Friday, November 12, 2010







महाराष्ट्र के ट्रबलशूटर पृथ्वीराज चव्हाण


वे एयरोस्पेस इंजीनियर हैं और ज्योतिष को नहीं मानते. मैकेनिकल इंजीनियरिग की पढ़ाई बिट्स, पिलानी और केलिफोर्निया में की हैं, लेकिन हैं राजनीतिज्ञ. किसान-नेता के बेटे हैं और जीएम (जेनेटिकली मोडिफाइड) फूड्स के समर्थक. राजीव गाँधी की डिस्कवरी हैं और उन्हीं के आग्रह पर अमेरिका में मोटी तनख्वाह की नौकरी छोड़ वापस भारत आये और जुट गए कंप्यूटर के जरिये इक्कीसवीं सदी का भारत बनाने के मिशन में. भारतीय भाषाओँ में कंप्यूटर डाटा बेस तैयार कराना उनका मकसद था. लोक सभा में कराड़ से खड़ा कर दिया गया जो शरद पवार के आभामंडल का इलाका है. 1991, 1996 और 1998 में वे कराड़ से जीते और 1999 में हारे. 2002 में राज्यसभा के लिए चुने गए. मंत्री सहित अनेक बड़े पदों पर रहे. लोग कहते हैं कि वे मनमोहन सिंह के ट्रबलशूटर रहे हैं. अब वे महाराष्ट्र के ट्रबलशूटर हैं.

पीएमओ की बैक-बेंच से मुंबई की हॉट सीट तक का उनका सफ़र व्यक्तिगत निष्ठा, बेचूक वफादारी और राजनैतिक सूझबूझ का पुरस्कार है. वे कभी जननेता नहीं रहे. लेकिन वे केंद्र में एकमात्र ऐसे मंत्री थे, जिनके पास ५ महत्वपूर्ण विभाग एक साथ रहे. वे कांग्रेस के महासचिव रहे और जम्मू-कश्मीर, गुजरात और हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रभारी भी रहे. महाराष्ट्र के २५वे मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण पार्टी के प्रवक्ता भी रहे, लेकिन लोग कहते हैं कि वे पार्टी से ज्यादा प्रधानमंत्री के प्रवक्ता थे और दस जनपथ और सात आरसीआर के बीच के भरोसेमंद पुल भी. जब यूपीए की सरकार बनी तब उन्हें विश्वास था कि उन्हें वित्त मंत्रालय में पद मिलेगा, लेकिन मिला प्रधानमंत्री के सहायक मंत्री के रूप में. बहुत कम नेताओं को यह पद फलीभूत हुआ है, लेकिन चव्हाण ने यहाँ महती भूमिका निभाई. वे लो प्रोफाइल में रहे. पीएमओ सेक्रेटरी पुलोका चटर्जी थे, मीडिया एडवाइज़र संजय बारू, न्यूक्लियर डील पर चर्चा और फैसले जेएन दीक्षित और एमके नारायणन करते थे. इसके साथ ही कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और अश्विनी कुमार की पीएमओ में उनसे ज्यादा चलती थी. उन्हें महत्वपूर्ण मौका मिला, जब न्यूक्लिअर डील जैसे संवेदनशील मामले में उन्होंने सरकार का पक्ष मज़बूती से रखा.

महाराष्ट्र के मराठा हार्टलैंड में शरद पवार की राजनीतिक हस्ती को वे चुनौती दे रहे हैं. कभी वे खुद और उनका परिवार शुगर लॉबी के करीबी थे. उनके पिता दाजीसाहेब आनंदराव चव्हाण इंदौर महाराजा के दीवान थे और बाद में कराड़ जाकर बस गए. 1957 से 1971 तक उनके पिता लगातार लोकसभा जीतते रहे. पं. नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिराजी के मंत्रिमंडल में रहे. 1974 में उनके निधन के बाद पृथ्वीराज की माँ श्रीमती प्रेमलता ताई 1977, 1984 और 1989 में उसी सीट से लोकसभा जीतीं. 1999 में उन्हें यहाँ से चुनाव में मात मिली. 1969 और 1978 में उनके परिवार ने इंदिरा गाँधी का साथ दिया था. 1996 में जब शरद पवार ने पार्टी में सोनिया का विरोध किया था, तब पृथ्वीराज चव्हाण ने केवल और केवल सोनिया गाँधी में ही भविष्य देखा था.

पृथ्वीराज चव्हाण को पवार समर्थक माना जाता था और इसी कारण उन्हें नरसिंहराव की सरकार में जगह नहीं. मिली थी. आज वे उन्हीं पवार के सबसे प्रबल राजनैतिक प्रतिस्पर्धी हैं. दिल्ली के सहारे वे कितने दिन राज कर पायेंगे और क्या आदर्श कायम करेंगे, वक़्त बतायेगा. मराठी कहावत है -- सतरा लुगड़ी आणि धापूबाई उघडी. यानी सत्रह साड़ियों के बावजूद नारी का शरीर खुला हुआ है--ये हाल है महाराष्ट्र के किसानों का. महाराष्ट्र में सत्ता की असली चाभी तो किसानों के पास ही है. मुंबई के मंत्रालय का असल रास्ता तो महाराष्ट्र के ग्रामीण अंचलों से ही होकर गुज़रता है.

--प्रकाश हिन्दुस्तानी


(दैनिक हिन्दुस्तान 14 nov.2010)

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