Sunday, October 31, 2010



'पत्रकारिता' का जेम्स बॉन्ड : जुलियन असान्जे


अब अगर किसी को अमेरिका का विरोध करना हो तो इसके लिए अमेरिकी झंडा जलाने की ज़रुरत नहीं; अब लोग विरोध करने के लिए अमेरिकी झंडे की धुलाई करने लगते हैं. 'विकिलीक्स डॉट ओआरजी' के मुख्य प्रवक्ता और एडिटर इन चीफ जुलियन असान्जे ने यही किया. उन्होंने २२ अक्टूबर की शाम ५ बजे अपनी साईट पर ३ लाख ९१ हज़ार ८३२ क्लासीफाइड सीक्रेट डाक्यूमेंट्स अपलोड किये, जिनसे व्हाईट हाउस, सीआईए, एफ़बीआई, अमेरिकी प्रशासन और मीडिया जगत में हड़कंप है. असान्जे ने 'दी इराक वार लॉग्स' शीर्षक से दुनिया को इराक युद्ध में अमेरिकी सैनिकों, अमेरिकी और इराकी सरकार की भूमिका पर सवाल दर सवाल किये हैं. दस्तावेजों, ग्राफिक्स और नक्शों के जरिये बताया है कि कैसे युध्ह में नागरिकों का कत्ले आम, औरतों पर ज़ुल्म और अमानवीयता की गयी. इसमें १ जनवरी २००४ से ३१ दिसंबर २००९ तक युद्ध की असली झलक है. ये दस्तावेज़ जारी होने के बाद व्हाईट हाउस के सामने सवाल है कि अब क्या होगा? ऐसे सवाल तो सत्तर के दशक में वॉटरगेट काण्ड और नब्बे के दशक में मोनिका लेविंस्की प्रकरण के बाद भी नहीं उठे थे.

असान्जे कौन? 'पत्रकारिता' का जेम्स बॉन्ड या इंटरनेशनल मैन ऑफ मिस्ट्री? इंटरनेट एक्टिविस्ट या साइबर क्रिमिनल? सजायाफ्ता
हैकर या तहलका के महाबाप,विकिलीक्स का जनक! न जाने क्या क्या उपमाएं दी जा रही हैं असान्जे को. असान्जे कहाँ हैं, कोई नहीं जानता. ये लाइनें लिखे जाने के वक़्त अमेरिकी ख़ुफ़िया तंत्र उनकी खोज में लगा है.दुनिया भर में या तो असान्जे की वाह-वाही हो रही है या फिर उन्हें धिक्कारा जा रहा है! असान्जे देश देश भटक रहे हैं, कभी स्टॉकहोम, कभी बर्लिन, कभी लन्दन...उन्होंने अपने सुनहरे बाल रंगवा लिए हैं, वे पकड़े जाने के डर से क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं कर रहे हैं, होटलों में नाम बदल बदल कर रुकते हैं, यही जानकारी मिल रही है. कभी उनके लेपटॉप और चोरी होने की सूचना आती है तो कभी कोई महिला उन पर बदचलनी का इल्जाम लगाती और फिर उसका खंडन करने कि खबर आती है. एक अकेला इंसान जिसने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर पूरी को हिलाकर रख डाला. कोई उनकी व्हिसल ब्लोइंग वेबसाईट को दान देना चाहता है तो कोई उसे प्रतिबंधित कराना चाहता है.

असान्जे के दस्तावेज़ बताते हैं कि अमेरिकी सेना ने युद्ध के नाम पर नागरिकों पर सितम ढाये, छः साल में १ लाख ०९ हज़ार ०३२ लोग मारे थे. ६६ हज़ार ०८१ नागरिकों कि मौत हुई, इराकी और मित्र राष्ट्रों की सेना के १५,१९६ और ३७७१ जवान मारे गए जबकि २३,९८४ विद्रोही मारे गए.
छः साल की पूरी अवधि में औसतन ३१ नागरिक रोजाना मारे गए. बेकसूरों की ह्त्या और यातनाओं की जानकारी अमेरिकी अधिकारियों और शीर्ष नेताओं को थी, लेकिन उन्होंने टार्चर, रेप और मर्डर के इन 'मामले की आपराधिक अनदेखी' की.

असान्जे ने १९९९ में लीक्स डोट ओआरजी और २००६ में 'विकिलीक्स डॉट ओआरजी' रजिस्टर कराई थी. १९९९ में तो उन्हें कोई बेहतर प्रतिसाद नहीं मिला, लेकिन २००६ में अपनी व्हिसल ब्लोइंग साईट रजिस्टर कराने के बाद उन्होंने साफ़ किया था कि हमारी कोशिश एशिया, पूर्व रशियन ब्लाक्स, मध्य पूर्व और रेगिस्तान अफ्रीकी देशों में हो रहे अमानवीय कामों के साथ ही पूरी दुनिया की सरकारों के अनैतिक कामों पर निगाह रखने की रहेगी. असान्जे ने एक हद तक अपनी भूमिका निभाई भी है. पहले उन्होंने करीब ९२००० गोपनीय दस्तावेज उजागर कर यह साबित कर दिया था कि पाकिस्तान का आई एस आई आतंकियों को खुली मदद कर रहा है और ये आतंकी अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई में मदद दे रहे हैं. केन्या में फौज और पुलिस की दरिन्दगी को भी वे तथ्यों के साथ उजागर कर चुके हैं.


आज असान्जे के खिलाफ भी अनेक लोग काम कर रहे हैं. कई तो डरकर उन से दूर हो गए हैं और कई उन पर तानाशाहीपूर्ण रवैये का इलज़ाम लगाकर कन्नी काट गए हैं. अनेक लोग मानते हैं कि उनके काम से अमेरिकी हितों का नुकासा होगा और का मानते हैं कि उन्होंने लोकतान्त्रिक काम किया है और अमेरिका का लोकातान्रा इस से मज़बूत ही होगा. ब्रिटिश पत्रिका 'न्यू स्टेट्समैन' ने उनका नाम दुनिया के ५० सबसे प्रभावशाली लोगों में शुमार किया है और दुनिया को बदलनेवाले लोगों में उन्हें २३वे नंबर पर रखा है. उन्हें एमनेस्टी इंटर नेशनल मीडिया अवार्ड, इकानामिस्ट इंडेक्स आन सेंसरशिप मीडिया अवार्ड, सेम अडम अवार्ड आदि अनेक अवार्ड मिल चुके हैं.


आस्ट्रेलिया में १९७१ में जन्में जूलियन पॉल असान्जे के पास विश्वविद्यालय की कोई डिग्री नहीं है. माता पिता में अलगाव, प्रेमिका से अलगाव और बाधित पढ़ाई के बावज़ूद उन्होने अपनी जगह बनाई. विश्वविद्यालय और एक टेलीकॉम कंपनी की साइट हैक करने के मामले में वे फँस चुके हैं और जेल भी जा चुके हैं, जहाँ उन्हें २१०० डॉलर का ज़ुर्माना चुकाना पड़ा था. उन्हीं की तरह 'पेंटागान पेपर्स' लीक करनेवाले डेनियल एल्सबर्ग का कहना है --"असान्जे अमेरिकी डेमोक्रेसी की सेवा कर रहे हैं.."

-प्रकाश हिन्दुस्तानी
(दैनिक हिन्दुस्तान, ३१ अक्टोबर २०१० से)

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