Thursday, August 27, 2015

फिर गति पकड़ने लगी सिंहस्थ की तैयारियां

सिंहस्थ 2016   (10)








नगर निगम के चुनाव सम्पन्न होते ही सिंहस्थ के कार्यों में गति आ गई है। अब चुने हुए प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी एक साथ मिलकर सिंहस्थ की तैयारियों में जुुट गए है। आचार संहिता के कारण अटके हुए काम भी वापस शुरू हो गए है। चुनाव में व्यस्त अफसर अब सिंहस्थ के लिए मुक्त हो गए है। उनके नेतृत्व में सिंहस्थ की तैयारियों की समीक्षा नियमित होती रहती है। बारिश थमने से भी सिंहस्थ के कार्यों में रुकावट खत्म हुई है और निर्माण कार्यों में तेजी आई है। मेला क्षेत्र में कच्ची सड़कों और नालियों का निर्माण पूरी तेजी से होने लगा है, जो अधूरे काम बचे है, वे जल्द ही पूरे किए जा रहे है। 



सिंहस्थ 2016 की तैयारियों में सभी विभागों को शामिल किया जा रहा है। हाल ही में नासिक में सम्पन्न हुए कुंभ की व्यवस्था के जानकारी के आधार पर भी अधिकारियों में चर्चा हो रही है। इस चर्चा में सभी विभागों के लोग शामिल है। इस चर्चा के निष्कर्षों से उन कर्मचारियों से अवगत कराया गया, जो सिंहस्थ में योगदान देंगे। पहले चरण में उन्हें जानकारी दी गई कि वे क्या करें और क्या न करें।  कलेक्टर ने इस आयोजन में शामिल होने वाले सक्रिय कर्मचारियों से कहा है कि उन्हें पांच करोड़ लोगों से भी ज्यादा अतिथियों का स्वागत सत्कार करने का मौका मिलेगा, यह एक दुर्लभ अवसर है। पूरी दुनिया के लोग उज्जैन में आएंगे और उज्जैन से अपनी यादें सहेजकर ले जाएंगे। श्रद्धालु अतिथियों से मृदु व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। उज्जैन साफ-सुथरा रहेगा तो उससे बीमारियां भी फैलने का डर नहीं रहेगा और उज्जैन की छवि भी चमकती हुई रहेगी। 

उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों में पूरे संभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाना है। हर जिले में यह प्रशिक्षण दिया जाएगा और करीब दस हजार कर्मचारी प्रशिक्षित होंगे। इस प्रशिक्षण में सभी विभागों के कर्मचारी अच्छा खासा उत्साह दिखा रहे है। उज्जैन के स्थानीय लोगों का मानना है कि सिंहस्थ के मौके पर आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा वास्तव में भगवान महाकाल की सेवा ही है।


 इस सेवा का अनूठा नजारा तब देखने को मिला, जब प्रशिक्षण के लिए आई एक महिला व्याख्याता ने अपने निशक्त होने को शासकीय सेवा में बाधा नहीं बनने दिया। महाराजवाड़ा स्कूल की दोनों हाथों से निशक्त व्याख्याता हंसा जोशी ने प्रशिक्षण के दौरान जब एक फार्म भरा, तब दूसरे कर्मचारियों को उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षाएं मिली थी और वे मदद के लिए आगे भी आए, लेकिन व्याख्याता हंसा जोशी ने प्रशिक्षण का पूरा फार्म अपने पैर से भरा। उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि वे अपनी निशक्तता को सिंहस्थ में बाधा नहीं बनने देंगे। हंसा जोशी शहीद बलराम जोशी के परिवार की सदस्य है। बचपन से ही किसी बीमारी के कारण उनके हाथ अशक्त हो गए। एक और मजेदार प्रकरण तब देखने को मिला, जब उज्जैन के कलेक्टर कवीन्द्र कियावत ने सरकारी कर्मचारियों से कहा कि वे अपने जेब में शक्कर की पुड़िया लेकर चले। यह शक्कर की पुड़िया उन्हें लो डायबिटीज से तो बचाएगी ही, साथ ही अगर उन्हें कुछ कड़वा बोलना पड़े, तो पहले शक्कर की चुटकी मुंह में डाल ले, उन्हें याद आ जाएगा कि वे सिंहस्थ के लिए सेवाकार्य में लगे है और वे कड़वा बोलने से बच जाएंगे। 

सिंहस्थ की तैयारियों में एक विशेष पुस्तिका का प्रकाशन भी शामिल है, इसका प्रकाशन मेला प्रशासन कर रहा है और यह पुस्तिका केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए होगी। हर कर्मचारी को मिलने वाले पुस्तिका में प्रत्येक सरकारी विभाग के कार्य और जिम्मेदारियों का विवरण तो होगा ही, साथ में सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को नाम और उनके मोबाइल नंबर भी दर्ज होंगे। इस पुस्तिका के माध्यम से कर्मचारी जान सकेंगे कि उन पर क्या-क्या जिम्मेदारी है और कहीं वे किसी दूसरे विभाग के कार्य में हस्तक्षेप तो नहीं कर रहे है। कुछ शंका होने पर पुस्तिका में दर्ज अधिकारी से मोबाइल पर भी चर्चा की जा सकेगी और तत्काल समाधान निकाला जा सकेगा। 
--प्रकाश हिन्दुस्तानी

2 comments:

IT Kshtera said...

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