Sunday, September 18, 2011

आंतरिक सौन्दर्य से बनीं मिस यूनिवर्स

रविवासरीय हिन्दुस्तान के एडिट पेज पर 18 सितम्बर 2011 को प्रकाशित मेरा कॉलम




भीतरी खूबसूरती से मिला मिस यूनिवर्स का ताज


दुनिया में केवल तीन तरह की स्त्रियाँ होती हैं : सुन्दर, अति सुन्दर और कोई अद्वितीय सुन्दर. अंगोला की 25 वर्षीया लीला लोपेज़ तीसरी श्रेणी की हैं जो हाल ही 2011 की मिस यूनिवर्स चुनी गयीं. 88 दूसरी सुंदरियों को पीछे छोड़ते हुए आंतरिक सौन्दर्य और बुद्धि के बूते उन्होंने 60 वां मिस यूनिवर्स का ताज अपने माथे पर रखवाया. अंगोला की इस अश्वेत सुन्दरी ने साबित कर दिखाया कि असली सौन्दर्य त्वचा का रंग, चेहरा और शारीरिक अंकगणित नहीं, उससे कहीं बढ़कर अंतर्मन में है. अंगोला की निवासी और ब्रिटेन में व्यवसाय प्रबंधन की छात्रा लीला लोपेज़ की सफलता के कुछ सूत्र:
सौन्दर्य के मापदंडों को चुनौती
मिस यूनिवर्स स्पर्धा में अंतिम दौर में लीला लोपेज ने सौन्दर्य के मापदंडों को ही चुनौती देने का हौसला दिखाया और मिस यूनिवर्स का ताज झटक लिया. एक निर्णायक ने जब उनसे पूछा था कि यदि संभव हो तो वह अपने रंग - रूप में किस तरह का बदलाव करना चाहेंगी? प्रश्नकर्ता का आशय रहा होगा कि शायद लीला अपने अश्वेत होने पर श्यापा करेंगी और कुछ कहेंगी, लेकिन उनके जवाब ने निर्णायकों के चुप करा दिया क्योंकि उनका जवाब था --ऊपरवाले ने मुझे जैसा बनाया है मैं वैसी ही बहुत खुश हूँ. मैं कोई भी ऊपरी बदलाव नहीं चाहती. मैं खुद को एक ऐसी ही स्त्री के रूप में देखना चाहती हूँ जो भीतर से सुन्दर हो. लीला के जवाब ने सौन्दर्य के तयशुदा मापदंडों पर नयी समझ का मार्ग खोल दिया और आंतरिक सुन्दरता की तरफ देखने पर बल दिया.
असली सौन्दर्य की पहचान
लीला लोपेज़ अंगोला की पहली युवती हैं जिन्होंने मिस यूनिवर्स का ख़िताब जीता है.(भारत की सुष्मिता सेन 1994 में और लारा दत्ता 2000 में यह ताज जीत चुकी हैं.).जब वे मिस अंगोला चुनी गयीं थीं, तब 'मिस फोटोजनिक' का ख़िताब भी उन्हें ही मिला था. मिस यूनिवर्स स्पर्धा में शामिल कई युवतियों का कद लीला के समान ही पांच फीट दस इंच का था लेकिन लीला को पता था कि यह केवल शारीरिक सौन्दर्य की प्रतियोगिता नहीं है और इसमें इंटरव्यू का एक दौर भी है. सौन्दर्य को समझाने के लिए उन्होंने बुद्धि और ह्रदय को बराबरी के स्थान पर रखा और इन्हीं के भरोसे अपने इंटरव्यू का सामना किया. इस तरह लीला ने उन लोगों को असली सौन्दर्य की पहचान करा दी जो त्वचा के रंग को सुन्दरता से जोड़कर देखते हैं.
नकलीपन से दूरी
लीला लोपेज़ ने कभी भी किसी भी तरह की कॉस्मेटिक सर्जरी नहीं कराई. ना ही नकली बत्तीसी का सहारा लिया, जैसा कई प्रतियोगी करती रही है. उनका मानना है कि यदि आप खुद अपनी सुन्दरता को नहीं देखेंगे तो दूसरा कोई कैसे देखेगा? अगर आप नकली चीज़ों का उपयोग करके खुद को सुन्दर दिखाना चाहते हैं तो यह एक तरह का धोखा होगा. कोई भी दूसरा इतना नासमझ नहीं है कि आपके नकलीपन के भुलावे में आ जाये. जब आप एक नकली रूप धरते हैं तो फिर वही नकलीपन आपके आचार व्यवहार और रोज़मर्रा के जीवन का अंग बनाने लगता है और आप असली चीज़ों से दूर होने लगते है.
