सांध्य दैनिक न्यूज़ टुडे में 20 मार्च 2014 को प्रकाशित
http://epaper.newstodaypost.com/245495/Newstoday-Indore/20-03-2014#page/6/1
2014 के खट्टे अंगूर (1 )
मैं किसी पार्टी का नहीं हूँ। कई बातें समझ नहीं आ रही, आप समझा दीजिए। भाजपा लोकसभा चुनाव में क्या कर लेगी? कहाँ से जुटाएगी 272 सीटें? (अभी हम यहाँ गठजोड़ों यानी अलायंस की बात नहीं कर रहे हैं।) बच्चों का खेल है क्या ? कई राज्यों में तो उसका खाता ही नहीं खुला है। 42 सीटों वाले आंध्रप्रदेश, 20 सीटोंवाले केरल, 21 सीटोंवाले ओड़ीसा, 39 सीटोंवाले तमिलनाडु, 7 सीटोंवाली दिल्ली, 6 सीटोंवाले जम्मू-कश्मीर में उसके हाथ में अंडा यानि शून्य (0) है। इसी के साथ ही कई छोटे राज्य या केन्द्र शासित सीटों मणिपुर (2), मेघालय (2),मिजोरम (1), त्रिपुरा (2), लक्ष्यद्वीप(1),अरुणांचल (2),पॉण्डिचेरी(1), सिक्किम (1), चण्डीगढ़ (1 )में खाता उसका
नहीं है अभी.
इसका अर्थ यह है कि 35 राज्यों (या केन्द्रशासित प्रदेशों) में से 15 पर भाजपा का तो खाता ही नहीं खुला है. इन 15 प्रदेश में 148 सीटें हैं। कुल 543 सीटों में से 148 कम कर दें तो बचीं 20 राज्यों की 395 सीटें।
इन्हीं 20 बचे राज्यों में भी भाजपा की हालत बहुत शानदार नहीं थी। 42 सीटों वाले बंगाल में भाजपा के पास 1 सीट है। 13 सीटवाले पंजाब में भी भाजपा के पास एक सीट और 5 सीटवाले उत्तराखंड में भी 1 सीट भाजपा के पास है। इसका अर्थ हुआ तीन राज्यों बंगाल, पंजाब और उत्तराखंड की 60 सीटों में से उके पास केवल 3 सीटें हैं।
इसे यों समझ सकते हैं : देश में 35 राज्य - केन्द्र शासित क्षेत्र हैं जिनमें से 15 में भाजपा की कोई भी सीट नहीं है और तीन राज्यों में भाजपा की केवल एक एक सीट है। इन 18 राज्यों में लोकसभा की कुल 208 सीटें हैं जिनमें से भाजपा के पास 3 सीटें हैं। बाकी बची 335 सीटों में से ही भाजपा के करीब एक तिहाई यानी 112 सांसद हैं। ये तो है अभी का हाल।
सरकार बनाने के लिए चाहिए कम से कम कुल 272 सीटें। जब भाजपा 35 में से 17 राज्यों में ही यानी आधे राज्यों में ही मैदान में है तो कितना मैदान मार लेगी?
अभी भाजपा शासित राज्यों में मध्यप्रदेश की 29 सीटों में से 13 पर, छतीसगढ़ की 11 में से 9 पर, राजस्थान की 25 में से 4 सीटों पर काबिज है। यानी इन 65 सीटों में से भाजपा के पास 26 सीटें ही तो हैं। उत्तरप्रदेश में 80 सीटें हैं जिनमें से भाजपा कि पास हैं केवल 11, गुजरात की 26 सीटों में से भाजपा का कब्ज़ा है 17 सीटों पर और महाराष्ट्र की 48 सीटों में से भाजपा के पास हैं कुल 9 सीटें। यानी यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र की 154 सीटों में से भाजपा के पास हैं कुल 36 सीटें।
संक्षेप में :
--भाजपा का 35 राज्यों-क्षेत्रों में से 15 पर खाता ही नहीं खुला है और यहाँ हैं कुल 148 सीटें। इसके अलावा ;
--3 प्रमुख राज्यों की 60 सीटों में से भाजपा के पास है केवल 3 सीटें।
--भाजपा शासित 4 प्रमुख राज्यों में भाजपा के पास हैं 91 में से 43 सीटें।
--उत्तरप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों की 154 सीटों में से भाजपा के पास है 36 सीटें।
सवाल है कि अरविंद केजरीवाल और आप के साथ ही तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट के बीच क्या कोई चमत्कार होनेवाला है ? क्या मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरातऔर छत्तीसगढ़ में उसे सौ फ़ीसदी --सभी की सभी सीटें मिल जाएंगी यानी 91 की 91 ?
क्या भाजपा को महाराष्ट्र - उत्तरप्रदेश में 128 में से आधी भी मिल पाएंगी यानी 64 ?
क्या केरल, ओडीसा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में वह खाता खोल पायेगी ?
भारत में 35 राज्य व् केन्द्र शासित प्रदेश हैं जिनमें 37 पार्टियां और 8 निर्दलीय सांसद पिछले मर्तबा जीते थे। भारत बहुत बड़ा देश है और यह बात समझ लेना ज़रूरी है कि केवल हिन्दी हार्टलैंड ही भारत नहीं है।
© प्रकाश हिन्दुस्तानी
05. 02. 2014
No comments:
Post a Comment