Wednesday, April 29, 2015

न्यू जर्सी में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन पर एक रिपोर्ट

न्यू जर्सी में हुए अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में न्यू जर्सी क्षेत्र में हिन्दी के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। इसका उद्देश्य होगा हिन्दी के साथ-साथ सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देना। इस केन्द्र की स्थापना के लिए न्यू यॉर्वâ स्थित भारतीय काउंसल जनरल श्री ध्यानेश्वर मूले ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के आयोजक और हिन्दी संगम फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री अशोक ओझा के अनुसार यह केन्द्र हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए कार्य करेगा। श्री मूले ने आशा व्यक्त की कि यह केन्द्र हिन्दी सिखने वालों के लिए काफी मददगार होगा और दुनियाभर के हिन्दी केन्द्रों और विश्वविद्यालयों से मिलकर हिन्दी के विकास के लिए कार्य करेगा।

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर हिन्दी संगम फाउंडेशन के डॉक्टर वेद चौधरी ने इस अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी केन्द्र की स्थापना की रूपरेखा रखी। श्री चौधरी के अनुसार यह केन्द्र न्यू जर्सी के आसपास होना चाहिए। जहां रटगर्स विश्वविद्यालय भी है। इस पर करीब ४० लाख डॉलर (करीब २५ करोड़) लागत आने का अनुमान है। 
न्यू जर्सी में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन रटगर्स विश्वविद्यालय, हिन्दी संगम फाउंडेशन, टीवी एशिया, भारतीय विद्या भवन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आदि के सहयोग से किया गया। इस आयोजन का ध्येय था हिन्दी के विकास के लिए संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न चर्चा सत्र रखे गए थे। जिनमें २५० से अधिक शिक्षाविद, हिन्दीेसेवी, सामाजिक कार्यकर्ता और भाषाविद शामिल हुए। सम्मेलन में शामिल होने वाले अनेक विद्वान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर चुके है। 
रटगर्स विश्वविद्यालय परिसर में सम्पन्न हुए इस आयोजन में विद्यार्थियों ने भी प्रमुख भूमिका निभाई। आयोजन के दौरान हिन्दी के अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किए और हिन्दी की महत्ता को प्रतिपादित किया। विद्यार्थियों ने हिन्दी में कविता, कहानी और नृत्य तथा नाट्य प्रस्तुतियां भी दी और हिन्दी के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन किया। इस बात पर भी चर्चा हुई कि हिन्दी में तकनीकी, वैज्ञानिक और उच्च शिक्षा को बढ़ावा वैâसे दिया जाए। इसी के साथ उद्योग वाणिज्य व्यवसाय के उद्यमों, साहित्य आदि के क्षेत्र में भी किस तरह हिन्दी को आगे लाने का प्रयास किया जाए। आयोजन में भारत सरकार और दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ टेव्नâोलॉजी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। हिन्दी के विकास को लेकर कोई भी विषय अछूता नहीं रहा। आयोजन की संरचना ही इस तरह की गई थी कि उसमें कोई भी कमी ना रहे। इसी के साथ आयोजन के अंत में प्रस्ताव पारित करके अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी केन्द्र की स्थापना का समर्थन इस आयोजन की सार्थकता साबित करता है। पूरे आयोजन का वेब प्रसारण भी किया गया। जिसे दुनियाभर के हजारों हिन्दी प्रेमी लोगों ने देखा। 
चर्चाओं के सत्र की शुरुआत हिन्दी का उपयोग उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ाने के बारे में मंथन के साथ हुई। इसके बाद व्यवसायिक प्रयोग क्षेत्रों में भाषा के संतुलन को बनाने पर गहन चिंतन-मनन हुआ। दुनियाभर के देशों में हिन्दी का शिक्षण और प्रशिक्षण वैâसे हो इस पर भी चर्चा हुई। हिन्दी शिक्षण के आयाम और उसकी रूपरेखा पर अनेक वक्ताओं ने प्रकाश डाला। 
‘टेव्नâोलॉजी और हिन्दी’ चर्चा सत्र की शुरुआत प्रकाश हिन्दुस्तानी ने हिन्दी इंटरनेट की भाषा विषय से शुरू की। दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ. हर्षबाला शर्मा ने हिन्दी शिक्षण की तकनीक पर चर्चा की और तेजू प्रसाद ने हिन्दी के अध्ययन और अध्यापन के ऐप्स के बारे में जानकारी दी। इस सत्र का संचालन अनुप भार्गव ने किया, जिनपर हिन्दी कविता को ऑनलाइन प्रस्तुत करने का श्रेय जाता है। इसी के साथ उच्च शिक्षा में हिन्दी पर चर्चा हुई, जिसमें विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने अपने विचार रखें। हिन्दी के समकालिन साहित्य पर भी चर्चा हुई, जिसमें अनेक भारतीय और प्रवासी भारतीय साहित्यकार शामिल थे। रटगर्स विश्वविद्यालय के हिन्दी के छात्रों ने ‘हम हिन्दी क्यों सिख रहे है’ विषय पर चर्चा की। हिन्दी में अनुवाद और हिन्दी लेखन के अंग्रेजी अनुवाद पर भी एक पूरा सत्र हुआ और विश्वविद्यालयों ने हिन्दी शिक्षण के प्रबंधन को लेकर भी खुलकर चर्चा हुई। हिन्दी सिखने के नए-नए तरीकों पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला। समापन सत्र में हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए हिन्दी केन्द्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। जिसे सर्व सम्मति से पारित किया गया।

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