धूप, नींद और पानी
आज लोग कृत्रिम प्रसाधनों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और सौन्दर्य के असली प्रसाधनों को भूलते जा रहे हैं. लीला लोपेज़ के अनुसार सौन्दर्य के असली प्रसाधन हमें प्रकृति से मुफ्त में मिल रहे हैं और वे हैं धूप, नींद और पीने का पानी. लीला का ब्यूटी सीक्रेट उनका यही फार्मूला है -- धूप और सूरज की रोशनी से दूर मत भागो, हमेशा पूरी नींद लो और पूरे दिन भरपूर पानी पीयो. इस बारे में ब्यूटी क्लिनिक चलानेवाले चाहे जो कहें, सबसे बड़ा सौन्दर्य का स्रोत तो प्रकृति है और वह हमें पूरी ज़िन्दगी सारे सौन्दर्य प्रसाधन मुफ्त में उपलब्ध कराती है. लीला लोपेज़ रोजाना सात से आठ घंटे सोती हैं और भरपूर पानी पीती हैं. ये बातें मुझे तरोताज़ा दिखने में मदद करती हैं. धूप सेंकना और भरपूर स्नान करना भी उन्हें पसंद है.
परिवार के आदर्श न भूलें
आप चाहे जहाँ भी पहुँच जाएँ, कितनी भी ऊंचाई को छू लें, लेकिन कभी अपने परिवार के आदर्शों को न भूलें. आप जिस दुनिया के सदस्य हैं, परिवार उसकी पहली कड़ी है. अगर परिवार को महत्व दिया जाए तो आपके तनाव पल में ही दूर हो जाते हैं और परिवार के आदर्शों पर चलकर आप अपनों के बीच तो जगह बना ही लेते हैं नए लक्ष्यों को भी आसानी से पा सकते हैं. लीला का परिवार समाजसेवा के अनेक कार्यों में लगा है और अंगोला के गरीब बच्चों की मदद करने के साथ ही बीमारों को इलाज के लिए धनराशि उपलब्ध कराता है. लीला भी एड्स पीड़ितों को इलाज के लिए धन मुहैया करने का कम करती है. अनेक एनजीओ से जुड़कर वे यह कार्य करती हैं और इसे अपना कर्तव्य समझती हैं.
दोस्तानापन और निश्छल व्यवहार
मिस यूनिवर्स चयन के गलाकाट स्पर्धा के माहौल में लीला की सह प्रतियोगी उनकी तारीफ करते नहीं थकतीं कि पूरीप्रतियोगिता के दौरान उनका व्यवहार पूरी तरह से दोस्ताना बना रहा. किसी भी प्रतियोगी से खौफ खाए बिना वे मित्रवत बनी रहीं, और इसी का नतीजा था कि उनके मिस यूनिवर्स बनने की घोषणा होते ही बहुत सी प्रतियोगियों ने उन्हें मंच पर ही घेर लिया. लीला का कहना है कि जब भी कभी आप किसी के प्रति कटु होते हैं तब अपना ही चैन गंवाते हैं जो किसी भी दशा में अच्छा नहीं कहा जा सकता. इसका एक और लाभ यह है कि अच्छे बर्ताव के बदले आपको भी अच्छा बर्ताव मिलता है.
स्वास्थ्य ही सौन्दर्य है
लीला लोपेज़ अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी सेहत को देना भी नहीं भूलतीं. उनका मानना है कि केवल स्वस्थ व्यक्ति ही सुन्दर हो सकता है. अगर कोई बीमार हो तो सुन्दर कैसे लगेगा? वे उन सैकड़ों खिलाड़ियों की तारीफ करती हैं जो अपने सौन्दर्य के लिए कुछ भी नहीं करती, लेकिन फिर भी बेहद खूबसूरत नज़र आती हैं. खेलने से शरीर स्वस्थ रहता है और स्वस्थ इंसान अपनाप ही सुन्दर नज़र आता है. उन्हें स्विमिंग का शौक है और कहती हैं कि यह भी प्रकृति का वरदान है कि इंसान पानी में तैर सकता है.
-- प्रकाश हिन्दुस्तानी


(दैनिक हिंदुस्तान 18 सितम्बर 2011 को प्रकाशित)

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