. सिस्टम के चक्र उर लीवर का लाभ आपको मिल जाएगा, लेकिन ये ध्यान रखिये कि कहीं यह सिस्टम अनुत्पादकता और निकम्मेपन को तो नहीं बढ़ा रहा? अक्सर लोग सिस्टम अपनाकर उसे भूल जाते हैं और वही सिस्टम घुन बनकर संस्था को बर्बाद कर देता है.

समस्या को समझो और टुकड़ों में हल करो :

किसी भी समस्या को दूर करने के लिए उसे बारीकी से समझना ज़रूरी है. हो सकता है कि वह समस्या एक झटके में दूर ना हो सके, ऐसे में उसे टुकड़ों में बांटकर हाल किया जा सकता है. इस तरीके से बड़ी से बड़ी और तात्कालिक समस्याओं से भी पार पाया जा सकता है.

नाकामी को भी मत भूलो :
अपनी हर कामयाबी का जश्न ज़रूर मनाओ, जिससे आपको अपनी कामयाबी पर नाज हो और आप हर कामयाबी को पाना चाहें, लेकिन कभी भी अपनी नाकामी को भी मत भूलो. अपनी नाकामी से सबक सीखो और उसे रिपीट मत होने दो.

अपने लोगों का ध्यान रखो :
याद रखो टेक्नोलॉजी केवल एक टूल है, काम लोग ही करते हैं, इसलिए अपने सभी सहकर्मियों का ध्यान रखना ज़रूरी है. उन्हें कुछ और अधिकार देकर आप और ज्यादा ज़िम्मेदार भी बना सकते हैं. आपका व्यवहार न केवल सहकर्मियों के साथ, बल्कि सभी के साथ अच्छा होना चाहिए, हो सकता है कि उन्हीं में से किसी के लिए आप को काम करना पड़ जाए.

संतोष और धन :

कॉलेज से बाहर आते ही अपने बहुत धन नहीं कमाया, कोई बात नहीं, आपकी जो इनकम होनी चाहिए थी, नहीं है? कोई बात नहीं.क्या आपने अपने काम के लिए कड़ी मेहनत की? क्या आपको उस मेहनत से संतोष प्राप्त हुआ? आपने कितना कमाया यह किसी और का चर्चा का मुद्दा क्यों हो अगर आप किसी के लिए बोझ नहीं हैं तो?
प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान 17 अप्रैल 2011

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