Friday, November 26, 2010


हरभजन सिंह का 'दूसरा' रोल

अमिताभ बच्चन उनके फैन हैं, राहुल द्रविड़ उन्हें भारतीय गैरी सोबर्स कहते
हैं, धोनी उन्हें एक्सपर्ट गेंदबाज़ मानते हैं, पर वे अकसर विवादों में
घिरे रहते हैं. बार-बार उन्हें माफी माँगनी पड़ती है, कभी खिलाड़ी श्रीसंथ को
थप्पड़ मरने के कारण तो कभी रावण बनकर डांस करने के कारण. कभी किसी व्हिस्की
का विज्ञापन करने के लिए तो कभी न्यूज़ चैनल कैमरामैन को थप्पड़ मरने के लिए.
कभी भांगड़ा पर कमेन्ट के लिए तो कभी नस्लवादी टिप्पणी के लिए. कभी उनकी
फिटनेस चर्चा में होती है तो कभी काली पगड़ी. कभी उन्हें प्रतिबन्ध झेलना
पड़ता है तो कभी जुर्माना देना पड़ता है. उन्हें पद्मश्री देने की घोषणा होती
है और वे यह सम्मान लेने राष्ट्रपति भवन नहीं जा पाते. उन्हें किफायती गेंदबाज़
माना जाता है और वे चैम्पियंस ट्रॉफ़ी में पाकिस्तान के खिलाफ सबसे बुरा
प्रदर्शन करते हैं....लम्बे अरसे बाद उन्होंने अपनी अहमियत जताई है. हरभजन सिंह
उर्फ़ भज्जी ऐसे ही हैं.

हरभजन सिंह ने कई बार भारतीय टीम की लाज बचाई है. वे बल्ले के बादशाह
हैं. अब आशा है कि वे गेंद के साथ भी बादशाहत करेंगे. उनके विवादों पर इतना
ज्यादा लिखा गया, जितना उनके खेल पर नहीं. अब लोगों ने 'नए' हरभजन सिंह को
देखा है. ऐसे हरभजन जो भारत के सफलतम ऑफस्पिन बॉलर तो है ही, कामयाब बल्लेबाज़
भी हैं. उनके राईट हैण्ड बैटिंग का जादू हैदराबाद और अहमदाबाद में न्यूजीलैंड
के खिलाफ देखने को मिल चुका है. हैदराबाद में जहाँ उन्होंने काउंटर अटैक किये
वहीं अहमदाबाद में उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण के 'गाइडेंस' में शतक बनाया. अब खुद
को बैट्समैन के फ्रेम में भी बनाये रखने के लिए मेहनत कराना होगी. शतकों के बाद
हरभजन ने कहा था कि सचिन उन्हें लगातार बैट्समैन की भूमिका के लिए प्रेरित
करते थे और सचिन के चेहरे पर आया संतोष ही उनका सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार रहा.
(२८०)

वास्तव में हरभजन ने क्रिकेट-दीक्षा बैट्समैन के रूप में ही ली थी. उनके
पहले कोच चरणसिंह बुल्लर थे. उनके निधन के बाद देवेंदर अरोरा उनके कोच बने और
उनसे लगातार कड़ी मेहनत कराते रहे. उसी का नतीजा है हरभजन का खेल. आज वे दुनिया
के दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेनेवाले ऑफस्पिनर हैं. वे ऐसे गेंदबाज़ हैं जिनकी
पकड़ गेंद पर बनी ही रहती है. उनकी गेंद फेंकने की स्टाइल (दूसरा) लाजवाब है.
उनके खेलने के तरीके और उपलब्धियों पर पुस्तकें लिखी जा सकती हैं. हरभजन के
लिए सभी मैदान अच्छे साबित हुए हैं. ईडन गार्डन, कोलकाता में उन्होंने 6
टेस्ट में 38 विकेट (23.10 ) लिए थे और चेन्नई के चेपौक में 5 टेस्ट में 34
(24 .25 )और वानखेड़े, मुंबई में 22 विकेट (19 .45 ) लिए है. दिलचस्प बात ये है
कि उन्होंने 60 प्रतिशत विकेट खुद कैच लेकर किये है. उनके खाते में पद्मश्री,
अर्जुन अवार्ड, आईसीसी टेस्ट अवार्ड 2009 और आस्ट्रेलिया, वेस्ट इंडीज़ और साउथ
अफ्रीका के साथ हुई सीरिज में 'मैन ऑफ़ दी सीरिज़' और आस्ट्रेलिया,
ज़िम्बाब्वे, वेस्ट इंडीज़, साउथ अफ्रीका और श्रीलंका के साथ हुए मैचों में
'मैन ऑफ़ दी मैच' घोषित हो चुके हैं.

3 जुलाई 1980 को जालंधर में मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे भज्जी के पिता का
निधन 2000 में हो गया था. वे पांच बहनों के इकलौते भाई हैं. अपने पिता की
भूमिका भी वे ही निभा रहे हैं. 2002 में उन्होंने अपनी तीन बहनों की शादी
करवाई. बाद में एक और बहन का विवाह भी उन्होंने ही कराया. उनके खुद की शादी की
अफवाहें बार बार उड़ती रहती हैं. गीता बसरा नाम की अभिनेत्री से भी उनके इश्क
के चर्चे चले, पर बात बनी नहीं. अब उन्हें कोई पंजाबी कुड़ी चाहिए.
--प्रकाश हिन्दुस्तानी
dainik hindustan 22.11.2010

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