Monday, January 05, 2015

पाकिस्तानी टीवी पर टॉक शो में आम है गाली-गलौज और मारपीट

 पाकिस्तान में न्यूज चैनल खबरों के बजाय तमाशा दिखाने में ज्यादा यकीन रखते है। 
‘तेरा मुंह तोड़ दूंगा’,  ‘हरामजादा’ , ‘सुअर’ , ‘उल्लू का पट्ठा’,  ‘तेरी मां का ...' ,
 ‘मादर .....’ , ‘खब्ती’ , ‘अबे’, ‘तू पढ़ा लिखा है क्या’ , ‘तेरी ऐसी की तेसी ’ 
 जैसे शब्द वहां न्यूज चैनल पर प्रसारित हो चुके है और होते भी रहते है। 
……………………………… 

भारतीय न्यूज चैनल पर रोज होने वाले टॉक शो से जिनको शिकायत है उन्हें पाकिस्तान टीवी के इन कार्यक्रमों की झलक देखकर खुशी होगी। हमारे न्यूज चैनल कितने भी बेतुके हो, उन पर बातचीत का स्तर इतना बुरा नहीं होता, जितना पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर होता है। भारतीय न्यूज चैनल के कार्यक्रम बिना निष्कर्ष के खत्म हो जाते है या पक्षपात करते है, इतना ही कहां जा सकता है, लेकिन पाकिस्तानी न्यूज चैनल! तौबा-तौबा!! 

पाकिस्तानी न्यूज चैनल के कार्यक्रमों में गेस्ट अपशब्दों का इस्तेमाल तो करते ही है। मारपीट पर भी उतारु हो जाते है। दिलचस्प बात यह है कि कई बार एंकर उन्हें रोकने के बजाय बढ़ावा देने लगते है। ऐसे दृश्यों को देखकर लगता है कि पाकिस्तान में न्यूज चैनल खबरों के बजाय तमाशा दिखाने में ज्यादा यकीन रखते है। ‘तेरा मुंह तोड़ दूंगा’ ‘हरामजादा’ ‘सुअर’ ‘उल्लू का पट्ठा’ ‘तेरी मां का ---’ ‘मादर ---’ ‘खब्ती’ ‘अबे’ ‘तू पढ़ा लिखा है क्या’ ‘तेरी ऐसी की तेसी ’---- जैसे शब्द वहां न्यूज चैनल पर प्रसारित हो चुके है और होते भी रहते है। 

तेरा मुंह तोड़ दूंगा, हरामज़ादा, सुअर , उल्लू का पट्ठा, तेरी माँ की.…

इस कार्यक्रम को पाकिस्तान का एक चैनल एक्सक्लूसिव बताकर दिखा रहा था। जिसमें अभद्रता की तमाम सीमाएं पार कर ली। हालात मारपीट तक पहुंचे, लेकिन एंकर को इसमें मजा आया और उसने कहा कि ये लोग शायद ठीक से लड़ नहीं पा रहे है और ऐसा लगता है मानो डांस कर रहे हो। 


हालात मारपीट तक 

इस क्लीपिंग में आप देख सकते है कि जब शब्दों की सभी सिमाएं खत्म हो गई, तब नौबत मारपीट तक पहुंची। जिसे पाकिस्तान के लोगों ने दिलचस्पी के साथ देखा। पाकिस्तान के टीवी चैनल पर यह बौद्धिक कार्यक्रमों का ‘शानदार समापन‘ माना जा सकता है। इसके बाद वाली क्लीप भी पाकिस्तान टीवी के कार्यक्रमों की बखिया उधेड़ कर रखने के लिए काफी है। 


अबे, तेरी ऐसी की  तैसी, पढ़ा-लिखा है तू?

