Friday, November 21, 2014

चुनाव की आपाधापी में भूले एक जन्मदिन

वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (17 मई 2014)
11 मई को मदर्स डे मनाया गया था और 12 मई को नौ चरणों वाले लोकसभा चुनाव का आख़िरी दिन का मतदान था और फिर शुरू हो गये एक्ज़िट पोल और उनका विश्लेषण. ऐसी आपाधापी में भी पत्रकार अपनी भूमिका कैसे भूल जाते? ज़्यादा नहीं तो एक अख़बार ने तो पहले पेज पर ऐसी खबर छापी, जिससे मन को अपार सुकून मिला. विश्वास हो गया कि गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, राजेंद्र माथुर आदि महान पत्रकारों की परंपरा अवश्य जारी रहेगी. खबर भी यहाँ-वहाँ नहीं, बल्कि पहले पेज पर. वह भी चित्र सहित! पूरी खबर एक झटके में पढ़ गया. खबर क्या थी पूरी जीवनी ही थी, महान शख्सियत की उपलब्धियों का बयान भी था.


खबर में लिखा था--उन्होंने आज 13 मई के दिन ही  1981 में जन्म लिया था. बचपन से हॉकी खेलने का शौक था,  आइस स्केटिंग में भी उनकी रूचि थी. यह भी बताया गया था  कि  उन्होंने अपना करीयर एक बेकरी से शुरू किया था. साथ ही यह भी लिखा था कि केवल 11 साल की उम्र में उन्होंने पहला चुंबन लिया था और 16 साल की उम्र में उन्होने एक बॉस्केटबॉल खिलाड़ी के लिए अपनी वर्जीनिटी खो दी थी. वे मॉडल हैं, पॉर्न स्टार हैं और बिजनेस वूमन हैं.  अख़बार ने उस महान आत्मा का फोटो भी छापा था, इसलिए किसी को भी खबर का मर्म समझने में दिक्कत नहीं हुई होगी. शीर्षक भी था ही -   सनी लिओनी का जन्मदिन आज। 

पत्रकारिता में महान योगदान के लिए देश उस अख़बार का आभारी रहेगा. अगर वह खबर नहीं छापता तो? क्या देश को पता चल पाता कि नग्नता की साक्षात मूर्ति श्रीमती सनी लिओनी का बर्थ डे आज है. अख़बार ने यह नहीं बताया कि 13 मई के इस  पावन पर्व पर देश भर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं; जैसे मदर टेरेसा, इंदिरा गाँधी आदि के जन्मदिन मनाते  हैं. लोग उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं. कसमें खाई जाती है महान हस्तियों के नाम पर. लेकिन यह क्या? इतनी महान शख्सियत की खबर तो पहले पेज पर, लेकिन उनकी जलाई मशाल को आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं ! धिक्कार है इस देश की अहसानफ़रमोश जनता पर. बेचारी ने कितने बड़े बड़े त्याग किए है. 11 साल की होते ही त्याग शुरू हो गये, जो आज तक चल रहे हैं .

मुझे तो लगा कि बिग बॉस दिखानेवाला चैनल इस हस्ती पर स्पेशल प्रोग्राम दिखाएगा. उनकी तमाम धार्मिक फिल्मों के अंश दिखाए जाएँगे. कुछ नहीं दिखाया सालों ने. अख़बार से प्रेरणा ले लेते थोड़ी तो! नहीं ली कम्बख़्तों ने. और तो और महेश भट्ट भी उनको हार फूल चढ़ाने  नहीं गये. उनकी पिक्चर की हीरोइन थी. इतना फ़र्ज़ तो बनता ही  था.  पर क्या किया जाये इन अवसरवादियों का? 

किसी ने इस हस्ती  में 
के बारे में लिखा था कि  वे पॉर्न स्टार हैं , कोई प्रास्टीट्यूट नहीं. उन्होंने भी 
कहीं 

 इंटरव्यू में कहा था कि मैं कोई ऐसी वैसी नहीं हूँ. मेरी 'तमाम फिल्मों' में मैने अपने पति के साथ ही काम किया है.!

ऐसी महान पतिव्रता का जन्मदिन केवल एक ही अख़बार ने मनाया, इसका मुझे दुख है. अगले साल फिर 13 मई को उनकी जयंती आएगी. तब कृपया ध्यान रखिएगा !!! 

पत्रकारिता के उसूलों को मत भूलना .
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