

कराची का घुमक्कड़ 'होम बॉय'
पाकिस्तानी लेखक हुसैन मुर्तजा नक़वी के बारे में हिन्दुस्तान में आज मेरा कालम. कुछ लेखक सोचने को मज़बूर कर देते हैं और कुछ लेखक चकित होने को. ...लेकिन नक़वी दोनों के लिए मज़बूर कर देते हैं. उन्हें हाल ही जयपुर साहित्य महोत्सव में ५० हज़ार डॉलर के अवार्ड के लिए चुना गया.
कुछ लेखक सोचने को मज़बूर कर देते हैं और कुछ लेखक चकित होने को. ...लेकिन पाकिस्तानी लेखक हुसैन मुर्तजा नक़वी दोनों के लिए मज़बूर कर देते हैं. उनके पहले ही उपन्यास 'होम बॉय' को जयपुर साहित्य महोत्सव में ५० हज़ार डॉलर के पहले डीएससी साउथ एशियन लिटरेचर अवार्ड के लिए चुना गया. यह उपन्यास नौ ग्यारह के हमले के बाद अमेरिका में रहकर काम कर रहे युवा मन की पीड़ा और संवेदनाओं को बताता है. इस उपन्यास में रहस्य भी है और रोमांच भी. प्रेम भी है और डर भी. इस उपन्यास के एशियाई, जर्मन, ब्रिटिश और अमेरिकन एडिशन आ चुके हैं और कई भाषों में अनुवाद हो रह है. हफिंगटन पोस्ट ने इसे टॉप टेन पुस्तकों में शुमार किया है न्यूयार्क टाइम्स से लेकर फ़ोर्ब्स तक इसके बारे में कुछ न कुछ छो चुके हैं.
नक़वी पेशे से फाइनेशियल सेक्टर में हैं. लिखने का शौक उन्हें बचपन से था पर मिडिल क्लास के माता पिता को लगता था कि कहीं ये बिगड़ ना जाये. बड़े जतन से उन्होंने परवरिश की और बेटे को पढ़ने विलायत भेजा. बेटा इस्लामाबाद और न्यूयार्क में पढ़कर और नौकरिकर वापस अपने मुल्क पकिस्तान लौट आया और कराची में बस गया, लेकिन दुनिया घूमने का उसका चस्का लगा रहा. वह जगह जगह हो रहे साहित्यिक जलसों में जाता और अपनी कविताएं सुनाता. उर्दू पर उनकी पकड़ अच्छी है और शायरी उनका पहला प्यार. साथ ही वे समकालीन पाकिस्तानी कला, अल्पसंख्यकों की समस्याओं, बलूचिस्तान के हालात पर भी लिखते हैं. ग्लोबल पोस्ट और फ़ोर्ब्स पत्रिकाओं में उनका लेखन ताजातरीन मुद्दों पर होता है. उपन्यास लेखन उन्होंने पाँच साल पहले ही शुरू किया था और उनके खाते में केवल एक ही उपन्यास दर्ज है.
अमेरिकी माहौल में जीने का उनका अनुभव लेखन में काम आया ही, उपन्यास को चर्चित बनाने में भी मददगार साबित हुआ. उनकी यात्राओं में अंग्रेज़ी किताबों के खरीददार सभी प्रमुख देशों के शहर शामिल हैं. अलग अलग देशों में उनके प्रकाशकों ने पब्लिसिटी के लिए भी खासा बजट बना रखा है और वे किसी पोदक्त की लांचिग की ही तरह काम कर रहे हैं. पाकिस्तानी आर्टिस्ट फैज़ा बट से उनके सम्बन्ध है और उन्होंने अपनी किताब का कवर भी उन्हीं से बनवाया है. अमेरिकी एडिशन के लिए कवर पर न्यूयार्क का नज़ारा लिया गया है.
नक़वी कहते है कि उनके हाथ में ही खुजली है और वे बिना लिखे नहीं रह सकते. उर्दू में कवितायें लिखना उनका शगल है और उपन्यास लिखना जुनून. उन्हें 'एडल्ट टाइप' उपन्यास लिखना तो क्या, पढ़ना भी नागवार है. कोई उनकी जातीय ज़िन्दगी में दखल दे, यह पसंद नहीं. अपना पूरा नाम वे कहीं नहीं लिखते, अपने ब्लॉग पर भी नहीं. अपनी वेबसाइट में उन्होंने अपने लेखन से जुडी हर टिप्पणी को महत्त्व दिया है. वे एक शायर के रूप में गोष्ठियों में तो जाते है पर मंचीय शायर के रूप में मुशायरों में शिरकत नहीं करते.
मध्यवर्गीय परिवार के तीन बेटों में सबसे बड़े हुसैन मुर्तजा का जन्म 1974 में हुआ था. उन्होंने पकिस्तान में शुरूआती पढ़ाई की और फिर जोर्ज टाउन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और अंग्रेज़ी में डिग्री ली. पढाई के बाद अमेरिका में ही नौकरी कराने के बाद वे 2007 में वापस पकिस्तान लौट आये.
प्रकाश हिन्दुस्तानी
हिन्दुस्तान
30 जनवरी 2011