वाह रे पाकिस्तान !
ऑडिशन के लिए एक लड़का स्टूडियो पहुंचा।
एंकर ने उससे पूछा कि क्या उसने बहादुरी का कोई काम किया है।
उस लडके ने कहा -- हां, मैंने रेप किया है।
पाकिस्तान के टीवी चैनल पाकिस्तानी रोडीज़ का एक कार्यक्रम आता है लिविंग ऑन द एज। इस शो में उन नौजवान लड़
के-लड़कियों को बुलाया जाता है जो दुस्साहसी होते है। यानी वे उल्टा-सीधा कुछ भी काम करने की जोखिम किसी भी सीमा तक उठा सकते है।
इस शो के ऑडिशन में एक लड़के से कहा गया कि उसे 600 डिग्री की गर्मीवाले झुलसते कोयले को 15 सेकण्ड्स तक अपनी मुट्ठी में पकड़े रहना है। क्या यह हिम्मत है उसमें? उस लड़के ने दुस्साहस दिखाया और अपना हाथ बुरी तरह जला बैठा। बाद में चैनल वाले ही उसे अस्पताल ले गए और कई दिनों तक उसका इलाज चलता रहा।
के-लड़कियों को बुलाया जाता है जो दुस्साहसी होते है। यानी वे उल्टा-सीधा कुछ भी काम करने की जोखिम किसी भी सीमा तक उठा सकते है।
इस शो के ऑडिशन में एक लड़के से कहा गया कि उसे 600 डिग्री की गर्मीवाले झुलसते कोयले को 15 सेकण्ड्स तक अपनी मुट्ठी में पकड़े रहना है। क्या यह हिम्मत है उसमें? उस लड़के ने दुस्साहस दिखाया और अपना हाथ बुरी तरह जला बैठा। बाद में चैनल वाले ही उसे अस्पताल ले गए और कई दिनों तक उसका इलाज चलता रहा।
इसी शो में एक लड़की से जब पूछा गया कि क्या उसने बहादुरी का कोई काम किया है। तब उस लड़की ने कहा -- हां मैंने किया है।
एंकर द्वारा पूछे जाने पर उस लड़की ने शान से बताया कि उसकी बहादुरी के कारनामों में से एक तो यह है कि मैंने अपनी मां को थप्पड़ मारा है, क्योंकि वह मेरी बात नहीं मान रही थी.
ये दो बातें तो सिर्फ नमूना है। मैं यहां जो बात कहने जा रहा हूं उसने मुझे पूरी तरह हिलाकर रख दिया और इतने घटिया कार्यक्रम की मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता। भारतीय टीवी को आप कितना भी कोसो, लेकिन घटियापन में वे पाकिस्तानी टीवी का मुकाबला कभी नहीं कर पाएंगे। अगर वे ठान ले तो भी टीआरपी के लालच के बावजूद इतने निचले स्तर तक कभी नहीं जा सकते।
ये दो बातें तो सिर्फ नमूना है। मैं यहां जो बात कहने जा रहा हूं उसने मुझे पूरी तरह हिलाकर रख दिया और इतने घटिया कार्यक्रम की मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता। भारतीय टीवी को आप कितना भी कोसो, लेकिन घटियापन में वे पाकिस्तानी टीवी का मुकाबला कभी नहीं कर पाएंगे। अगर वे ठान ले तो भी टीआरपी के लालच के बावजूद इतने निचले स्तर तक कभी नहीं जा सकते।
इसी कार्यक्रम में ऑडिशन के लिए एक लड़का स्टूडियो पहुंचा। एंकर ने उससे पूछा कि क्या उसने बहादुरी का कोई काम किया है। उस लडके ने कहा -- हां, मैंने रेप किया है।
एक बार तो एंकर भी सकते में आ गया। उसे लगा कि शायद वह रैप की बात कर रहा है, लेकिन जब उसने बताया कि वह और उसके दो दोस्त मिलकर एक लड़की से रेप कर चुके है। वह लड़की भी उसी के दोस्त की बहन है। फिर उस लड़के ने शेखी बघारी और कहा कि किस तरह उसने अपने साथियों के साथ मिलकर उस लड़की के साथ किस तरीके से जबरदस्ती की और वह लड़की उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाई। बदतमीजी की सीमा यहीं खत्म नहीं हुई उस लड़के ने कहा कि वह जिस खानदान से ताल्लुक रखता है वह इतना प्रभावी है कि कोई भी कुछ नहीं कर सकता।
एंकर ने कहा कि पुलिस ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, तो उसका जवाब था कि मैं जिस खानदान से ताल्लुक रखता हूं उसमें पुलिस तो क्या, मिलिट्रीवाले भी उसका कुछ भी नहीं उखाड़ सकते। बाद में तू-तू मैं-मैं होती रही और एंकर से छीना-झपटी के बाद वह लड़का सलामत स्टूडियो से बाहर चला जाता है।
इतने घटिया कार्यक्रम और प्रस्तुति से पाकिस्तान के हालात को आसानी से समझा जा सकता है। पाकिस्तानी टीवी ने जिस तरह से इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई है और उसे प्रस्तुत किया जा रहा है, वह पाकिस्तान के समाज की पोल खोलकर रख देता है। भारतीय टीवी चैनलों पर भी फू हड़ कार्यक्रम आते है। उन कार्यक्रमों में अपसंस्कृति का प्रचार-प्रसार भी होता है, लेकिन एक सीमा तक ही। उन कार्यक्रमों में अकसर हास-परिहास के मौके भी उपलब्ध होते है लेकिन पाकिस्तानी टीवी के ऐसे कार्यक्रम की भारत में कल्पना भी नहीं की जा सकती।
मुझे नहीं लगता कि भारत में कोई भी बलात्कारी किसी टीवी स्टूडियो में जाकर यह कह सके कि --हां, मैं बलात्कारी हूं और पुलिस तो क्या मिलिट्री वाले भी मेरा कुछ नहीं कर सकते। ऐसा कहने वाले को पहले तो स्टूडियो में ही पीटा जाएगा, फिर पुलिस उसकी सेवा करेगी, वह कोर्ट में जाएगा तो वहां वकील उसकी तीमारदारी करेंगे और फिर जब वह जेल जाएगा तब साथी कैदी उसका भुर्ता बनाएंगे। बलात्कार करने वाला उस पर गर्व करें और टीवी स्टूडियो में जाकर बोले कि उसने बलात्कार का काम बहादुरी के साथ किया है, तो उसके साथ जो अंजाम होगा उसमें संभव है कि वह जीवित ही न बचे। कानून तो अपना काम अपने तरीके से करता ही है। हमारा समाज भी मौका आने पर अपराधियों को सजा देने से नहीं चूकता। पाकिस्तान में हर रोज हो रहे ऐसे बलात्कारों के लिए न्याय मांगने वाले लोग शायद नहीं है। प्रतीकात्मक रूप से ही सही, कहीं तो पाकिस्तान में सभ्यता नजर आएं।
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