Friday, February 25, 2011





योग साम्राज्य का संन्यासी बाबा रामदेव


आज बाबा के समर्थक करोड़ों में हैं और उनके विरोधी भी बड़ी संख्या में हैं. उनकी हस्ती ही ऐसी है कि लोग उन्हें पसंद कर सकते हैं, नफरत कर सकते हैं या ईर्ष्या कर सकते हैं, पर नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.




नाम : रामकृष्ण यादव उर्फ़ बाबा रामदेव.
उम्र : ४६ साल.
शिक्षा : आठवीं पास लेकिन गुरुकुल में संस्कृत और योग की पढ़ाई, तीन मानद डॉक्टरेट.
पेशा : टीवी पर प्रोग्राम देना व योग के 'इवेंट' करना.
व्यवसाय : योग के कैसेट,ऑडियो सीडी, वीसीडी, डीवीडी, एमपी थ्री, रिंग टोन का विक्रय, योग चिकित्सा व शिक्षा के अलावा जुकाम से लेकर शिश्न बड़ा करने से वक्ष सुडौल करने तक की दवाएं बेचना.
खुद की संपत्ति : शून्य.
ट्रस्टों की संपत्ति : कोई हिसाब नहीं. खुद का बैंक खाता नहीं है.
ट्रस्टों का कारोबार 1100 करोड़ से ज्यादा.
उपलब्धि : दुनिया में योग का डंका बजाना, स्वास्थ्य चेतना जगाना,
अन्य कार्य : भारत स्वाभिमान पार्टी के जनक.
दावा : मैं प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं.
पता : पतंजलि योग पीठ, हरिद्वार.


लालू यादव की बात मान बाबा रामदेव राजनीति से दूर ही रहते तो इतने विवादों में नहीं पड़ते. यों भी दूसरे संन्यासियों, नेताओं, टीवी कलाकारों को उनसे कोई कम ईर्ष्या नहीं थी. आये दिन उनकी योग चिकित्सा को चुनौतियाँ मिलती ही रहती थीं, दिव्य योग मंदिर में कम वेतन, दवा में हड्डी का अंश, कैंसर और एड्स के इलाज के दावे पर सवाल, समलैंगिकता को मानसिक बीमारी कहने पर विरोध, वन्दे मातरम विवाद पर उनकी टीका, उड़ान फेम कविता चौधरी की योग यात्रा नामक फ़िल्म में एक्टिंग, स्कॉटलैंड में दान में मिला द्वीप,...ऐसे मुद्दे हैं, जिनके कारण बाबा सुर्ख़ियों के शहंशाह बनते रहे हैं. अब सबसे बड़ा मुद्दा उन्होंने काले धन को लेकर उछाला है. वे जिस भारत स्वाभिमान पार्टी के नेता हैं, उसमें एक से दस नंबर तक वे ही सर्वेसर्वा हैं.

बाबा अन्नत्यागी हैं. दो साल से केवल फल और दूध सेवन कर रहे हैं. फिलवक्त देश में घूम-घूम कर काले धन के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. दो साल का कार्यक्रम फिक्स है. बाबा का ही कमाल था कि लोग कोल्ड ड्रिंक्स पीने के बजाय उससे टायलेट्स साफ़ करने लगे थे जिससे गर्मी में भी कोल्ड ड्रिंक्स की खपत कम हुई और लाखों वेतन पानेवालों को नौकरी के लाले पड़ गए. करोड़ों लोगों ने योग को अपनाया और लाभान्वित हुए. अब उनका पांच सूत्री अभियान है भ्रष्टाचार मिटाना,स्वास्थ्य सेवा दिलाना, मुफ्त शिक्षा, स्वच्छता आन्दोलन और भाषाई एकता.

लिबरलाइजेशन, ग्लोबलाइजेशन और प्राईवेटाइजेशन जैसे शब्दों से बाबा को नफ़रत है और नेहरू खानदान को छोड़ सभी महान नेता उनके आदर्श हैं, चाहे विवेकानंद हों या सुभाष, भगतसिंह हों या विनोबा, गांधी हों या सुभाष. उनका फलसफा है कि 99 फीसद लोग ईमानदार हैं, 100 फीसद लोग परोक्ष रूप से टैक्स देते हैं, भ्रष्टाचार ज़हर है जो देश को खा रहा है, विकास के लिए विदेशी पूंजी गैरज़रूरी है. बाबा के समर्थक मानते हैं कि काले धन वाले नेता, विदेशी पूंजी के दलाल और पेस्टिसाइड लॉबी उनके खिलाफ अभियान चला रही हैं.

कभी साइकिल से गली-गली जाकर आयुर्वेदिक दवा बेचनेवाले रामकृष्ण यादव की कहानी फ़िल्मी लगती है. 1995 में उन्होंने कर्मवीर महाराज और आचार्य बालकृष्ण के साथ ट्रस्ट बनाया था और पीछे नहीं देखा. 6 अगस्त 2006 को पतंजलि योगपीठ की स्थापना की. उसके बाद उन्होंने अपनी भूमिका बार बार बदली. आज बाबा के समर्थक करोड़ों में हैं और उनके विरोधी भी बड़ी संख्या में हैं. उनकी हस्ती ही ऐसी है कि लोग उन्हें पसंद कर सकते हैं, नफरत कर सकते हैं या ईर्ष्या कर सकते हैं, पर नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.
प्रकाश हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तान
27 फ़रवरी 2011

2 comments:

याज्ञवल्‍क्‍य said...

रामू अहिर के बारे में यह जानकारी नही थी, वैसे आपकी बात सही है, उसे पसंद करे या ना करें, पर नजरअंदाज तो कतई नहीं कर सकते।

Unknown said...

Well written article, never had so much of information about Baba Ramdev