राजनैतिक विषय पर बहस के दौरान आरोप-प्रत्यारोप लगाना आम बात है, लेकिन जब वह आरोप विचारधारा से अलग हटकर व्यक्तिगत आरोपों में बदल जाएं, तो उसे आप क्या कहेंगे? तुम्हारी पार्टी के नेताओं की औलादे लंंदन जाकर ऐश कर रही है और तुम्हारी और तुम्हारी पार्टी की ऐसी की तेसी जैसे जुमले वहां आम है। 


कांव कांव


स्टूडियो में स्टाफ़ को बचाव करना पड़ा 


पाकिस्तान के दर्शक ऐसे कार्यक्रमों का खूब मजा लेते है। नेताओं की कांव-कांव से उनका मनोरंजन होता है मारपीट में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ का आनंद। इन कार्यक्रमों में एक-दूसरे पार्टी के नेताओं पर चरित्रहनन के आरोप लगाना आम बात है और भद्रता की सीमाओं को लांघना रुटीन। 

पाकिस्तान में भी समाचार चैनलों में वैश्विक न्यूज चैनलों का खासा प्रभाव है। इसके साथ ही पाकिस्तानी अखबारों में भी अपने चैनल शुरू कर दिए है। भारतीय न्यूज चैनलों की तरह ही उनके नाम भी है। हमारे यहां आज तक है तो वहां आज न्यूज है और अभी तक टीवी भी। हमारे यहां चैनल फोर है तो वहां चैनल फाइव। हमारे यहां न्यूज एक्सप्रेस है तो वहां एक्सप्रेस न्यूज। दिन मीडिया ग्रुप का दिन न्यूज भी है और दुनिया न्यूज भी। हमारे यहां आज तक तेज है तो वहां जियो तेज है। हमारे यहां टाइम्स ऑफ इंडिया का टाइम्स टीवी है तो वहां जंग ग्रुप का जंग टीवी और नवा-ए-वक्त ग्रुप का वक्त न्यूज है। लाहौर का अपना सीटी २४ न्यूज चैनल है और वेल्यू न्यूज, कराची का मेट्रो वन है, सिंधि भाषियों के लिए वहां धूूम टीवी है। अब्दुल रजाक याक़ूब  का एआरवाय न्यूज पाकिस्तान में छाया हुआ है, उसके कई चैनल वहां है। यह वहीं हाजी अब्दुल रजाक याक़ूब  है जो सूरत से कराची और कराची से दुबई जाकर बस गए थे और एआरवाय ग्रुप की इन्होंने स्थापना की। करीब सालभर पहले ही याक़ूब  साहब का इंतकाल हो गया। इनकी कंपनियों पर लंदन में रोक भी लगी, क्योंकि उन पर मनी लांड्रिंग और ड्रग मनी का आरोप लगा था। शेयर बाजार, सराफा व्यवसाय, टेली कम्युनिकेशन, केबल टीवी, न्यूज चैनल और न जाने कितने धंधों में शामिल अब्दुल रजाक याकूब ने डेबिट कार्ड की तरह अपनी कंपनी  के सहूलियत कार्ड भी जारी कर रखे थे। सोने के बिस्कुटों का कारोबार यह कंपनी दुनियाभर में करती है और इस्लाम के नाम पर बहुत सारा दान भी। 

पाकिस्तान में उर्दू और अंग्रेजी के अलावा पख्तों, सिंधी, कश्मीरी, पंजाबी और दूसरी भाषाओं में भी न्यूज चैनल चल रहे है। न्यूज के अलावा पाकिस्तान में बिजनेस, एज्युकेशन, मूवी, खेल, म्युजिक, लाइफस्टाइल के चैनल तो चलते ही है धर्म के नाम पर भी बहुत बड़ा कारोबार चलता है। बच्चों के लिए भी कुछ चैनल चलते है जो ये बताते है कि बच्चों को धर्म की शिक्षा कितनी जरूरी है। 

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के इन दूसरे चैनलों में उसी तरह के प्रोग्राम दिखाए जाते है जैसे भारती चैनलों में। धर्म की शिक्षा के नाम पर भी कुछ प्रोग्राम चलते है और इस तरह के प्रोग्राम भी जिनमें कहा जाता है कि एंकर हॉट कपड़े पहनकर आती है। खतरों के खिलाड़ी की तर्ज पर भी वहां प्रोग्राम आते रहते है, जिनमें लड़के-लड़कियां बत्तमिजी की तमाम सिमाएं पार कर जाते है, लेकिन वे कार्यक्रम भी वहां काफी लोकप्रिय है।

उन कार्यक्रमों के बारे में फिर कभी। 

No comments: